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आज ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, जीवन की हर समस्या होगी दूर

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आज स्नान-दान की पूर्णिमा है। बता दूँ कि जब पूर्णिमा दो दिनों की होती है तो पहले दिन व्रत किया जाता है और दूसरे दिन स्नान-दान आदि किया जाता है। पूर्णिमा तिथि बीते हुये कल यानि 21 जून की सुबह 7 बजकर 33 मिनट से आज सुबह 6 बजकर 38 मिनट तक थी। लिहाजा व्रतादि की पूर्णिमा तो कल ही मनायी जा चूकी है और आज उदया तिथि पूर्णिमा में स्नान-दान की पूर्णिमा मनायी जा रही है। आज के दिन देव स्नान पूर्णिमा भी है । आज के दिन भगवान जगन्नाथ की जलयात्रा निकाली जायेगी। आज ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कुछ उपाय करके आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

  • अगर आपकी शादीशुदा जिंदगी में किसी प्रकार की परेशानी चल रही है तो आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद बिल्ववृक्ष के पास जाना चाहिए और वहां जाकर वृक्ष के पास धूप जलानी चाहिए। इसके बाद उस धूप से निकलते धुएं को अपने दोनों हाथों से लेकर अपनी बंद आंखों पर धीरे-धीरे करके लगाएं और हाथों को कान के पीछे तक ले जायें। अब अपनी आंखों को खोल लें और बिल्व वृक्ष को प्रणाम करके घर वापिस आ जायें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी शादीशुदा जिंदगी में चल रही परेशानी जल्द ही समाप्त होगी।
  • अगर आप अपनी जिंदगी को खुशियों से भरना चाहते हैं तो आज के दिन स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनें । इसके बाद एक लोटे में जल लेकर बिल्व वृक्ष, यानि बेल के पेड़ के पास जायें और उसकी जड़ में जल चढ़ाएं। साथ ही ‘ऊँ’ शब्द का उच्चारण करें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी जिंदगी खुशियों से भर जायेगी।
  • अगर लवमेट के साथ आपकी किसी बात को लेकर अनबन चल रही है तो आज के दिन स्नान आदि के बाद एक पात्र में जौ के दाने लेकर, पात्र समेत बिल्व वृक्ष के नीचे रख आयें और दो मिनट वहीं बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें। आज के दिन ऐसा करने से लवमेट के साथ चल रही अनबन जल्द ही दूर होगी।
  • अगर आप हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद बिल्व वृक्ष के पास जाकर मिट्टी के दीपक में घी और बाती डालकर ज्योत जलानी चाहिए।साथ ही बेल का फल लेकर शिवजी को अर्पित करना चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपको हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।
  • अगर आप जीवन में अथाह धन लक्ष्मी की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आज के दिन आपको खीर और घी के साथ बिल्व वृक्ष, यानि बेल के पेड़ की समिधाओं से हवन करना चाहिए। बिल्व वृक्ष की समिधाएं आपको किसी भी पंसारी की दुकानसे आसानी से मिल जायेगी। आज के दिन बिल्व वृक्ष की समिधाओं से होम करने से आपको अथाह धन लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
  • अगर आप अपनी संतान की जीवन में तरक्की देखना चाहते हैं तो आज के दिन स्नान आदि के बाद एक मुट्ठी गेहूं के दाने लीजिये और उन्हें अपनी संतान के हाथों से स्पर्श कराइए। अब बेल के पेड़ के पास जाकर उन गेहूं के दानों को वहीं जमीन में दबा दें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी संतान की तरक्की ही तरक्की होगी।
  • अगर आप अपने शत्रुओं की नित नई चालों से परेशान हैं तो उनसे बचने के लिये आज के दिन आपको शिव मंदिर में दूध का पैकेट दान करना चाहिए। साथ ही माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से शत्रुओं की नित नई चालों से आपको जल्द ही छुटकारा मिलेगा।
  • अगर आप अपनी कोई इच्छा पूरी करना चाहते हैं तो आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद बिल्व पत्रों से उमा-महेश्वर की विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है-‘ऊँ नमः शिवाय’आज के दिन ऐसा करने से आपकी इच्छा जल्द ही पूरी होगी।
  • अगर आप अपने परिवार की समृद्धि बनाये रखना चाहते हैं तो उसके लिये आज के दिन आपको एक मिट्टी के पात्र में चावल लेने चाहिए और बेल के पेड़ के पास जाकर, पेड़ को प्रणाम करके पात्र सहित चावल वहां रखकर आने चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपके परिवार की समृद्धि बनी रहेगी।
  • अगर आपके और आपके जीवनसाथी के बीच अनबन इतनी बढ़ गई है कि बात अब कोर्ट-कचहरी तक जा पहुंची है और आप उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो उससे बाहर निकलने के लिये आज के दिन आपको बेल पत्रों से होम करना चाहिए। आप चाहें तो ये होम किसी ब्राह्मण से करवा सकते हैं या फिर स्वयं भी घर पर होम कर सकते हैं। आज के दिन बेल पत्रों से होम करने से आपकी समस्या का हल निकलेगा और आपका जीवनसाथी धीर-धीरे करके आपके प्रति कुछ नरमी बरतेगा।
  • अगर आप अपने कार्यों में सफलता पाना चाहते हैं तो आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद एक लोटे में जल लेना चाहिए और उसमें कुछ बेल पत्र डालने चाहिए। अब शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर वो जल अर्पित करना चाहिए आज के दिन ऐसा करने से आपको अपने कार्यों में सफलता जरूर मिलेगी।
  • अगर आप अपने लवमेट के साथ अपने प्यार के रिश्ते को शादी में बदलना चाहते हैं तो इस शुभ काम के लिये आज के दिन आपको 21 बेल पत्र लेकर उन्हें सफेद मोटे धागे में पिरोकर उनकी एक माला बनानी चाहिए और भगवान शंकर को वो माला अर्पित करनी चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से लवमेट के साथ आपके प्यार का रिश्ता जल्द ही शादी में बदल जायेगा।

