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हनुमान जयंती के दिन न करें ये भूल, बजरंगबली के साथ ही रूठ जाएंगे शनि देव

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हनुमान जयंती का पावन पर्व 23 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था और इसीलिए हर वर्ष इसी तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। संकटमोचन की पूजा आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद तो प्राप्त होता है, लेकिन इस दिन कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिनको करने से आपको बचना चाहिए। अगर आप इन कार्यों को करते हैं तो न केवल हनुमान जी बल्कि शनि देव भी आप से रूठ सकते हैं।

हनुमान जयंती के दिन न करें ये काम 

  • हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं और अपने भक्तों से भी भगवान यही कामना करते हैं कि, भक्त विशेष दिनों पर उनकी तरह आचरण करें। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि हनुमान जी आप से अप्रसन्न न हों तो आपको हनुमान जयंती के दिन ब्रह्मचर्या का पालन करना चाहिए।
  • अगर आप चाहते हैं कि हनुमान जी की कृपा आप पर बरसे तो भूलकर भी हनुमान जयंती के दिन मांस-मदिरा और तामसिक प्रकृति के पदार्थों का सेवन न करें।
  • हनुमान जयंती के दिन आपको अपने आसपास के वातावरण और मन को भी शुद्ध रखना चाहिए और क्रोध करने से बचना चाहिए। किसी के प्रति भी अगर आपके मन में बुरे विचार आ रहे हैं तो आपसे हनुमान जी नाखुश हो सकते हैं। इस दिन आपको धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।
  • हनुमान जी की पूजा के दौरान चरणामृत का प्रयोग करने से भी आपको बचना चाहिए और साथ ही हनुमान जी की टूटी प्रतिमा या फटी हुई तस्वीर भी पूजा स्थल पर नहीं होनी चाहिए।
  • माता-पिता, गुरुजनों या फिर बड़े-बुजुर्गों को अगर आप इस दिन अपमानित करते हैं तो हनुमान जी की कृपा से वंचित रह सकते हैं।
  • अगर इस दिन हनुमान जी की पूजा करने वाले हैं या व्रत रखने वाले हैं तो भूलकर भी राम जी का ध्यान करना न भूलें। इस दिन हनुमान जी की पूजा के साथ ही आपको भगवान राम की आराधना भी करनी चाहिए। अगर आप हनुमान जी के आराध्य राम जी की पूजा इस दिन नहीं करेंगे तो हनुमत कृपा से वंचित रहेंगे।

हनुमान जयंती पर ये गलतियां करने से रूठेंगे शनि देव

शनि देव को एक बार हनुमान जी ने रावण की कैद से छुड़वाया था, और साथ ही उनके शरीर के दर्द को दूर करने के लिए सरसों का तेल उनके शरीर पर लगाया था। शनि देव को इससे बहुत राहत मिली थी और उन्होंने हनुमान जी को वचन दिया था कि, आपके भक्तों पर मैं कभी क्रूर दृष्टि नहीं डालूंगा और आपका जो भी भक्त मुझे सरसों का तेल अर्पित करेगा उसकी सभी पीड़ाएं में हर लूंगा। इसलिए अगर आप हनुमान जयंती के दिन कोई ऐसा काम करते हैं जिससे हनुमान जी रूठ जाएंगे तो शनि देव की क्रूर दृष्टि का शिकार भी आप बन सकते हैं।

इसके साथ ही हनुमान जयंती के दिन लोहा आपको नहीं खरीदना चाहिए और ना ही काले कपड़े पहनने चाहिए, हालांकि यह दोनों ही चीजें शनि देव को प्रिय हैं लेकिन हनुमान जी को यह चीजें प्रिय नहीं हैं। इसलिए इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने और लोहे का सामान खरीदने से हनुमान जी और शनि देव दोनों को ही आप नाखुश कर सकते हैं।

 

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ज्योतिष

गणपति बप्पा की पूजा में जरूर शामिल करें ये 3 चीजें, गणेश जी खुशियों से भर देंगे झोली

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आज से गणपति उत्सव का आरंभ हो चुका है। गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। हर साल गणपति उत्सव को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के पहले दिन लोग अपने घरों में बप्पा की मूर्ति लाते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं। विघ्नहर्ता की कृपा पाने के लिए आज पूजा में इन चीजों को जरूर शामिल करें। गजानन जी को ये चीजें अर्पित करने से घर में सुख-सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है।

