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इब्राहिम रईसी के निधन के बाद काले रंग के कपड़े से ढकी गई राष्ट्रपति की कुर्सी, ये है प्रमुख वजह

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तेहरानः ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो जाने के बाद उनकी कुर्सी को काले रंग के कपड़े से ढंक दिया गया है। इसकी वजह सिर्फ शोक मनाने का संकेत ही नहीं है, बल्कि एक खास धार्मिक वजह भी है। ईरान के मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन की घोषणा होने के बाद एक आपात बैठक बुलाई उसके बाद शोक संदेश जारी करके कहा कि रईसी ने देश की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इस रिपोर्ट के साथ एक तस्वीर जारी की गयी है, जिसमें रईसी की कुर्सी को काले रंग के कपड़े से ढका गया है और मेज पर उनकी तस्वीर रखी हुई है।

इसके पीछे की वजह शोक व्यक्त करने के साथ-साथ इब्राहिम रईसी का वह धार्मिक सिद्धांत है, जिसके तहत वह हमेशा काली पगड़ी पहनते थे। दरअसल वह इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद के वंशज माने जाते हैं। इसलिए हमेशा काली पगड़ी पहने थे। उनकी काली पगड़ी इस बात की द्योतक थी कि वह पैगम्बर मोहम्मद से सीधे जुड़े हुए हैं। इसीलिए ईरानी मंत्रिमंडल ने रईसी के निधन के बाद उनकी कुर्सी को काले कपड़े से ढंक दिया।

ईरान में घोषित हुआ 5 दिनों का शोक

ईरान ने इब्राहिम रईसी के निधन पर 5 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।  मंत्रिमंडल ने बयान में कहा, ‘‘हम अपने वफादार, प्रशंसनीय और प्रिय राष्ट्र को आश्वस्त करते हैं कि राष्ट्र के नायक और सेवक तथा नेतृत्व के वफादार मित्र रईसी की अथक निष्ठा के साथ सेवा का मार्ग जारी रहेगा।’’ ईरान के उत्तर-पश्चिम स्थित पहाड़ी क्षेत्र में हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री और अन्य लोग दुर्घटनास्थल पर मृत पाए गए। देश की सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने 5 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।

5 वर्ष की उम्र ही हो गई थी पिता की मौत

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के पिता की मौत उस वक्त हो गई थी, जब रईसी केवल 5 वर्ष के थे। इसके बाद उनकी जिंदगी बिना पिता के साये के साथ आगे बढ़ी। ईरान के राष्ट्रपति बनने से पहले वह न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में साल 2019-21 तक काम कर चुके हैं। इसके बाद 2021 में राष्ट्रपति चुने गए। वहीं साल 1988 में खूनी ईरान-इराक युद्ध के अंत में हजारों राजनीतिक कैदियों को सामूहिक तौर पर फांसी दिए जाने के मामले में वह पूरी दुनिया में चर्चा में आ गए। इस क्रूर हत्याकांड में शामिल होने के आरोपों के कारण रईसी पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। इब्राहिम रईसी का जन्म साल 1960 में मशहद में हुआ था, जो ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शबर और शिया मुसलमानों का पवित्र तीर्थस्थल है।

पैगंबर मोहम्मद के वंशज माने जाते हैं रईसी

इब्राहिम रईसी को पैगंबर मोहम्मद के वंशज के रूप में भी जाना जाता है। जब रईसी 15 साल के थे तो उन्होंने मदरसे में भाग लेना शुरू कर दिया। इसके बाद छात्र जीवन में उन्होंने पश्चिमी समर्थित शाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया था। हालांकि साल 1979 आते-आते इस आंदोलन का नेतृत्व अयातुल्ला खामेनेई ने करना शुरू किया, जिसे बाद में इस्लामिक क्रांति का नाम दिया गया। इस क्रांति के बाद रईसी न्यायपालिका में शामिल हो गए। बता दें कि खामेनेई द्वारा प्रशिक्षित होने के कारण वे कई शहरों में बतौर अभियोजक कार्य करते रहे। तेहरान में रईसी जब अभियोजक बने तो उनकी आयु उसक वक्त मात्र 25 साल थी। साल 2019 में रईसी को न्यायपालिका प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया।

