सेहत
किसी चीज की दुर्गंध न आना 100 से ज्यादा बीमारियों का हो सकता है लक्षण?
11 नवंबर 2024:- अक्सर किसी खास बीमारी के चलते लोग किसी भी चीज में किसी तरह की दुर्गंध को महसूस नहीं कर पाते. जैसे जुकाम में नाक के बंद होने से लेकर हमने कोविड में भी लोगों को किसी भी चीज की दुर्गंध को महसूस न करने जैसे लक्षण देखे. दुर्गंध को महसूस न कर पाने के ये लक्षण कुछ खास समय के लिए हो सकते हैं लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां भी है जिसमें आप लंबे समय तक किसी भी तरह की दुर्गंध को महसूस नहीं कर पाते. किसी भी चीज में किसी तरह की दुर्गंध महसूस करना हमारी 5 इंद्रियों में से एक है. जो हमें बचपन से ही प्राप्त होती है. लेकिन कुछ बीमारियों के चलते हमारी ये इंद्री काम करना बंद कर देती है जिससे हमारी किसी भी चीज को सूंघनें की क्षमता समाप्त हो जाती है. फ्रंटियर्स इन मॉलिक्यूलर न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक ताजा शोध के मुताबिक ऐसी 139 मेडिकल कंडिशन्स हैं जिसमें हमारी किसी भी गंध को सूंघने की क्षमता समाप्त हो जाती है.
क्या कहती है रिसर्च
चार्ली डनलप स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने द ऑक्सफोर्ड रिसर्च सेंटर इन द ह्यूमैनिटीज के सहयोग से इस तरह के एक शोध को किया गया है जिसमें ऐसी 139 मेडिकल कंडिशन्स का सीधा संबंध इंसान की सूंघने की क्षमता से पाया गया है जिनके होने से मरीज को किसी भी प्रकार की दुर्गंध का पता नहीं चलता. हालांकि इस लक्षण को काफी सामान्य लिया जाता है लेकिन ये विभिन्न न्यूरोलॉजिकल और शारीरिक रोगों का प्रारंभिक संकेत हो सकता है. वही इसका संबंध व्यक्ति की याद्दाश्त से भी पाया गया है.
किन किन बीमारियों से संबंध
दुर्गंध न आना अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे रोगों से भी संबंध रखती है. इसके अलावा इसका संबंध मल्टीपल स्क्लेरोसिस, डिमेंशिया, कोरोनावायरस (COVID-19) और साइनसाइटिस जैसी बड़ी बीमारियों से भी पाया गया है. इस शोध के मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी चीज में दुर्गंध न आने जैसे लक्षण महसूस करता है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि ये इन बीमारियों का प्रारंभिक संकेत हो सकता है. जिसके द्वारा समय रहते मरीज का इलाज भी किया जा सकता है और बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.
कब दिखाएं डॉक्टर को
हालांकि डॉक्टर बताते हैं कि कुछ समय के लिए सूंघने की क्षमता खत्म होना कोई खतरनाक संकेत नहीं है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इसे लंबे समय तक महसूस करता है तो उसे तुरंत इस बारे में डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए.
सेहत
बाल न टूटेंगे-न झड़ेंगे…बस घर पर बने इस लेप से करें मालिश..
बालों का झड़ना और टूटना आजकल बहुत आम हो गया है. कई लोग गंजेपन से परेशान हैं. लाख कोशिशों के बाद भी बाल ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहे. ऐसा होने पर आप आकाश बेल की मदद ले सकते हैं. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व बालों की ग्रोथ के लिए फायदेमंद होते हैं. आइए जानते हैं डॉक्टर ने बालों को सही करने के लिए क्या उपाय बताया.
बालों पर क्या लगाना चाहिए?
आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐजल पटेल बताते हैं कि गंजेपन को कम करने के लिए आकाश बेल को तिल के तेल में पीस लें और लेप से सिर में अच्छी तरह मालिश करें. ऐसा करने से बालों की जड़ें मजबूत होगी और बाल टूटेंगे नहीं. सिर में खुजली की समस्या भी इस उपाय से ठीक हो जाएगी.
लेप बनाने का तरीका
सबसे पहले आकाश बेल को एकत्रित करें और इन्हें अच्छी तरह से धो लें. तिल का तेल बालों के लिए पौष्टिक माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग इस मिश्रण में किया जाता है. आकाश बेल के पेस्ट और तिल के तेल को एक साथ पीसकर एक गाढ़ा लेप तैयार कर लें. इस लेप को बालों की जड़ों में अच्छे से लगाकर हल्के हाथों से मालिश करें. इसे लगभग 30 मिनट तक सिर पर लगाए रखें, फिर गुनगुने पानी से धो लें.
