
बिलासपुर : ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का एक बड़ा त्यौहार है, जो रमजानुल मुबारक के 30 रोजे रखने के बाद हिजरी कैलेण्डर के शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है इस रोज शहर और आस-पास के 10-12 हजार मुसलमान ईदगाह में जमा होकर नमाज़े ईदुलफित्र अदा करते हैं और नमाज़ के बाद एक दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते है। इस तरह ईदूल फित्र खुशी और भाई चारे का त्यौहार है। सुब्हानिया अंजुमन इस्लामिया, बिलासपुर नायब सदर हाजी मो. इस्लाईल रज़्वी की जानिब से यह ऐलान किया जाता है कि 29 रमज़ान, मुताबिक 30 मार्च को अगर चांद नज़र आया या चांद देखे जाने की शरई तसदीक हासिल हुई तो बरोज़ पीर मोअर्रखा 31 मार्च को ईद-उल-फ़ितर का त्योहार मनाया जाएगा।
अगर 29 रमजान को चांद नज़र नहीं आया तो 30 रोज़े पूरे करने के बाद बरोज़ मंगल, मोअर्रखा 1 अप्रैल को ईद-उल-फ़ितर मनाई जाएगी। ईदगाह में ईद-उल-फ़ितर की नमाज़ सुबह आठ बजे अदा की जाएगी। हज़रत अल्लामा व मौलाना सैय्यद ज़ाहिरूल कादरी साहब किबला नमाज की इमामत फरमाएंगे। अगर चांद की तसदीक आने में देरी हुई या नमाज़ के वक्त छत्तीसगढ़ में तेज बारिश हुई तो नमाज का वक्त आधे घन्टे से 1 घन्टे तक बढ़ाया जा सकता है।