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देश-विदेश

4 दिन में आसमान से जमीन पर आ गया सोना, भरभराकर गिरी चांदी, देखिये ये आंकड़े

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बीते चार दिन में सोने-चांदी की कीमतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। जिसने 22 जुलाई को जेवर खरीदे होंगे, वो अगर आज खरीदता तो बड़ा पैसा बच जाता। कीमतों में इस गिरावट के पीछे वजह है बजट में सोने-चांदी पर कस्टम ड्यूटी घटाने की घोषणा। 23 जुलाई को पेश हुए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने-चांदी पर कस्टम ड्यूटी घटाने की घोषणा की थी। उन्होंने इसे 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही सोने-चांदी के दाम भरभराकर गिर गये।

5,000 रुपये सस्ता हो गया सोना

पिछले चार दिन में सोने की कीमतों में करीब 5000 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट आ गई है। 23 जुलाई को सोने की कीमतों में 5.79 फीसदी यानी 4,208 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट आई थी। इसके बाद 24 जुलाई को सोने की कीमतों में 0.65 फीसदी या 442 रुपये की रिकवरी हुई। अगले दिन 25 जुलाई को सोने के भाव 2.16 फीसदी यानी 1490 रुपये प्रति 10 ग्राम टूट गए। वहीं, आज 26 जुलाई को सोने की कीमतों में 0.37 फीसदी या 248 रुपये की रिकवरी हुई है। इस तरह पिछले 4 दिन में सोने की कीमतें 7.37 फीसदी या 4,960 रुपये प्रति 10 ग्राम टूट गई है।

चांदी में भी बड़ी गिरावट

सोने के साथ ही चांदी की घरेलू कीमतों में भी बीते 4 दिन में बड़ी गिरावट आई है। 23 जुलाई को चांदी की कीमतों में 4.80% या 4284 रुपये की गिरावट दर्ज हुई थी। 24 जुलाई को चांदी की कीमतों में 0.03% या 25 रुपये की मामूली गिरावट आई थी। 25 जुलाई को चांदी 4.20% या 3563 रुपये प्रति किलोग्राम टूट गई। इसके बाद आज 26 जुलाई को चांदी की कीमतों में 0.05% या 39 रुपये की मामूली तेजी देखी गई है। इस तरह पिछले 4 दिनों में चांदी के भाव 8.98% या 7833 रुपये गिर गये हैं।

सोने-चांदी के आज के भाव

एमसीएक्स एक्सचेंज पर शुक्रवार शाम को 5 अगस्त 2024 की डिलीवरी वाला सोना 67,844 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड करता दिखा है। वहीं, 4 अक्टूबर 2024 की डिलीवरी वाला सोना इस समय 68,434 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड करता दिखा है। चांदी की बात करें, तो 5 सितंबर 2024 की डिलीवरी वाली चांदी आज 81,458 रुपये प्रति किलोग्राम पर ट्रेड करती दिखी।

 

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खेल

बांग्लादेश को पीटकर टीम इंडिया की फाइनल में एंट्री, अब पाकिस्तान से होगा मुकाबला

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हरमनप्रीत कौर की कप्तानी वाली भारतीय महिला ​क्रिकेट टीम ने एशिया कप 2024 के फाइनल में शानदार तरीके से एंट्री मार ली है। पहले सेमीफाइनल में बांग्लादेश को 10 विकेट से हराकर ​भारत ने विरोधी टीम को चारोखाने चित्त कर दिया। पहले गेंदबाजों ने बांग्लादेश को एक मामूली से स्कोर पर रोक दिया और उसके बाद बल्लेबाजों ने कमाल की बल्लेबाजी कर टीम को फाइनल का टिकट दिला ही दिया। अब फाइनल में भारत के सामने कौन सी टीम होगी, इसका फैसला पाकिस्तान और​ श्रीलंका के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के रिजल्ट से तय होगा।

भारत ने बिना किसी नुकसान के हासिल कर लिया टारगेट 

बांग्लादेश ने मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में महज 80 रन ही बनाए थे। यानी भारत के सामने जीत के लिए 81 रनों का एक छोटा सा स्कोर था,​ जिसे भारत ने 11 ओवर में बिना किसी विकेट के नुकसान के हासिल कर लिया। जहां एक ओर शेफाली वर्मा ने 26 रनों की पारी खेली, वहीं दूसरी सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने शानदार 55 रन बनाए। गेंदबाजों ने भारत के लिए जो प्लेटफार्म तैयार किया था, उस पर आगे चलने का काम बैटर्स ने किया। पाकिस्तान और श्रीलंका में से किसी एक टीम से भारत का मुकाबला फाइनल में होगा, जो 28 जुलाई को खेला जाएगा। भारतीय टीम खिताब जीतने की दावेदार पहले से ही मानी जा रही थी, अब फाइनल में पहुंचकर भारत एशिया कप के एक और खिताब से केवल एक कदम की दूरी पर है।

