Connect with us

आस्था

नाग पंचमी के दिन इतने घंटों तक रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त, जान लें पूजन की विधि और उपाय

Published

on

SHARE THIS

 नाग पंचमी का पावन पर्व साल 2024 में 9 अगस्त को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से कई तरह के शुभ परिणाम आपको प्राप्त होते हैं, और साथ ही भगवान शिव भी आपसे प्रसन्न होते हैं। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि, नाग पंचमी के दिन पूजा का शुभ-मुहूर्त कब से कब तक रहेगा, पूजा की विधि क्या है और किन उपायों को करने से आपको सुखद फल प्राप्त हो सकते हैं।

birthday_001
birhday

नाग पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त 

नाग पंचमी तिथि की शुरुआत 8 अगस्त की देर रात 12 बजकर 38 मिनट से होगी और पंचमी तिथि 9 अगस्त की देर रात्रि 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। 9 अगस्त के दिन नाग पूजा का शुभ समय सुबह 5 बजकर 46 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। यानि नाग देवता और भगवान शिव की पूजा के लिए 2 घंटे 40 मिनट का समय आपके पास होगा। इस दौरान पूजा करने से आप मानसिक और शारीरिक शांति भी प्राप्त होगी और नाग देवता का आशीर्वाद भी मिलेगा। आइए अब जान लते हैं कि आपको नाग देवता की पूजा इस दिन कैसे करने चाहिए।

नाग पंचमी की पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन अन्य हिंदू त्योहारों की ही तरह सुबह जल्दी उठकर आपको स्नान ध्यान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को भी साफ करें। पूजा स्थल पर नाग पंचमी के दिन गाय के गोबर से नाग आपको बनाना चाहिए और नाग देवता का आह्वान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। गोबर से आपने जो नाग बनाएं हैं उनपर फल, फूल, अक्षत आदि आपको अर्पित करने चाहिए और साथ ही जल का अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही पंचामृत, मेवा, गुलाल, अबीर, मेहंदी आदि भी आप अर्पित कर सकते हैं। पूजा के दौरान नाग के देवता के मंत्रों का जप और अंत में आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण घर के लोगों में करें।

नाग देवता को प्रसन्न करने के मंत्र 

सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।

ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

नाग पंचमी के उपाय 

  • अगर आप नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन को घर में लाते हैं, और विधि-विधान से उनकी पूजा करके नाग-नागिन के इस जोड़े को शिव मंदिर में रख आते हैं तो आपके जीवन की कई परेशानियों का अंत होता है। यह उपाय करने से कालसर्प दोष से आपको मुक्ति मिलती है और साथ ही राहु-केतु के बुरे प्रभाव भी कम होते हैं।
  • नाग पंचमी के दिन अगर आप अपने घर के मेन गेट पर नाग-नागिन का जोड़ा बनाते हैं तो आपको आर्थिक संपन्नता मिलती है। साथ ही ऐसा करने से आपके घर में मौजूद नकारात्मकता भी दूर होती है।
  • नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध पिलाने से आपको मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह उपाय शत्रुओं को आप पर हावी नहीं होने देता।

SHARE THIS

आस्था

अनंत चतुर्दशी पर करें ये छोटा सा उपाय, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न..

Published

on

SHARE THIS

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है. हिंदु धर्म मे अनंत चतुर्दशी का खास महत्व है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं. चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का भी विसर्जन किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन अगर जातक कुछ उपाय कर लेते है तो जीवन मे सभी प्रकार की समस्या समाप्त हो जाती है. आईये देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं. अनंत चतुर्दशी और पूजा शुभ मुहूर्त कब है?. इस दिन क्या उपाय करना चाहिए?. पंडित नंदकिशोर मुदगल ने कहा कि हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है. इस साल कल यानी 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जायेगा. इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन ऐसा संयोग बनने जा रहा है की विश्वकर्मा पूजा के साथ भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि भी है. इसी दिन गणेश प्रतिमा का भी विसर्जन किया जाएगा.

birthday_001
birhday

अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितम्बर दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से हो रहा है. समापन अगले दिन 17सितम्बर दोपहर 12बजकर 56 मिनट मे हो रहा है. इसलिए उदयातिथि के अनुसार 17सितम्बर को अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाएगा.इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 11बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है.

इस दिन क्या करे उपाय
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं कि इस दिन सत्यनारायण की कथा अवश्य सुननी चाहिए. उसे दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाना चाहिए .पंचामृत में तुलसी का पत्ता अवश्य डालें. इसके साथ ही इस दिन अनंत डोरा जिसे अनंत सूत्र भी कहते है. इसे भगवान श्री विष्णु के चरणों में अर्पण कर पूजा समाप्ति के बाद अपने बाह मे अवश्य बांधे. ध्यान रहे यह बाए बाँह मे बांधना चाहिए. इससे सारी बधाएं आपसे दूर रहेगी. कभी भी पारिवारिक कलह नहीं होगी. इसके साथ ही संध्या के समय घी और 14कपूर का दीपक जलाकर उसमे 14लोंग डालकर घर के किचन मे रख दे कभी भी दरिद्रता नहीं आएगी.