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नवरात्रि में कलश स्थापना के वक्त इन बातों का रखें ध्यान, जानें मुहूर्त और पूजा विधि

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वाराणसी: शक्ति उपासना के पर्व नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है .नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है. कलश स्थापना के साथ ही देवी उपासना के 9 दिनों के इस विशेष पूजा की शुरुआत होती है .कलश स्थापना कैसे करें? इस दौरान किन बातों का ख्याल रखें ? कौन सा समय कलश स्थापना के लिए सबसे सही है? आप के मन में भी यदि यह सवाल है तो आज ही अपने सभी सवालों के जवाब काशी के ज्योतिषाचार्य से जान लीजिए. कि कलश स्थापना के बगैर नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का एक शुद्ध कलश, मिट्टी, जौ, नारियल, लाल चुनरी, साड़ी, मिट्टी का दीया, सिक्का, आम का पत्ता, सुपारी, अक्षत का होना जरूरी है.

ऐसे करें कलश स्थापना
स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त या शुभ मुहूर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए. सुबह स्नान के बाद मिट्टी को किसी पात्र में डालकर उसे गीला कर लेना चाहिए. उसके बाद उसमें जौ बौना चाहिए. इसके बाद मिट्टी के कलश को उस पर स्थापित करना चाहिए. उसके बाद कलश में गंगा जल भरना चाहिए. इसके बाद उसमें सुपारी, सिक्का, फूल डालकर उस पर अक्षत्र भरा मिट्टी का कसोरा रखना चाहिए.इस कलश के सामने एक मां की प्रतिमा रखें. फिर पूरे वैदिक विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा पाठ का यह क्रम नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक करना चाहिए. उसके बाद दशहरा के दिन इसका विसर्जन करना चाहिए.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त?
स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस बार नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है. कलश स्थापना के लिए 3 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 2 मिनट का समय शुभ है. इसके अलावा दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से 2 बजकर 40 मिनट के बीच भी आप घर में कलश स्थापना कर सकते हैं.

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शनि देव को भूलकर भी न चढ़ाएं ये फूल,वारना काम में बढ़ जाएंगी अड़चनें..

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हिन्दू धर्म में शनि देव को कर्मफलदाता के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि शनि देव आपसे प्रसन्न हैं तो वे आपको फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचा देते हैं और यदि आपसे रुष्ठ हुए तो अर्श से फर्श पर भी ले आते हैं. यही कारण है कि उनकी पूजा में कई सारे नियमों का पालन करना जरूरी होती है. हम शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई फूल चढ़ाते हैं लेकिन अनजाने में ऐसे फूल चढ़ा देते हैं, जिनसे शनि देव आपसे नाराज हो सकते हैं. इन फूलों को शनि देव पर चढ़ाना वर्जित माना गया है. कौन से हैं ये फूल? आइए जानते हैं

लाल रंग के फूल
आपने पौधों में लगे लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल या गुलाब कई देवी या देवताओं पर चढ़ाएं होंगे. कहा जाता है कि लाल रंग के फूल खास तौर पर मां दुर्गा को प्रिय होते हैं, लेकिन आप लाल रंग के फूल शनि देव को कभी ना चढ़ाएं. इससे आपको आने वाले समय में समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.ऐसा कहा जाता है कि लाल रंग का संबंध मंगल से होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और मंगल का एक होना शुभ नहीं माना गया है क्योंकि जब आप लाल रंग के फूल शनि देव को चढ़ाते हैं तो इसका मतलब मंगल को उनके समक्ष रखना, जिससे शनि देव आपसे नाराज हो सकते हैं और आपको जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

गेंदे का फूल
आपने आमतौर पर सभी देवी या देवताओं के मंदिर में गेंदा के फूल देखे होंगे. शास्त्रों में भी कहा जाता है कि गेंदे का फूल चढ़ाने से भगवान हमसे प्रसन्न होते हैं लेकिन शनि देव के चरणों में यदि आप गेंदे का फूल चढ़ाते हैं तो इसे अशुभ माना जाता है. इसका कारण है गेंदे के फूल का सूर्य का प्रतीक होना. सूर्य देव से शनि देव का पिता- पुत्र का संबंध है, बावजूद इसके दोनों के ही संबंध अच्छे नहीं माने जाते. ऐसे में जब आप गेंदे का फूल शनि देव को चढ़ाते हैं, जोकि सूर्य का प्रतीक है तो शनि देव आपसे नाराज हो सकते हैं और उनके क्रोध से आपके जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं.

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करवा चौथ के दिन इतने ही देर रहेगा शुभ मुहूर्त, नोट कर लें चांद निकलने का समय

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हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास करती हैं। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिक जी के साथ करवा माता और चंद्र देव की पूजा का विधान है। करवा चौथ का व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है। इस व्रत में चांद की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उनका दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है। तो आइए जानते हैं इस साल करवा चौथ की पूजा के लिए कौनसा समय सबसे उत्तम रहेगा।

साल 2024 में करवा चौथ कब है? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से होगा। चतुर्थी तिथि का समापन 21 अक्तूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, रविवार के दिन रखा जाएगा।

करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

पंचांग के मुताबिक, करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ की पूजा के लिए महिलाओं को करीब 1 घंटा 16 मिनट का समय मिलेगा। करवा चौथ व्रत का समय सुबह 6 बजकर 25 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। वहीं चंद्रोदय की बात करें तो 20 अक्टूबर को करवा चौथ का चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट का रहेगा।

 

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