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Gangubai Kathiawadi Review: सेक्स वर्कर की छवि तोड़ती है गंगूबाई, आलिया भट्ट फायर तो विजय राज बारूद

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फिल्म – Gangubai KathiawadiAlso

कास्ट – आलिया भट्ट, अजय देवगन, विजय राज, शांतनु माहेश्वरी, सीमा पाहवा, इंदिरा तिवारी, जिम सर्भ

निर्देशक – संजय लीला भंसाली

कहां देख सकते हैं  – सिनेमाघर में

पर्दे पर:  Feb 25,2022

शैली: बायोपिक

रेटिंग – 4

Gangubai Kathiawadi Review In Hindi: आलिया भट्ट (Alia Bhatt) अजय देवगन (Ajay Devgn) की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (Gangubai Kathiawadi) रिलीज हो चुकी है और एक बार फिर से संजय लीला भंसाली एक शानदार कहानी लेकर दर्शकों के सामने आए हैं. फिल्म के बारे में बात करने से पहले बता दें कि फिल्म हुसैन जैदी की किताब ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ पर आधारित है. गंगूबाई काठियावाड़ी में आलिया भट्ट और अजय देवगन के अलावा विजय राज, सीमा पहवा और शांतनु माहेश्वरी भी अहम किरदारों में नजर आएंगे. तो चलिए जानते हैं कि संजय लीला भंसाली और आलिया भट्टी की जोड़ी ने आखिर पर्दे पर सफेद रंग को किस से दर्शाया है और उन्होंने गंगूबाई के किरदार के साथ कितना न्याय किया है.

क्या है फिल्म की कहानी

16 साल की ‘गंगा हरजीवन दास’ गुजरात के ‘काठियावाड़’ की एक लड़की थी औऱ एक्ट्रेस बनने का सपना उसे मुंबई लेकर आया और उसे बेचने वाला वो लड़का था जिस गंगा प्यार करती थी और वो उसे महज 1 हाजर रुपये के लिए बेच कर चला जाता है और यहीं से गंगा ने गंगूबाई तक का सफर तय किया और इसके बाद वो धीरे-धीरे हर किसी के लिए लड़ने लगी और इसके बाद शुरू होता है गंगू का वेश्यावृति से लेकर माफिया क्वीन बनने तक का सफर. गंगूबाई नाम के एक किरदार के सेक्स का व्यापार करने के बावजूद, पॉज़िटिव कहानी को पर्दे पर सफलता पूर्वक उतार पाना बेहद मुश्किल था लेकिन संजय लीला भंसाली ने उसे बेहद आसानी से उतारा है और भारतीय सिनेमा में सेक्स व्यापार पर ऐसी गंभीर फिल्में बेहद कम बनी हैं और कोरोना के बाद इतनी बड़ी फिल्म पर्दे पर आई है जो आपके इंतजार को सफल करती है. गंगूबाई एक गुंडी महिला है लेकिन क्या महिला है. आलिया ने पूरा स्क्रीन अपने नाम कर लिया है अपनी आंखों में एक लाचारी और मायूसी लिए चलती है, वो देखना शानदार अनुभव था. जब से मैंने गंगा को गंगू बनते देखा, तब से मैंने रोना शुरू कर दिया. पूरी फिल्म में मैं कभी हंसी और कभी रोई…. शब्द ही नहीं हैं और भंसाली आप एक जादूगर हैं.

कैसा है निर्देशन

ये फिल्म एक टिपिकल संजय लीला भंसाली की फिल्म है जो डार्क है और अलग-अलग रंगो में लिपटी ये फिल्म एक बड़े और शानदार सेट पर लेकर जाती है और उस दुनिया को यकीन दिलाता है जो भंसाली ने बनाई है. फिल्म को बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया गया है. गंगूबाई, माफिया क्वीन से आगे बढ़कर एक अलग तरह के किरदार को लेकर आगे बढ़ती है जिसे सेक्स वर्कर्स का प्यार मिलता है, वहां पर फिल्म थोड़ी ढीली पड़ती है. हालांकि फिल्म के कई सीन्स काफी दमदार और फैन्सी म्यूजिकल बीट्स फिल्म को आगे ले जाने में साथ देते हैं और आलिया के तो क्या है कहने उनकी जितनी तारीफ करो उतनी कम है. अगर फिल्म के लंबाई की बात करे तो ये आपको 2 घंटे से अधिक तक सीट पर बांधे रखती है, आंखें भंसाली की दुनिया की चकाचौंध में खो जाती है और इस बेहद अहम मुद्दे के बारे में दिमाग सोचने लग जाता है.

