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चातुर्मास में क्यों 4 महीने विश्राम करते हैं जगत के पालनहार विष्णु जी ,क्या हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा….

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हिंदू धर्म में हर तिथि, व्रत, पर्व का अपना अलग महत्व होता है. चातुर्मास की शुरूआत आषाढ़ माह में पड़ने वाली देवश्यनी एकादशी के बाद हो जाती हैं. देवश्यनी एकादशी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तो पड़ती है, इस तिथि से भगवान विष्णु का शयनकाल शुरू हो जाता है. इसीलिए इस एकादशी को देवश्यनी एकादशी कहते हैं.कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं.वहीं इसे चौमासा के नाम से भी जाना जाता है. देवश्यनी एकादशी की तिथि से भगवान विष्णु और अन्य देवताओं का शयनकाल शुरू हो जाता है. इस तिथि से शयनकाल चार माह तक चलता है जिसे चातुर्मास कहते हैं. इस दौरान भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. विष्णु जी चार महीने के बाद कार्तिक माह की प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं. साल 2025 में चातुर्मास कब से लग रहा है, जानते हैं.

देवश्यनी एकादशी 2025 कब

1. साल 2025 में देवश्यनी एकादशी 6 जुलाई 2025, रविवार के दिन पड़ रही है.

2. इस दिन एकादशी तिथि की शुरूआत 05 जुलाई, शनिवार को शाम 6.58 मिनट पर होगी,

3. वहीं एकादशी तिथि समाप्त 06 जुलाई रविवारको रात 9.14 मिनट पर होगी.

4. उदया तिथि होने के कारण देवश्यनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई, 2025 रविवार के दिन रखा जाएगा.

5. 6 जुलाई से 1 नंबर 2025 तक चातुर्मास रहेगा.

6. वहीं चातुर्मास का अंत प्रबोधिनी एकादशी के दिन 1 नंवबर 2025, को होगा. प्रबोधिनी एकादशी का व्रत कार्तिक माह की एकादशी तिथि को रखा जाता है.

क्यों पड़ता है चातुर्मास?

विष्णु जी को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है. लेकिन जब भगवान विष्णु चातुर्मास के दौरान चार माह की योग निद्रा में चले जाते हैं तो सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं. चातुर्मास के दौरान सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इस माह में व्रत, पूजा, जप-तप किया जाता है. चातुर्मास के दौरान हिंदू धर्म के यह चार माह पड़ते हैं,सावन, भाद्रपद, आश्विन ,कार्तिक.

 

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