Connect with us

सेहत

इस विटामिन की कमी से बिगड़ जाती है पेट की सेहत, पाचनतंत्र का हो जाता है बुरा हाल

Published

on

SHARE THIS

पाचनक्रिया का खराब होना खाने-पीने के तरीके, डाइट, लाइफस्टाइल और कई अन्य चीजों से जुड़ा होता है। लेकिन, शायद आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि शरीर में किसी विटामिन की कमी की वजह से भी हो सकता है। दरअसल, कुछ विटामिन बॉडी के कुछ खास अंगों के लिए काम करते हैं और इनके फंक्शन को सपोर्ट करते हैं। ऐसा ही एक विटामिन है जो हमारे पेट के लिए काम करता है और इसके काम काज को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। तो, क्या है ये विटामिन, पेट के लिए क्यों जरूरी है और इसकी कमी को हम कैसे पूरी कर सकते हैं। जानते हैं इन तमाम चीजों के बारे में विस्तार से।

पेट की सेहत के लिए ये विटामिन है ज़रूरी:

विटामिन बी3 की कमी से पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है। दरअसल, विटामिन बी3 जिसे नियासिन भी कहते हैं वो भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए आपके शरीर द्वारा बनाया और उपयोग किया जाता है। यह आपके तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह थायराइड  में भी सुधार कर सकता है और आपके पाचन तंत्र की गति को संतुलित करता है। इस प्रकार से ये गट हेल्थ को हेल्दी रखने में मददगार है।

विटामिन बी3 मेटाबोलिज्म को तेज करता है:

विटामिन बी3 फैट मेटाबोलिज्म को तेज करता और इसकी गति बढ़ाता है। ये आपके मेटाबोलिक स्थिति में सुधार करता है और इसमें तेजी लाता है जिससे पेच फैट को तेज गति से पचा लेता है। इससे फैट शरीर के अन्य हिस्सों में जमा नहीं होता और इससे आप मोटापा से बचते हैं।

हो सकती हैं ये समस्याएं: 

विटामिन बी3 की कमी से आपको गैस और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। यह आंत में सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है और ब्लोटिंग से बचाता है। इससे अलावा ये पेटकी लेयरिंग को सही करता है और गैस की समस्या से बचाता है। इस प्रकार से ये विटामिन सेहत के लिए फायदेमंद है।

SHARE THIS

सेहत

50 फीसदी से ज्यादा बच्चे मोटापे का शिकार, क्यों तेजी से फैल रही ये बीमारी?

Published

on

SHARE THIS

हमारे देश में बच्चों में मोटापे को सेहतमंद माना जाता है और मोटे बच्चे को हेल्दी होना माना जाता है. यानी बच्चा जितना गोलू-मोलू और मोटा उतना ही हेल्दी. लेकिन ऐसा नहीं है बच्चों में मोटापा भी एक गंभीर समस्या है और ये कई बीमारियों का संदेश है. सीडीसी यानी कि सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक दुनियाभर में पिछले दो दशकों में बच्चों में मोटापे की समस्या एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है और बच्चों की आधे से ज्यादा आबादी ओबेसिटी यानी मोटापे का शिकार है जिससे आगे आने वाले समय में ये जब एडल्ट्स होंगे तब तक इन बच्चों को कई बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले चुकी होंगी. सीडीसी के मुताबिक बच्चों में मोटापा एक चिंता की बात है जो आगे आने वाले समय में हेल्दी एडल्ट्स न होने की समस्या पैदा करेगी और ये बीमारियां जनरेशन टू जनरेशन पास होंगी. बच्चों और यंग बच्चों में मोटापे की बढ़ती दर हेल्थ प्रोफेशनल्स के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. केवल अमेरिका में ही 2 से 19 साल के लगभग 14.7 मिलियन लोग मोटापे से ग्रस्त हैं. मोटापा उन परिवारों को ज्यादा प्रभावित करता है जो आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े हुए है. ऐसे में किसी भी देश का स्वास्थ्य खर्च बढ़ जाता है. डब्ल्यूएचओ भी मोटापे को एक बीमारी घोषित कर चुका है और इससे कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.