भगवान गणेश को चढ़ाएं ये चीजें

गणेश चतुर्थी की पूजा में बप्पा को मोदक, चावल की खीर और फल जरूर अर्पित करें। इन 3 चीजों को भगवान गणेश को चढ़ाने से भक्तों को बुद्धि, ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा गणपति बप्पा को बूंदी के लड्डू और बेसन की बर्फी का भोग लगाना भी बिल्कुल न भूलें। वहीं गणपति जी की पूजा में सिंदूर, दुर्वा, गुड़हल, गेंदा के फूल और नारियल भी अवश्य अर्पित करें। इन चीजों को गणेश जी को चढ़ाने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

गणेश जी मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा, जबकि इसका समापन दोपहर 1 बजकर 34 मिनट पर होगा। इसी मुहूर्त में गणपति जी मूर्ति को अपने घर में स्थापित करें। कहते हैं कि जिस घर में बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है वहां से सभी तरह के दुख-दर्द और संकट दूर हो जाते हैं। उस घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।

 

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आस्था

हरतालिका तीज व्रत का पारण कब किया जाएगा? जानें टाइमिंग और व्रत खोलने का सही नियम

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हरतालिका तीज के दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। तीज का यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। कहते हैं कि जो भी विवाहित महिलाएं हरतालिका का व्रत रखती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य के साथ सुखी और खुशहाल दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। हरतालिका तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। मान्यता है कि तीज का व्रत करने से अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर रात को प्रदोष काल में पूजा करने का विधान है। तो चलिए जानते हैं कि हरतालिका तीज व्रत का पारण कब क्या किया जाएगा।

हरतालिका तीज 2024 पारण का समय और नियम

हरतालिका तीज व्रत का पारण दूसरे दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रती महिलाएं 7 सितंबर 2024 को सूर्योदय के बाद यानि सुबह 6 बजकर 14 मिनट के बाद तीज का व्रत खोल सकती हैं। हरतालिका तीज व्रत का पारण करते समय इन बातों का भी जरूर ध्यान रखें। सूर्योदय से पहले स्नान-आदि कर साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद प्रसाद अर्पित करें। अब जल पिएं और प्रसाद को ग्रहण को ग्रहण कर तीज का व्रत खोलें। ध्यान रहें कि हरतालिका तीज का व्रत लहसुन-प्याज और नमक वाले खाने से न खोलें।

हरतालिका तीज व्रत 2024 पूजा शुभ मुहूर्त 

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर

प्रातःकाल हरतालिका पूजा शुभ मुहूर्त- 6 सितंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक

हरतालिका तीज प्रदोश काल मुहूर्त- 6 सितंबर को शाम 6 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 59 मिनट तक

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ज्योतिष

Hartalika Teej 2024: आज हर​तालिका तीज के दिन इस विधि से करें पूजा, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

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आज सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी। यह व्रत निर्जला रखा जाता है और इसमें भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा का विधान है। आज के दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। वहीं जो कुंवारी कन्याएं तीज का व्रत रखती हैं उन्हें मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होगी। बता दें कि हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है।

हरतालिका तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार,, माता पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था। वह हमेशा भगवान शिव की तपस्या और ध्यान में लीन रहती थीं। पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता होने लगी। इस संबंध में उन्होंने नारदजी से बात की फिर उनके कहने पर उन्‍होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्‍णु से कराने का निश्चय किया। पार्वतीजी, विष्‍णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं। वहां पार्वती जी ने कठोर तप और शिवजी की उपासना की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत या मिट्टी से शिवलिंग बनाकर शिवजी की स्तुति की।  माता पार्वती तब तक कठिन तपस्या करती रही जब तक शिवजी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया। कहते हैं कि मां पार्वती की तपस्या देखने के बाद भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिया और पत्नी की रूप में पार्वती जी को स्वीकार किया। कहते हैं कि तभी से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज व्रत करने की परंपरा शुरू हुई।

भगवान शिव का मंत्र- 

  • ओम नम: शिवाय
  • ओम महेश्वराय नमः
  • ओम पशुपतये नमः

माता पार्वती का मंत्र

  • ओम पार्वत्यै नमः
  • ओम उमाये नमः
  • या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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