गंगूबाई के किरदार को बनाया हीरो

एक युवा लड़की से वेश्यावृत्ति में और एक नेता के रूप में उसकी कहानी, जिसने देश में इस सर्विस को लीगल बनाने वाले पहले कानूनों को लाने में मदद की है और एक तरह से वो उन लोगों के लिए एक भगवान थी. इस फिल्म के बारे में सबसे खास बात ये है कि ये फिल्म एक बेहद ईमानदार कोशिश है एक आम सी कहानी को एक भव्य तरीके से सुनाने की और ये कोशिश आपको छूती है. बहुत मुश्किल से ऐसी कहानियों को इतने बड़े बजट में इतने भव्य सूत्र में पिरोया जाता है. एक शानदार कास्ट, इस कोशिश को और सफल बनाती है. फिल्म की कास्ट पर आप सवाल नहीं उठा सकते हैं. सिनेमा के इंटरटेनमेंट के साथ इस फिल्म के मेसेज को तत्काल रूप से बेहद ज़रूरी बना देता है.

अभिनय

आलिया भट्ट इस फिल्म को अपने कंधों पर लेकर चलती है और गंगा से गंगू फिर गंगूबाई और बाद में पूरे कमाठिपूरा पर राज करने वाली एक माफिया. आलिया ने अपने हर किरदार को हर पल में उतार दिया है और उन्होंने अपने गम, खुशीयों और साथ ही अपनी हंसी से इस फिल्म को वो बना दिया है जिसकी उम्मीद संजय लीला भंसाली कर रहे थे. वहीं अजय देवगन जब भी पर्दे पर आते हैं अपने ही अंदाज में छा जाते हैं, उन्हें देखकर आपके उनके वन्स अपॉन टाईम इन मुंबई के किरदार सुल्तान मिर्जा की याद जाती है, वो कुछ उसी अंदाज में मसीहा बनकर आते हैं. वहीं फिल्म में सीमा पहवा ने मौसी का किरदार निभाया है जो कोठे को चलाती है और वो जब तक रहती हैं अपने किरदार पर इतराती हुई नजर आती हैं. इसके अलावा आपको शांतनु माहेश्वरी के शांत किरदार से प्यार हो जाएगा, जो जिस्म की इस भूख में सच्चा प्यार तलाश करता है. वहीं रजियाबाई के किरदार में एक बार फिर से विजय राज ने साबित कर दिया है कि वो हर किरदार में जान फूंक सकते हैं और उनके आगे आलिया भी फीकी पड़ रही थी. इसके साथ ही फिल्म में आपको तोहफे के तौर पर जिम सर्भ मिलेंगे, जिन्होंने एक खास किरदार निभाकर गंगूबाई को वो बनाया जो वो बनना चाहती थी.

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मणिपुर में बोले अमित शाह, ’15 दिन में हो जाएगा हिंसा का राजनीतिक समाधान’

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इंफाल: मणिपुर दौरे के अपने अंतिम दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस शांतिप्रिय राज्य में हिंसा होना बेहद हु दुखद है। उन्होंने कहा कि हम कुछ दिनों में राज्य में शांति ले आएंगे। उन्होंने कहा कि अगले 15 दिनों में इस हालात का राजनीतिक समाधान निकाल लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विगत 9 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाजी भरे फैसले के कारण यहां पर जातीय हिंसा और दो ग्रुप के बीच में हिंसा की शुरुआत हुई थी। लेकिन हमारी सरकार इसका समाधान निकाल लेगी।

मणिपुर हो गया था हिंसा मुक्त- अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पिछले 6 वर्षों से जब से मणिपुर में भाजपा की सरकार आई मणिपुर बंद, कर्फ्यू और हिंसा से मुक्त हो गया था। मणिपुर में डबल इंजन की सरकार ने विकास के सभी पैमानों में अभूतपूर्व सिद्धि हासिल की। पिछले 1 महीने में मणिपुर में हिंसक घटनाएं हुई हैं। जिन नागरिकों की हमल की हिंसा में मृत्यु हुई है उनके परिजनों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी, मेरी तरफ से और भारत सरकार की तरफ से संवेदना व्यक्त करता हूं।

मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद

अमित शाह ने कहा कि इस हिंसा में जिन भी लोगों की जान गई है उनके परिवार को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसमें से 5 लाख रुपए मणिपुर सरकार और 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता केंद्र सरकार की तरफ से दी जाएगी। यह राशि DBT के माध्यम से पीड़ितों को हस्तांतरित की जाएगी। इसके साथ ही घायलों की भी मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि मणिपुर में किसी जरुरी वस्तु की कमी और दिक्कत ना हो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही है।