क्या है आकाश बेल?
आकाश बेल एक औषधीय बेल है, जो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक रूप से उगता है. यह बेल दिखने में हरी होती है और विभिन्न औषधीय गुणों से भरपूर होती है. आयुर्वेद में इस बेल का उपयोग पुराने समय से किया जा रहा है, विशेष रूप से बालों की समस्याओं का समाधान करने के लिए होता है.
आकाश बेल के अन्य फायदे
आकाश बेल न सिर्फ बालों के लिए बल्कि त्वचा और अन्य शारीरिक समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है. इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण सर की खुजली जैसी समस्याओं को ठीक करने में सहायक होते हैं. इसके अलावा इसका नियमित उपयोग करने से सिर की त्वचा पर ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जो बालों की ग्रोथ में सहायक है.
गंजेपन के लिए प्राकृतिक समाधान
आकाश बेल एक प्राकृतिक औषधि है और इसका नियमित उपयोग बालों को पोषण देकर उन्हें टूटने और झड़ने से बचाता है. यह एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय है जिसे आप घर पर ही आसानी से बना सकते हैं.
सेहत
क्या होता है हेयर एक्सटेंशन? यह नेचुरल बालों के लिए कितना है सुरक्षित?
लंबे और घने बाल खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. अधिकतर लोगों की ख्वाहिश होती है कि उनके बाल सबसे अच्छे दिखें. खासतौर से महिलाएं बालों को लेकर ज्यादा अटेंटिव रहती हैं. जिन महिलाओं के बाल छोटे हो जाते हैं या हल्के हो जाते हैं, वे आजकल हेयर एक्सटेंशन का सहारा लेने लगी हैं. यह एक सिंपल टेक्निक है, जिसके जरिए नेचुरल बालों में सिंथेटिक या ह्यूमन हेयर्स को चिपका दिया जाता है. इससे बाल लंबे और घने नजर आने लगते हैं. आज आपको बताएंगे कि हेयर एक्सटेंशन क्या होता है और यह बालों के लिए कितना सेफ माना जाता है. महिलाओं में हेयर एक्सटेंशन का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. हेयर एक्सटेंशन उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनके बाल छोटे दिखते है. हेयर एक्सटेंशन लगाने के बाद बाल लंबे दिखने लगते हैं. हालांकि एक्सटेंशन कराने के बाद मेंटिनेंस करना भी जरूरी है. आमतौर पर दो तरह के हेयर के जरिए एक्सटेंशन किया जाता है. पहला ह्यूमन हेयर और दूसरा सिंथेटिक हेयर. ह्यूमन हेयर से एक्सटेंशन करवाना ज्यादा रीयल लुक देता है. कई तरह से हेयर एक्सटेंशन किया जाता है और यह काफी सुरक्षित होता है. हेयर एक्सटेंशन 24, 26, 28 इंचेस में उपलब्ध होता है. इसे जरूरत के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है.
एक्सपर्ट की मानें तो हेयर एक्सटेंशन में मौजूदा बालों में जोड़कर उनकी लंबाई और मात्रा बढ़ाई जाती है. ये कई प्रकार में आते हैं, जैसे कि क्लिप-इन, टेप-इन, सीव-इन, फ्यूजन और माइक्रो-लिंक एक्सटेंशन. क्लिप-इन एक्सटेंशन अस्थायी होते हैं और इन्हें आसानी से बालों में क्लिप किया जा सकता है. टेप-इन एक्सटेंशन एक सेमी-परमानेंट विकल्प होते हैं, जो आमतौर पर छह से आठ सप्ताह तक चलते हैं. इन्हें चिपकने वाले स्ट्रिप्स के माध्यम से बालों के साथ जोड़ा जाता है. सीव-इन और फ्यूजन एक्सटेंशन अधिक स्थायी होते हैं. सीव-इन एक्सटेंशन में प्राकृतिक बालों को कॉर्नरो में बुनकर, एक्सटेंशन को सीया जाता है. यह प्रक्रिया कई सप्ताह से लेकर महीनों तक चल सकती है, लेकिन यह हेयर एक्सटेंशन किसी एक्सपर्ट से ही करवाना चाहिए.