खराब रही बांग्लादेश की बल्लेबाजी, रेणुका सिंह ने बरपाया ​कहर 

इससे पहले बांग्लादेश की टीम जब बल्लेबाजी के लिए उतरी तो टीम की शुरुआत ही खराब रही। पहला विकेट पहले ही ओवर में उस वक्त गिरा जब दिलारा अख्तर केवल 6 रन बनाकर आउट हो गईं। उन्हें रेणुका सिंह ने पवेलियन भेजा। इसके बाद 17 के स्कोर पर दूसरा भी विकेट चला गया। इस्मा तंजीम 8 रन बनाकर आउट हो गईं। उन्हें भी रेणुका सिंह ने अपना शिकार बनाया। मुर्शिदा खातून भी चार रन बनाकर चलती बनी। लगातार तीन विकेट लेकर रेणुका सिंह ने न केवल बांग्लादेश को बैकफुट पर ढकेल दिया, बल्कि विरोधी खेमे में तहलका सा भी मचा दिया।

निगार सुल्ताना ने खेली कप्तानी पारी 

बांग्लादेश के एक छोर पर लगातार विकेट गिर रहे थे, तब कप्तान निगार सुल्ताना ने एक छोर संभाले रखा। हालांकि उन्हें किसी का भी साथ नहीं मिल रहा था। आखिरी के ओवर्स में शोरना अख्तर ने जरूर कुछ साथ दिया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उन्होंने 19 रन बनाए। कप्तान सुल्ताना ने 51 बॉल का सामना किया और 32 रनों की एक ठीक पारी खेली। इस दौरान उनके बल्ले से 2 चौके आए। इसके बाद भी पूरी टीम केवल 80 रन ही बना सकी। इसके बाद जब भारत के सामने 81 रनों का टारगेट था, तभी तय हो गया था कि टीम इंडिया इस मैच को जीतकर सेमीफाइनल में चली जाएगी। हुआ भी ऐसा ही। अब भारतीय टीम फाइनल में किससे भिड़ेगी, इसका फैसला दूसरे सेमीफाइनल से होगा, जिसमें पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच मुकाबला होना है।

 

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देश-विदेश

मुस्लिम भी करते हैं झारखंडी शिव की पूजा,ये है अनोखा शिव मंदिर

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सावन के इस पवित्र माह में हम आपको गंगा-जमुनी तहजीब की एक और अनोखी बात बताने जा रहे हैं. उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर से 25 किमी दूर खजनी कस्‍बे के पास एक गांव है सरया तिवारी. यहां भगवान भोलेनाथ का एक अनोखा शिवलिंग स्‍थापित है, जिसे नीलकंठ महादेव और झारखंडी शिव भी कहा जाता है.यह शिवलिंग कई सदियों पुराना है और यहां पर भगवान शिव का स्‍वयं प्रादुर्भाव हुआ है. यह शिवलिंग हिंदुओं के लिए ही नहीं मुस्लिमों के लिए भी उतना ही पूजनीय है, क्‍योंकि इस पर उर्दू भाषा में एक कलमा ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र रसुलुल्लाह’ (इस्लाम का पवित्र वाक्य माना जाता है) खुदा हुआ है. इसी कलमे की वजह से इस मंदिर में रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग अपने अल्लाह की इबादत करने के लिए जाते हैं.

महमूद गजनवी  ने शिवलिंग पर खुदवाया कलमा

लोक मान्यताओं हैं कि जिस समय महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण करके भारत के मंदिरों को लूट रहा था तब  उसको इस मंदिर का पता चला.उसने यहां पहुंच कर मंदिर को तहस-नहस कर दिया और शिवलिंग को भी उखाड़ने का प्रयास किया परंतु गजनवी की पूरी सेना इस शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित हुई. उसकी सेना जितनी गहराई में खुदाई करती, शिवलिंग उतना ही बढ़ता जाता था. ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग को उखाड़ने में नाकाम साबित होने पर गजनवी ने इस शिवलिंग पर कलमा गुदवा दिया. महमूद गजनवी के द्वारा इस अद्भुत शिवलिंग पर कलमा खुदवाने का एक मात्र उद्देश्य यह था कि हिंदू समुदाय के लोग इस शिवलिंग की पूजा न कर सकें, परंतु आज के समय में यह शिवलिंग सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन चुका है. जहां न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम भी आते हैं. एक तरफ़ हिंदू पूजा करते हैं तो वहीं दूसरो ओर इस शिवलिंग के समक्ष मुस्लिम इबादत करते हैं.

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