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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ये 7 काम करने से दूर होगा चंद्र दोष, करियर में मिलेगी उन्नति, सुधरेगा स्वास्थ्य और होगा धन लाभ
ज्येष्ठ पूर्णिमा को शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन से भक्तों को धन-वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन आप कुछ कार्य करके कुंडली में स्थित चंद्र दोष को दूर कर सकते हैं। चंद्र दोष अगर कुंडली में हो तो आपको करियर के क्षेत्र में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और सेहत पर भी इसका बुरा असर देखने को मिलता है।
चंद्र दोष का प्रभाव
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष है तो उसे मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे लोगों की सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता अच्छी नहीं होती। इसी वजह से करियर-कारोबार में इनको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोग बेवजह भावुक हो सकते हैं और अक्सर तनाव की स्थिति इनके जीवन में बनी रहती है। सिर्फ यही नहीं चंद्र दोष होने की वजह से आपकी सेहत भी बार-बार खराब हो सकती है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष होता है उन्हें दिल, फेफड़े से जुड़े रोग हो सकते हैं, इसके साथ ही मिर्गी और अवसाद भी ऐसे लोगों में देखने को मिलता है। वहीं चंद्र दोष की वजह से पारिवारिक जीवन में कल और आर्थिक हानि के दुर्योग भी बनते हैं। लेकिन अगर आप ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष कार्य करते हैं तो आपकी ये परेशानियां दूर हो सकती हैं। आइए अब जानते हैं कि क्या करने से चंद्र दोष से आपको मुक्ति मिलेगी।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय
- चंद्र दोष से पीड़ित लोगों को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिए और उसके बाद सफेद चीजों का दान करना चाहिए। भगवान शिव चंद्रमा के आराध्य हैं इसलिए पूर्णिमा के दिन शिव पूजन और चंद्रमा से जुड़ी सफेद चीजों का दान करने से चंद्र दोष दूर होता है।
- पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के दर्शन करते हुए चंद्र ग्रह के मंत्र ‘ऊँ सों सोमाय नम:’ का 108 बार जप करना चाहिए। ऐसा करने से आपको मानसिक समस्याओं से निजात मिलती है और सेहत में भी अच्छे बदलाव आते हैं।
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अगर आप गले में चंद्रमा के अर्ध आकार जैसा चांदी का लौकेट पहन लें तो इससे भी आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। आप चांदी की चेन भी इस दिन गले में धारण कर सकते हैं।
- अगर आपको आर्थिक लाभ चाहिए और करियर में उन्नति चाहिए तो, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन आपको एक चांदी की अंगूठी में मोती जड़वाकर पहनना चाहिए। धन लाभ के लिए यह उपाय बहुत कारगर माना जाता है।
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अगर आप व्रत रखें और शाम के समय चंद्र दर्शन के समय एक पात्र में गंगाजल, सफेद चंदन, सफेद फूल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें तो कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और आपके कई बिगड़े काम भी बन जाते हैं।
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अगर आप किसी जरूरतमंद को कच्चा दूध और चावल दान करते हैं तो इससे भी चंद्र दोष से आपको मुक्ति मिल सकती है। सफेद वस्त्रों का भी आप दान कर सकते हैं।
- पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करें और चंद्रमा के दर्शन करते हुए ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:’ मंत्र का जप करें। यह कार्य करके आप चंद्रमा को मजबूत करते हैं, जिससे आपके जीवन की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।
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नवरात्रि में कलश स्थापना के वक्त इन बातों का रखें ध्यान, जानें मुहूर्त और पूजा विधि
वाराणसी: शक्ति उपासना के पर्व नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है .नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है. कलश स्थापना के साथ ही देवी उपासना के 9 दिनों के इस विशेष पूजा की शुरुआत होती है .कलश स्थापना कैसे करें? इस दौरान किन बातों का ख्याल रखें ? कौन सा समय कलश स्थापना के लिए सबसे सही है? आप के मन में भी यदि यह सवाल है तो आज ही अपने सभी सवालों के जवाब काशी के ज्योतिषाचार्य से जान लीजिए. कि कलश स्थापना के बगैर नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का एक शुद्ध कलश, मिट्टी, जौ, नारियल, लाल चुनरी, साड़ी, मिट्टी का दीया, सिक्का, आम का पत्ता, सुपारी, अक्षत का होना जरूरी है.