बच्चों में मोटापा बढ़ने के कारण

1. बच्चों में मोटापा बढ़ने के कई कारक जिम्मेदार हैं.

2. बच्चों में बढ़ता अनहेल्दी लाइफस्टाइल का चलन भी बच्चों में मोटापा बढ़ा रहा है. आज के बच्चे बाहर जाकर खेलने की बजाय मोबाइल पर बैठकर गेम्स खेलना ज्यादा पसंद करते हैं. इससे बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी की कमी मोटापे का कारण बन रही है.

3. अनहेल्दी इटिंग भी बच्चों में मोटापे की समस्या को बढ़ा रहा है. बाहर का जंक और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड बच्चों का फेवरेट इटिंग ऑप्शन है, जिसमें ज्यादा कैलोरी के चलते बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं.

4. जेनेटिक कारण भी बच्चों में मोटापे की वजह बन रहे हैं, जिन परिवारों में माता-पिता पहले से ही मोटापे से पीड़ित है ऐसे में बच्चों का वजन बढ़ना भी लगभग तय हो जाता है. यही कारण है कि ये समस्या जररेशन टू जनरेशन पास हो रही है.

5. स्ट्रेस और तनाव भी बच्चों में मोटापे का कारण बन रहा है. पढ़ाई, ग्रेड्स और अन्य कई वजह बच्चों में तनाव को बढ़ाते हैं जिससे बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं.

बच्चों में कैसे कंट्रोल करे मोटापा

1. बड़ों की बजाय बच्चों में मोटापे को जल्द कंट्रोल किया जा सकता है इसके लिए बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाएं. बच्चों को इनडोर गेम्स की जगह आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. बच्चों को रनिंग, फुटबॉल, क्रिकेट आदि गेम्स खेलने के लिए कहें.

2. बच्चों की इटिंग हैबिट्स को सुधारें, बाहर के जंक फूड्स की बजाय घर का खाना खाने की आदत डालें. साथ ही बच्चों को ओवरइटिंग करने से रोकें.

3. बच्चों के वजन और हाइट को समय समय पर मॉनीटर करें, और बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें.

SHARE THIS
Continue Reading

सेहत

इस पेड़ में छुपा है कई बीमारियों का इलाज, पेट रोग और मलेरिया के लिए तो रामबाण..

Published

on

SHARE THIS

22 अक्टूबर 2024:-  हिमालय कई बेशकीमती जड़ी बूटियों का खजाना है. इन जड़ी बूटियों का प्रयोग कई प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता है, ऐसा ही एक औषधीय पौधा है अतीस ( एकोनिटम हेटरोफाइलम) जिसका प्रयोग कई प्रकार के रोगों से निपटने के लिए किया जाता है. वैसे तो एकोनिटम की कई प्रजातियां हैं, इनमें एक अतीस है. औषधीय गुण होने के चलते इसका लगातार अवैध दोहन भी हो रहा है. भारत में एकोनिटम की 30 प्रजातियां मिलती हैं. वहीं, विश्व भर में एकोनिटम की 300 से अधिक प्रजातियां हैं, लेकिन इनमें कुछ प्रजातियां जहरीली भी होती हैं. लेकिन अतीस जहरीला नहीं होता.

पेट के रोगों के लिये है रामबाण

डॉ. जयदेव चौहान बताते हैं कि अतीस की जड़ों में एक बहुत महत्वपूर्ण यौगिक, अतिसयम अकोनेटिक एसिड पाया जाता है, जिसका उपयोग फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा किया जाता है. इसी कारण इसका अत्यधिक मात्रा में दोहन होता है. उन्होंने बताया कि इस पौधे की ऊंचाई लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर होती है. इसकी जड़ों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीहेलमिंथिक गुण होते हैं, और यह पेट के कीड़ों को नष्ट करने के साथ-साथ एंटीबायोटिक गुणों के लिए भी जाना जाता है

