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जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद बिहार में बढ़ी हलचल, नीतीश कुमार ने बुलाई नौ दलों की बैठक

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पटना: जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद बिहार में हलचल बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के लेकरसभी पार्टियों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए मंगलवार 3 अक्टूबर को एक बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में शामिल होने के लिए 9 दलों को बुलाया गया है और इसमें इस रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। वहीं इससे पहले नीतीश कुमार ने रिपोर्ट जारी करने के बाद इसे ऐतिहासिक बताया था।

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार और बिहार की जनता के लिए हमने जो किया वह आजतक कोई नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना बहुत पहले ही हो जानी चाहिए थी, लेकिन यतः नहीं कराई गई। अब आंकड़े हमारे सामने हैं और बिहार सरकार सभी जातियों के विकास और उन्नति के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस जनगणना को रोकने के लिए तमाम लोगों ने प्रयास किए, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।

बीजेपी नीतीश सरकार पर हुई हमलावर 

इसी बीच भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार सरकार पर हमलावर हो गई है। केंद्रीय मंत्री गिरीराज इस्न्घ ने इस रिपोर्ट को लेकर बिहार सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार की यह रिपोर्ट आम लोगों के बीच भ्रम फैला रही है। इससे लोगों के बीच में नफरत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट की जगह नीतीश कुमार को अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने और उनके साथी लालू यादव ने कितने लोगों को नौकरी दी, कितने रोजगार के अवसर बनाए।

राहुल गांधी ने की नीतीश सरकार की तारीफ़ 

वहीं जातिगत जनगणना के आंकड़े आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार की नीतीश सरकार की तारीफ की है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखते हुए राहुल गांधी ने कहा, “बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं। इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ – ये हमारा प्रण है।” बता दें कि राहुल गांधी पिछले कई दिनों से ओबीसी समुदाय को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं।

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जम्मू कश्मीर: 2 VGD सदस्यों की हत्या करने वाले आतंकियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़, 1 जवान शहीद, 3 घायल

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया और तीन जवान घायल हैं। किश्तवाड़ के केशवान में 3-4 आतंकवादियों के घिरे होने की संभावना है। माना जा रहा है कि यह आतंकियों का वही समूह है, जिसने 7 नवंबर को कुंतवाड़ा के एक गांव के 2 वीडीजी सदस्यों की हत्या की थी। अधिकारियों के अनुसार रविवार को किश्तवाड़ जिले के सुदूर वन क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के चार जवान घायल हो गये थे। इनमें से 2 पैरा (एसएफ) के नायब सब-इंस्पेक्टर राकेश कुमार की इलाज के दौरान मौत हो गई। सब-इंस्पेक्टर राकेश 9 नवंबर को किश्तवाड़ के भारत रिज के सामान्य क्षेत्र में शुरू किए गए संयुक्त सीआई ऑपरेशन का हिस्सा थे।

अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में दो ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) की हत्या के बाद आतंकवादियों की तलाश तेज कर दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि केशवान के जंगलों में पूर्वाह्न करीब 11 बजे उस समय मुठभेड़ शुरू हो गई जब सेना और पुलिस के संयुक्त तलाश दलों ने छिपे हुए आतंकवादियों की केशवान वन में घेराबंदी की। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ स्थल उस स्थान से कुछ किलोमीटर दूर है, जहां पर वीडीजी नजीर अहमद और कुलदीप कुमार के गोलियों से छलनी शव मिले थे।

गुरुवार से जारी है अभियान

अधिकारियों ने कहा कि दो ग्राम रक्षा रक्षकों की हत्या के बाद कुंतवाड़ा और केशवान के जंगलों में गुरुवार शाम से आतंकवाद रोधी अभियान जारी है। सेना की जम्मू स्थित व्हाइट नाइट कोर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा, ‘‘आतंकवादियों की उपस्थिति के बारे में विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर, किश्तवाड़ के भारत रिज क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। यह वही समूह है जिसने दो निर्दोष ग्रामीणों (ग्राम रक्षा रक्षकों) का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी। उन्हें चुनौती दी गई और गोलीबारी शुरू हो गई।’’

तीन जवानों की हालत गंभीर

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती गोलीबारी में सेना के चार जवान घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां तीन की हालत ‘गंभीर’ बताई गई। इनमें से एक की मौत हो चुकी है। इससे पहले, एक पुलिस प्रवक्ता ने भी पुष्टि की थी कि दो वीडीजी की हत्या के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ चल रही है। अधिकारी ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि इलाके में तीन या चार आतंकवादी घिरे हुए हैं। अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच भारी गोलीबारी जारी है तथा अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।

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समोसा कांड के बाद हिमाचल प्रदेश में जारी हुआ फरमान, अनुमति के बिना नहीं शेयर होंगी सीएम सुक्खू की फोटो

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हिमाचल प्रदेश में समोसा कांड के बाद अनोखा फरमान जारी किया गया है। अब सीएम सुक्खू की तस्वीरें बिना अनुमति के नहीं शेयर की जा सकेंगी। आदेश के अनुसार सभी सरकारी विभागों और सरकारी एजेंसियों को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू की तस्वीरें जारी करने से पहले सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक से अनुमति लेनी होगी। इस अनुमति के बिना सीएम की कोई भी फोटो नहीं शेयर की जा सकती है।

यह प्रतिबंध विभागीय बैठकों, आधिकारिक कार्यक्रमों या सार्वजनिक समारोहों के दौरान ली गई मुख्यमंत्री की तस्वीरों पर लागू होगा। सचिवों और विभागीय प्रमुखों को लिखे पत्र में डीआईपीआर ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि मुख्यमंत्री की तस्वीरें मीडिया को पूर्व स्वीकृति के बिना जारी की जा रही हैं।

छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं तस्वीरें

पत्र में आशंका जाहिर की गई है कि कुछ मामलों में, ये तस्वीरें अनुचित हाव-भाव दिखाती हैं और संभावित रूप से मुख्यमंत्री की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। पत्र में कहा गया है, “तस्वीरों के इस अनियमित प्रसार के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जो मुख्यमंत्री के साथ-साथ सरकार की छवि और धारणा को प्रभावित कर सकते हैं।”

समोसा कांड के बाद सतर्क हुई सरकार

हाल ही में सीआईडी के एक कार्यक्रम में हुए समोसा कांड के बाद सरकार सावधान हुई है। दरअसल सीएम सुक्खू एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें होटल रेडिसन से समोसे और केक मंगाया गया था। यह केक सीनियर अधिकारियों के लिए था, लेकिन गलतफहमी में सुरक्षाकर्मियों को बांट दिया गया। ऐसे में बवाल मच गया और सीआईडी ने जांच बैठा दी। जांच अधिकारी ने इसे सरकार विरोधी कृत्य बता दिया और जांच रिपोर्ट लीक हो गई। जांच रिपोर्ट बाहर आते ही विपक्ष ने मुद्दा बना लिया और कहा कि सीएम के समोसे कोई और खा गया तो इस पर सीबीआई जांच हो रही है। बाद में सीएम सुक्खू से लेकर सरकारी जनसंपर्क अधिकारी और सीआईडी के अधिकारी ने भी सफाई दी। हालांकि, अभी भी विपक्ष समोसे को लेकर सरकार को घेर रहा है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही यह आदेश जारी किया गया है।

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Trump 2.0 पिछले कार्यकाल से कितना होगा अलग, दुनिया भर की टिकी निगाहें

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वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब अपने दूसरे कार्यकाल के लिए तैयारी कर रहे हैं। 20 जनवरी को वह दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।  ट्रंप 2.0 का शासन उनके पिछले कार्यकाल से कितना अलग होगा? रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर इजरायल-गाजा संघर्ष, इजरायल-लेबनान संघर्ष और इजरायल-ईरान संघर्ष समेत मध्य-पूर्व और पश्चिम एशिया में छिड़े जंगी हालात के बीच क्या वह क्या रणनीति अपनाएंगे। यूक्रेन को हथियार सप्लाई और अन्य मदद को लेकर क्या अमेरिका की पॉलिसी बदलेगी, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों पर क्या ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल की तरह अक्रामक रवैया जारी रखेंगे?… इत्यादि तमाम मुद्दों पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं।

देश से लेकर विदेश तक के मामले में ट्रंप क्या बड़े बदलाव करने वाले हैं, इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं। ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही अपने देश में पहला बड़ा बदलाव करते हुए अपने अभियान की सह-प्रबंधक सुसान समरॉल विल्स को व्हाइट हाउस का नया चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्त किया है। ट्रंप का यह फैसला नारी शक्ति को सम्मान देने के साथ उनके लंबे प्रशासनिक अनुभवों का फायदा भी उठाना है। “67 वर्षीय सुसान विल्स 2015 के रिपब्लिकन प्रेसिडेंशियल प्राइमरी के दौरान विल्स ट्रम्प से मिलीं और फ्लोरिडा अभियान की सह-अध्यक्ष बनी। वह 2 राष्ट्रपतियों की जीत की रणनीति बनाने का अनुभव रखती हैं।

भ्रष्ट अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाने का ऐलान

ट्रंप ने ह्वाइट हाउस से लेकर प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के सभी भ्रष्ट अफसरों को निकालने का ऐलान अभी से कर दिया है। इससे जाहिर है कि वह एक सख्त और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन चलाएं।

आव्रजन पॉलिसी

ट्रंप अपनी नई आव्रजन पॉलिसी के तहत बाहरियों को देश से बाहर निकालने का सबसे बड़ा अभियान चला सकते हैं। इससे अमेरिका में रहना, वहां का वीजा पाना और नौकरी करना या नागरिकता हासिल करना मुश्किल हो सकता है। ट्रंप की इस चपेट में 20 लाख से अधिक विदेशी आ सकते हैं। वह अवैध प्रवासियों के खिलाफ भी सख्ती से निपटेंगे। साथ ही अधिक कर वसूलने वाले देशों से व्यापार सीमित कर सकते हैं। इस चपेट में भारत भी आ सकता है।

आतंक और युद्ध के खिलाफ

ट्रंप की रणनीति आतंकवाद और युद्ध के खिलाफ है। वह आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों पर चाबुक चलाएंगे। साथ ही युद्धग्रस्त देशों के बीच शांति का रास्ता निकाल सकते हैं। ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध समेत अन्य युद्धों को खत्म करवाने की प्रतिज्ञा ली है। इससे जाहिर है कि वह वैश्विक शांति, सुरक्षा और आतंकवाद मुक्त रणनीति पर फोकस करेंगे।

4 साल राष्ट्रपति पद संभालने का अनुभव

ट्रंप के लिए 2024 का कार्यकाल इसलिए भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है कि अब उनके पास राष्ट्रपति का एक कार्यकाल पूरा करने का अनुभव है। जबकि 2016 में वह पहली बार राष्ट्रपति बने थे। अब दूसरी बार राष्ट्रपति बनने और पिछले 4 वर्षों तक मुख्य विपक्ष की भूमिका में रहने से उनका अनुभव हर क्षेत्र में कई गुना बढ़ गया है। अब वह अधिक खुले और सख्त फैसले लेने में सक्षम होंगे।

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