हेयर एक्सटेंशन पर क्या है डॉक्टर की राय?
कानपुर के मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर और डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. युगल राजपूत ने बताया कि हेयर एक्सटेंशन करवाना सेफ माना जाता है, क्योंकि इसमें बालों को किसी न किसी तरह नेचुरल हेयर्स से चिपकाया जाता है. हालांकि हेयर एक्सटेंशन की जो प्रोसेस कॉम्प्लिकेटेड हैं, उन्हें करवाने से पहले लोगों को एक बार डर्मेटोलॉजिस्ट से मिल लेना चाहिए, ताकि उनके नेचुरल बालों को किसी तरह का नुकसान न हो. जो लोग बालों की प्रॉब्लम्स से जूझ रहे हैं, उन्हें भी इस तरह का कदम उठाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
सेहत
कई समस्याओं से छुटकारा दिलाएगा ये पौधा शरीर को मिलेगा कैल्शियम का भी खजाना?
भारत में विभिन्न प्रकार के पौधे और पेड़ पाए जाते हैं, जिनमें से कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होते हैं, जो हमारे पूर्वजों ने विभिन्न समस्याओं के उपचार के लिए इस्तेमाल किए. हालांकि, समय के साथ आयुर्वेदिक उपचार और इन पौधों का उपयोग कम होता जा रहा है. इसके साथ ही, कई स्थानों पर औषधीय पौधों की खेती भी बंद हो गई है. खासकर किसान जो उचित बाजार और मूल्य नहीं मिलने के कारण अन्य फसलों की ओर मुड़ जाते हैं. हालांकि, औषधीय पौधों की गुणवत्ता ऐसी है कि वे कई तरीकों से उपयोगी हो सकते हैं, तो आज हम ऐसे ही एक पौधे के औषधीय उपयोग के बारे में.
आयुर्वेदिक दृष्टि से एक बहुत ही उपयोगी औषधि
कृषि वैज्ञानिक डॉ. विशाखा चौधरी के अनुसार, “हर औषधीय पौधे में कुछ गुण होते हैं, जिसके कारण इसे विभिन्न प्रकार की समस्याओं में उपयोग किया जाता है. इसी तरह असालिया का उपयोग आयुर्वेद में कई स्थानों पर किया जाता है. असालिया को अंग्रेजी में ‘Asylum’ और गुजराती में चंद्रशूर या हलीम के नाम से जाना जाता है. इस पौधे के हरे पत्ते सब्जी या सलाद के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जबकि इसके बीजों का इस्तेमाल दवाई के रूप में होता है.”
औषधीय गुण
इन बीजों में कैल्शियम, आयरन और विटामिन B1 की अधिक मात्रा होती है, जो महिलाओं में एनीमिया और विटिलिगो (सफेद दाग) जैसी समस्याओं के इलाज में सहायक होते हैं. इसके अलावा, असालिया का उपयोग अस्थमा, पल्मोनरी टीबी, खांसी जैसी समस्याओं में भी किया जाता है. इसके साथ ही, बच्चों की वृद्धि में मदद करने के लिए शहद के साथ असालिया के बीजों का सेवन करने से बच्चों की लंबाई बढ़ सकती है और उनका विकास सही तरीके से होता है.
1. रक्ताल्पता : हलीम के काले बीजों में कैल्शियम, आयरन और विटामिन B1 की अधिक मात्रा होती है, जो महिलाओं में रक्ताल्पता को दूर करने में मदद करते हैं.
2. विटिलिगो : हलीम के बीज सफेद दाग (Vitiligo) जैसी समस्याओं के इलाज में सहायक होते हैं, जिससे त्वचा की रंगत (skin tones) में सुधार आता है.
3. सांस की समस्याएं: हलीम का उपयोग अस्थमा, पल्मोनरी टीबी और खांसी जैसी समस्याओं में किया जाता है, जिससे श्वसन प्रणाली (respiratory system) मजबूत होती है.
4. बच्चों की वृद्धि: शहद के साथ हलीम के बीजों का सेवन करने से बच्चों की लंबाई बढ़ सकती है और उनका शारीरिक विकास बेहतर होता है.
5. पशुओं के लिए फायदेमंद: हलीम के बीजों को पशुओं को दिए जाने से उनकी सेहत में सुधार होता है और यह एक बेहतरीन टॉनिक के रूप में काम करता है.
6. आयुर्वेदिक गुण: हलीम एक बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई तरह की बीमारियों का उपचार करती है और शरीर को मजबूत बनाती है.
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