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अमलेश्वर में पंडित प्रदीप मिश्रा का शिवपुराण कथा, पुलिस ने जारी की ट्रैफिक एडवाइजरी

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दुर्ग: मशहूर कथावाचक सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों छत्तीसगढ़ में हैं। कुरूद में शिवपुराण कथा करने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा दुर्ग के अमलेश्वर में शिवपुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। शिव महापुराण कथा का आयोजन 26 मई से से 2 जून तक होगा। इस कथा को लेकर आयोजन स्थल पर तैयारी भी जोरों से जारी है। यहां गर्मी को देखते हुए भक्तों की सुविधा के लिए खास तौर पर इंतजाम किए जा रहे हैं। बताया गया कि इस प्रवचन को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचेंगे।

लोगों को कथा स्थल तक पहुंचने के लिए परेशानी न हो और यातायात सुगम रहे, इसके लिए रायपुर पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है। वहीं कथा स्थल तक आने-जाने के लिए मार्ग परिवर्तित किया गया है। पुलिस ने श्रद्धालुओं से अपील है कि, रायपुर से कथा स्थल पहुंचने के लिए भाठागांव चौक होते हुए काठाडीह मार्ग ​​​​​​​और खुड़मुड़ा नदी पुल से होकर अमलेश्वर कथा स्थल तक पहुंचे।

इसी तरह टाटीबंध से कुम्हारी चौक, परसदा, मगरघटा होते हुए ग्राम भोथली और एम.टी. वर्कशॉप रोड का इस्तेमाल करते हुए कथा स्थल जाएं। भीषण गर्मी में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कथा स्थल के आस-पास 7 से 8 जगहों पर बोर किया गया है। पानी की टंकी भी लगाई गई है, जहां पर पीने का पानी उपलब्ध रहेगा। इसके साथ ही तेज गर्मी को देखते हुए 2 लाख स्क्वायर फीट में शावर सिस्टम भी लगाया जाएगा। खासतौर पर इसके कारीगर इंदौर से बुलाए गए हैं।

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मनाया गया आस्था का पर्व गंगा दशहरा

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रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा लखनपुर : सदियों पुरानी परम्परा को कायम रखते हुए नगर लखनपुर सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में 16 जून दिन रविवार को गंगा दशहरा का पर्व धूम-धाम से मनाया गया पौराणिक मान्यता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी।राजा भगीरथ ने घोर तपस्या कर अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतारा था। गंगा तीर्थ में स्नान करने से 10 पापों का नाश होता है तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है जीवन में चल रहे परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस दिन गंगा के दर्शन मात्र से जीवों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। दान करने से जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती। प्रथा अनुसार नगर लखनपुर के प्राचीन दशहरा तालाब में गंगा दशहरा मनाया गया। ग्राम बैगा द्वारा पूजा अनुष्ठान कराये जाने की परिपाटी रही है।

गंगा दशहरा के दिन नौनिहालों के कटे नाभि, शादी में प्रयुक्त वर के मुकुट,कलश,चौल मुंडन संस्कार में कांटे गये बाल वर्ष भर पूजा अनुष्ठान के बचे अवशेष इत्यादि का विसर्जन किया जाता है। गंगा दशहरा के दिन ग्राम बैगा से पूजा अर्चना कराने के पश्चात श्रद्धालु चावल कपड़ा पैसा पकवान रोटी आदि दान के रूप में देते हैं। गंगा दशहरा पर तालाब किनारे मेला भी भरता है। जहां आसपास के महिला पुरुष बच्चे मेला देखने आते हैं। इस दिन दादर गीत गाने की भी चलन रही है लेकिन कालांतर में दादर गीत गाने की रिति खत्म सा होने लगा है। सरगुजा के कुछ क्षेत्रों में दशहरा के दिन दादर गीत गाने की परम्परा आज भी जिंदा है। इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है लोग तीर्थ धामो तक नहीं पहुंच पाते जल सरोवर को गंगा स्वरूप मानते हुए पूजा अर्चना करते हैं। दरअसल गंगा दशहरा जल के महता को दर्शाता है। नदी तालाब जलसरोवरो की शुद्धता का पर्याय है गंगा भगवान शिव शंकर की जटाओं से निकलती है। गंगा में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप का क्षय होता है। इसमें तीन शारिरिक चार वाणी और तीन मानसिक पाप शामिल मानें गये हैं।इसके और भी धार्मिक मान्यताएं है।
बहरहाल नगर लखनपुर सहित आसपास ग्रामीण अंचलों में गंगा दशहरा का पर्व आस्था के साथ मनाया गया।

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प्रश्न कर रहे प्राचीन मंदिर, हमारा गुनाह क्या है? ( जनकपुर, घघरा के हजारों साल पुराने मंदिरों की बीरेन्द्र श्रीवास्तव की कलम से…. पर्यटन एवं धरोहर अंक 25