मलेरिया के इलाज होता है उपयोग

डॉ. चौहान बताते हैं कि अतीस पर किए गए शोध के दौरान यह पाया गया है कि इसमें एंटीप्लाज्मोडियल गुण होते हैं, जिसके कारण इसका उपयोग मलेरिया के उपचार में भी किया जाता है. मलेरिया के दौरान रोगी के लिए यह काफी फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि मलेरिया के समय लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की संख्या घट जाती है, और अतीस का पौधा RBC काउंट को कम होने से रोकता है. उन्होंने बताया कि शोध में बेदनी बुग्याल, तुंगनाथ और सुंदरडुंगा में पाए जाने वाले अतीस में टूओसिनेमाइल नामक यौगिक पाया गया है, जो एंटीप्लाज्मोडियल गुणों से भरपूर है और मलेरिया के इलाज में उपयोगी होता है

SHARE THIS
Continue Reading

सेहत

डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल बन सकता है लिवर कैंसर का कारण, ऐसे करें बचाव..

Published

on

SHARE THIS

भारत में लिवर की बीमारियों के केस अब बढ़ रहे हैं. फैटी लिवर और लिवर सिरोसिस जैसी बीमारी अब पहले की तुलना में ज्यादा हो रही है. लिवर में कैंसर भी होता है. अधिकतर मामलों में लिवर कैंसर की पहचान काफी देरी से होती है. लिवर कैंसर कई प्रकार के होते हैं. इनमें एक म ( एचसीसी) का सबसे आम प्रकार है. इस कैंसर की शुरुआत फैटी लिवर से हो सकती है. अगर फैटी लिवर की बीमारी को बिना इलाज छोड़ दिया तो ये लिवर सिरोसिस का कारण बन सकती है. लिवर सिरोसिस हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा लिवर कैंसर कर सकती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस, क्रोनिक हेपेटाइटिस, या फैटी लिवर रोग वाले लोगों में हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा लिवर कैंसर होता है. भारत में एचसीसी की घटना चीन या अफ्रीका जैसे अन्य देशों की तुलना में कम है. भारत में, एचसीसी मुख्य रूप से हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) संक्रमण के कारण होता है, इसके बाद हेपेटाइटिस सी होता है. लोगों में लिवर के इस कैंसर के बारे में जानकारी का काफी अभाव है. इस वजह से हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा लिवर कैंसर के मामले आखिरी स्टेज में सामने आते हैं. ऐसे में मरीज की जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है.

डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल भी कैंसर का कारण

मणिपाल हॉस्पिटल ओल्ड एयरपोर्ट रोड में लिवर ट्रांसप्लांटेशन और रोबोटिक सर्जरी विभाग में डॉ. राजीव लोचन बताते हैं कि हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा कैंसर शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाता है. हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण लिवर को नुकसान पहुंचाता है. नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग मेटाबॉलिज्म-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (एमए-एसएलडी) -एचसीसी के जोखिम को बढ़ा सकता है. मोटापा, डायबिटीज ( बढ़ा हुआ शुगर लेवल) हाई कोलेस्ट्रॉल और कुछ मामलों में जेनेटिक कारणों से भी ये कैंसर हो सकता है. हेमोक्रोमैटोसिस से लिवर में आयरन की अधिकता हो जाती है और लिवर की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.

क्या एचसीसी को ठीक किया जा सकता है?

एचसीसी को ठीक किया जा सकता है, लेकिन यह काफी हद तक शुरुआती पहचान पर निर्भर करता है. नियमित स्क्रीनिंग के माध्यम से शीघ्र पता लगाना से इस कैंसर का इलाज किया जा सकता है. सर्जिकल रिसेक्शन (हेपेटेक्टोमी) और लिवर ट्रांसप्लांट के जरिए इस कैंसर के मरीजों की जान बचाई जा सकती है.

SHARE THIS
Continue Reading

खबरे अब तक

WEBSITE PROPRIETOR AND EDITOR DETAILS

Editor/ Director :- Rashid Jafri
Web News Portal: Amanpath News
Website : www.amanpath.in

Company : Amanpath News
Publication Place: Dainik amanpath m.g.k.k rod jaystbh chowk Raipur Chhattisgarh 492001
Email:- amanpathasar@gmail.com
Mob: +91 7587475741

Trending