गृह मंत्री ने कहा कि यहां के नागरिकों को हर तरह की मदद केंद्र और राज्य की सरकार मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि यहां हिंसा को अंजाम देने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि जिस किसी के पास हथियार हों, वे पुलिस के सामने सरेंडर कर दें। कल से पुलिस कॉम्बिंग करेगी, अगर इस दौरान किसी के पास हथियार बरामद होते हिं तो उसके सतह सख्ती से पेश आया जाएगा। उन्होंने कहा नागरिक किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान ना दें और अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।

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देश-विदेश

बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही दिल्ली पुलिस? सूत्रों ने बताई सारी बात

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महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के विवाद के बीच लोगों के मन में यह सवाल पैदा हो रहा है कि आखिर दिल्ली पुलिस भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? सूत्रों की मानें तो अभी तक दिल्ली पुलिस के पास इतने सबूत ही नहीं हैं कि वह बृजभूषण की तरफ गिरफ्तारी का हाथ बढ़ा सके। बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस के पास अभी तक कोई पुख्ता सबूत नहीं है, जिस कारण कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है।

दिल्ली पुलिस के सूत्र ने बताया कि पुलिस हर आरोपों कि गहनता से जांच कर रही है, चाहे कजाकिस्तान या रांची.. या जहां भी छेड़खानी के आरोप लगाए है, वहां जांच जारी है। जांच में अभी तक कोई फोटो, सीसीटीवी, विटनेस ऐसा नहीं मिला है। दिल्ली पुलिस बहुत जल्द अपनी जांच पूरी करेगी। सूत्र ने आगे जानकारी दी की जांच में ये तय हो जाएगा कि अगले 15 दिन में पुलिस चार्जशीट दाखिल करेगी या फिर एफआर यानी फाइनल रिपोर्ट। बता दें कि चार्जशीट का मतलब है कि केस में कुछ जान है, जांच की जरूरत है, फाइनल रिपोर्ट यानी एफआर का मतलब कि केस में कुछ नहीं मिला है। इस केस को बंद कवर दिया जाना चाहिए ये जांच के बाद तय हो जाएगा।

नाबालिग से जुड़े सवाल पर सूत्र ने कहा एक पहलवान नाबालिग है या नहीं, इसको लेकर जांच जारी है, इसमें जो भी डेवलपमेंट होगा पॉक्सो कोर्ट में बता दिया जाएगा। अगर जांच में आएगा कि डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़खानी की गई है या गलत उम्र बताई गई है तो फेडरेशन चाहे तो इसमें एक्शन लिया जा सकता है, अभी इसे लेकर डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई किए जा रहे है। सूत्र ने आगे कहा कि पॉक्सो केस में भी कुछ जजमेंट है, जो केस रजिस्टर्ड है उसकी सजा 7 साल तक है, 7 साल तक कि सजा वाले केस में अगर कुछ सबूत मिलते भी है तो जजमेंट है। गिरफ्तारी की तुरंत जरूरत नहीं है।

इसके अलावा अभी जंतर मंतर पर संसद के उद्घाटन के दिन धारा 144 का उल्लंघन करने पर एफआईआर हुई है उसमें फिलहाल दिल्ली पुलिस का अभी खिलाड़ियों का बयान दर्ज करने का कोई प्लान नहीं है।

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क्राइम

महाराष्ट्र में 3 सिख नाबालिग बच्चों को भीड़ ने जमकर पीटा, 1 की मौत

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महाराष्ट्र के परभणी जिले से मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया है। यहां के उखलाद गांव में भिड़ ने एक नाबालिग सिख बच्चे को चोर समझ कर मार डाला, जबकि दो सिख बच्चे को पुलिस ने बचा लिया। मॉब लिंचिंग की इस घटना में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दरअसल, महाराष्ट्र का परभणी में 27 मई में बकरी चोर समझ कर लोगों ने 3 सिख बच्चों की पिटाई कर डाली, जिसमें एक सिख बच्चे की मौत हो गई है।

6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

पुलिस ने इस मामले में कुल 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें मुख्य आरोपी ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच अकरम पटेल को भी गिरफ्तार किया है। मॉब लिंचिंग की इस घटना को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कड़ी निंदा की है।

14 साल के नाबालिग की मौत

हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि मिली जानकारी के मुताबिक, इस घटना में 14 साल के नाबालिग कृपाल सिंह नाम के सिख युवक की मौत हो गई है, जबकि दो अन्य नाबालिग सिख युवक अवतार सिंह (16) और अरुण सिंह (15) गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

“पूरे सिख जगत में आक्रोश की लहर है”

उन्होंने कहा कि इस घटना से सिख मानस को गहरी ठेस पहुंची और पूरे सिख जगत में आक्रोश की लहर है। उन्होंने कहा कि यह जघन्य अपराध मानवता पर धब्बा है, जिसके दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस को सभी दोषियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें सख्त सजा दी जाए।

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