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

पितृ पक्ष में भूलकर भी ना खरीदें ये 4 चीजें, नाराज हो जाएंगे पूर्वज…

Published

on

SHARE THIS

पितरों को समर्पित पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा से हो रही है. पितृपक्ष में पितरों की पूजा कर श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म किए जाते हैं. मान्यता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. माना जाता है कि पितृपक्ष के दिनों में पितर धरती पर आते हैं, इसलिए उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए. लेकिन, कुछ ऐसे भी कार्य हैं जो पितृपक्ष के दिनों में बिल्कुल नहीं करना चाहिए. फिर भी अगर आप करते हैं तो इससे पितर नाराज हो सकते हैं. खासकर खरीदारी के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है.

birthday_001
birhday

पितृपक्ष में भूलकर भी इन चीजों को न खरीदें:- पितृपक्ष के दिनों में भूलकर भी नई प्रॉपर्टी, घर या वाहन नहीं खरीदना चाहिए. इससे आपको हानि हो सकती है.

कोई आभूषण न खरीदें:- साथ ही पितृपक्ष के दिनों में सोना-चांदी, लोहा आदि चीजों की भूलकर भी खरीदारी नहीं करनी चाहिए. इससे पितर नाराज हो सकते हैं.

घर के छत की ढलाई न करें:- अगर आप मकान बनवा रहे हैं तो पितृपक्ष के दिनों में भूलकर भी मकान की छत की ढलाई न कराएं. नहीं तो अशुभ फल की प्राप्ति होगी.

कोई भी मांगलिक कार्य न करें:- खरीदारी के साथ ही पितृपक्ष के दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ, सगाई आदि. इससे पितर नाराज हो सकते हैं और आपके वंश पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

17 सितंबर से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष, क्यों जरूरी होता पितरों का श्राद्ध या पिंडदान?जानिए

Published

on

SHARE THIS

भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं। पूर्णिमा की उदयातिथि 18 सितंबर को होगी, लेकिन बुधवार को पूर्णिमा सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और श्राद्ध दोपहर में किया जाता है। लेकिन 17 सितंबर को दोपहर के समय पूर्णिमा है, इसलिए पूर्णिमा तिथि वालों का श्राद्ध मंगलवार को किया जाएगा, जबकि बुधवार के दिन प्रतिपदा तिथि वालों का श्राद्ध किया जाएगा। दरअसल, 18 सितंबर को दिन दोपहर के समय प्रतिपदा तिथि रहेगी। ये सोलह दिवसीय श्राद्ध 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर, बुधवार के दिन आश्विन महीने की अमावस्या को समाप्त होंगे।

birthday_001
birhday

बता दें कि श्राद्ध को महालय या पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है।  17 सितंबर, मंगलवार को उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ हो। इसे प्रौष्ठप्रदी श्राद्ध भी कहते हैं। जिनका स्वर्गवास जिस तिथि को हुआ हो, श्राद्ध के इन सोलह दिनों के दौरान उसी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है। आइए अब आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करना क्यों महत्वपूर्ण होता है।

श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव। हमारे भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। आप दूसरे तरीके से भी इस बात को समझ सकते हैं। पिता के जिस शुक्राणु के साथ जीव माता के गर्भ में जाता है, उसमें 84 अंश होते हैं, जिनमें से 28 अंश तो शुक्रधारी पुरुष के खुद के भोजनादि से उपार्जित होते हैं और 56 अंश पूर्व पुरुषों के रहते हैं। उनमें से भी 21 उसके पिता के, 15 अंश पितामह के, 10 अंश प्रपितामाह के, 6 अंश चतुर्थ पुरुष के, 3 पंचम पुरुष के और एक षष्ठ पुरुष के होते हैं। इस तरह सात पीढ़ियों तक वंश के सभी पूर्वज़ों के रक्त की एकता रहती है। लेकिन श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है।

पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है। साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। हमारे धर्म-शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा को उसके कर्मानुसार स्वर्ग-नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीर्ण होने पर वह पुनः मृत्यु लोक में आ जाती है। मृत्यु के पश्चात पितृयान मार्ग से पितृलोक में होती हुई चन्द्रलोक जाती है। चन्द्रलोक में अमृतत्व का सेवन करके निर्वाह करती है और ये अमृतत्व कृष्ण पक्ष में चन्द्रकलाओं के साथ क्षीर्ण पड़ने लगता है। अतः कृष्ण पक्ष में वंशजों को आहार पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। ये आहार श्राद्ध के माध्यम से पूर्वजों को पहुंचाया जाता है।  पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को और उसके परिवार को अच्छी बुद्धि, पुष्टि, धारण करने की शक्ति, पुत्र-पौत्रादि और ऐश्वर्य की प्राप्त होती है।

SHARE THIS
Continue Reading

Advertisment



खबरे अब तक

WEBSITE PROPRIETOR AND EDITOR DETAILS

Editor/ Director :- Rashid Jafri
Web News Portal: Amanpath News
Website : www.amanpath.in

Company : Amanpath News
Publication Place: Dainik amanpath m.g.k.k rod jaystbh chowk Raipur Chhattisgarh 492001
Email:- amanpathasar@gmail.com
Mob: +91 7587475741

Trending