ऐसे करें कलश स्थापना
स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त या शुभ मुहूर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए. सुबह स्नान के बाद मिट्टी को किसी पात्र में डालकर उसे गीला कर लेना चाहिए. उसके बाद उसमें जौ बौना चाहिए. इसके बाद मिट्टी के कलश को उस पर स्थापित करना चाहिए. उसके बाद कलश में गंगा जल भरना चाहिए. इसके बाद उसमें सुपारी, सिक्का, फूल डालकर उस पर अक्षत्र भरा मिट्टी का कसोरा रखना चाहिए.इस कलश के सामने एक मां की प्रतिमा रखें. फिर पूरे वैदिक विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा पाठ का यह क्रम नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक करना चाहिए. उसके बाद दशहरा के दिन इसका विसर्जन करना चाहिए.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त?
स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस बार नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है. कलश स्थापना के लिए 3 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 2 मिनट का समय शुभ है. इसके अलावा दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से 2 बजकर 40 मिनट के बीच भी आप घर में कलश स्थापना कर सकते हैं.
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शनि देव को भूलकर भी न चढ़ाएं ये फूल,वारना काम में बढ़ जाएंगी अड़चनें..
हिन्दू धर्म में शनि देव को कर्मफलदाता के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि शनि देव आपसे प्रसन्न हैं तो वे आपको फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचा देते हैं और यदि आपसे रुष्ठ हुए तो अर्श से फर्श पर भी ले आते हैं. यही कारण है कि उनकी पूजा में कई सारे नियमों का पालन करना जरूरी होती है. हम शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई फूल चढ़ाते हैं लेकिन अनजाने में ऐसे फूल चढ़ा देते हैं, जिनसे शनि देव आपसे नाराज हो सकते हैं. इन फूलों को शनि देव पर चढ़ाना वर्जित माना गया है. कौन से हैं ये फूल? आइए जानते हैं
लाल रंग के फूल
आपने पौधों में लगे लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल या गुलाब कई देवी या देवताओं पर चढ़ाएं होंगे. कहा जाता है कि लाल रंग के फूल खास तौर पर मां दुर्गा को प्रिय होते हैं, लेकिन आप लाल रंग के फूल शनि देव को कभी ना चढ़ाएं. इससे आपको आने वाले समय में समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.ऐसा कहा जाता है कि लाल रंग का संबंध मंगल से होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और मंगल का एक होना शुभ नहीं माना गया है क्योंकि जब आप लाल रंग के फूल शनि देव को चढ़ाते हैं तो इसका मतलब मंगल को उनके समक्ष रखना, जिससे शनि देव आपसे नाराज हो सकते हैं और आपको जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
गेंदे का फूल
आपने आमतौर पर सभी देवी या देवताओं के मंदिर में गेंदा के फूल देखे होंगे. शास्त्रों में भी कहा जाता है कि गेंदे का फूल चढ़ाने से भगवान हमसे प्रसन्न होते हैं लेकिन शनि देव के चरणों में यदि आप गेंदे का फूल चढ़ाते हैं तो इसे अशुभ माना जाता है. इसका कारण है गेंदे के फूल का सूर्य का प्रतीक होना. सूर्य देव से शनि देव का पिता- पुत्र का संबंध है, बावजूद इसके दोनों के ही संबंध अच्छे नहीं माने जाते. ऐसे में जब आप गेंदे का फूल शनि देव को चढ़ाते हैं, जोकि सूर्य का प्रतीक है तो शनि देव आपसे नाराज हो सकते हैं और उनके क्रोध से आपके जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं.
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करवा चौथ के दिन इतने ही देर रहेगा शुभ मुहूर्त, नोट कर लें चांद निकलने का समय
हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास करती हैं। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिक जी के साथ करवा माता और चंद्र देव की पूजा का विधान है। करवा चौथ का व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है। इस व्रत में चांद की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उनका दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है। तो आइए जानते हैं इस साल करवा चौथ की पूजा के लिए कौनसा समय सबसे उत्तम रहेगा।
साल 2024 में करवा चौथ कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से होगा। चतुर्थी तिथि का समापन 21 अक्तूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, रविवार के दिन रखा जाएगा।
करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
पंचांग के मुताबिक, करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ की पूजा के लिए महिलाओं को करीब 1 घंटा 16 मिनट का समय मिलेगा। करवा चौथ व्रत का समय सुबह 6 बजकर 25 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। वहीं चंद्रोदय की बात करें तो 20 अक्टूबर को करवा चौथ का चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट का रहेगा।
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