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एम सी बी : सैकड़ों वर्ष पहले पृथ्वी निर्माण के बारे में यह कहा जाता है कि यहां मानव सभ्यता और जीवन कई बार जन्म लेने के बाद समाप्त हो गई। इसी प्रकार प्राचीन इतिहास के बारे में भी यदि हम गहन अध्ययन करें तो यह पता चलता है कि इतिहास के कई पन्ने आज भी अज्ञात हैं। जिससे जुड़ी पुरानी संस्कृति, सभ्यता की स्मृतियों को उचित युद्ध समतेन का क्रम कहीं-कहीं टूटता दिखाई देता है। इसी तरह का एक मंदिर छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग जनकपुर के पास घघरा गांव में दिखाई देता है। उसके प्राचीनता के बारे में कई प्रश्न सामने आ रहे हैं। यह मंदिर कभी मौर्य कालीन मंदिर कहा गया था और कभी आठवीं शताब्दी और कभी 13वीं शताब्दी का था। यह जानने के लिए कि हमें इसकी चट्टानों की कार्बन डेटिंग एवं शिल्प कला की गहराईयों तक जाना होगा, यह तो तय है कि छत्तीसगढ़ के जनकपुर जैसे विशाल चट्टानों के बीच इस तरह की प्राचीन मंदिरों का पता यहां किसी मधुर संस्कृति और कला पर लगाया जाना चाहिए। सभ्यता की वह पहचान है जो आज भी गुमनामी के अंधेरे में बंद है। आज से पर्यटन एवं पर्यटन के इस अंक में छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ एमसीबी शामिल हो गया है। जिले के जनकपुर विकासखंड के घाघरा गांव के ऐतिहासिक लेकिन अनजान मंदिर के दर्शन। इस मंदिर की निर्मित एवं पंखुड़ियों के जोड़ को देखकर आप आश्चर्य के साथ अत्यंत सुन्दर कहे जाने को बाध्य हो जायेंगे।

प्रश्न कर रहे प्राचीन मंदिर, हमारा गुनाह क्या है? ( जनकपुर, घघरा के हजारों साल पुराने मंदिरों की

छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में कोरिया एवं मनेन्द्रगढ़ (एमसीबी) जिले की जानकारी बहुत कम मिलती है, लेकिन पहाड़ नदी की अपनी प्राकृतिक पहचान के साथ यहां के प्राचीन मंदिर इस क्षेत्र में बसने वाली पुरानी सुसंस्कृत सभ्यता को जोड़ने का पर्याप्त आधार उपलब्ध कराते हैं। (एमसीबी) जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ के उत्तर दिशा में स्थित घने जंगल पहाड़ों के बीच कई ऐसे मंदिरों की उपस्थिति आपको आश्चर्य से भर देती है, जो यह विचार करने को बाध्य करती है कि प्राचीन काल में यहां कोई सुसंस्कृत सभ्यता विकसित हुई थी, जिसने यह मंदिर बनाया था। बनवाया होगा.

प्रश्न कर रहे प्राचीन मंदिर, हमारा गुनाह क्या है? ( जनकपुर, घघरा के हजारों साल पुराने मंदिरों की

यह स्थल कैमूर एवं देवगढ़ की गुफा में स्थित है, जहां मुरैलगढ़ की गुफा में राजाओं की गढ़ी एवं परकोटे की उपस्थिति समृद्ध सभ्यता एवं इतिहास की गवाही देती है। इस पहाड़ी की ऊंचाई अमरकंटक की पहाड़ी की ऊंचाई के लगभग बराबर होती है देवगढ़ की सबसे ऊंची चोटी समुद्र सतह से लगभग 3500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इसी के साथ-साथ सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के जंगल और पहाड़ भी कहीं-कहीं एक दूसरे से मिलते हैं। देवगढ़ की पहाड़ियों के अलग-अलग हिस्सों में चलती हुई जनकपुर से अंबिकापुर के उत्तरी भाग तक फैली हुई है।

मानव इतिहास की जानकारी चन्द्रभाखर राज्य अर्थात जनकपुर के कुछ स्थानों पर कंदरा मानव के चित्रों की जानकारी भी मिलती है। जो मनुष्य के गुफाओं में रहने का प्रथम प्रमाण हैं। इसी तरह कोरिया जिले के आर्थिक इनपुट का सबसे सशक्त स्तंभ चिरमिरी और मनेन्द्रगढ़ – झगराखंड में उत्पन्न की प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। मनेन्द्रगढ़ का पुराना नाम करीमटी था। जो निर्माण की ऊपरी सतह में पाए जाने वाले काली मिट्टी के कारण रखा गया था। रेलवे विस्तार के बाद कोरिया के राजकुमार मनेन्द्र प्रताप सिंह देव के नाम पर इसका नाम मनेन्द्रगढ़ रखा गया। जो बाद में एक विकसित व्यापार केन्द्र निर्मित कोरिया की आर्थिक समृद्धि का प्रयास बनाया।

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले का इतिहास भी मुगल एवं कलचुरी काल के बाद स्पष्ट होता है। सीधा के शासक राजा बलेन्द का राज्य वर्तमान में मनेन्द्रगढ़ एमसीबी जिले के जनकपुर तक था। अर्थात् कोल किंग्स ने मालिकों के साथ मिलकर बालेंद्र राजा से यह हिस्सा जीतकर अपना शासन स्थापित किया। बछड़ा पौड़ी के आसपास कौड़िया गढ़ के पहाड़ी पर धरती की आशा गढ़ी एवं तालाब कोल राजाओं के राज्य की कहानी कहती है। स्थानीय निवासी यहाँ चैत नवरात्रि मे यहाँ बनी देवी मंदिर मे पूजापाठ करते हैं। बाद में मैनपुरी चौहानवंशी धर्ममल शाही द्वारा कोल राजाओं को हराकर यहाँ कोरिया में अपना राज्य स्थापित किया गया।

जनकपुर से कोटाडोल रोड राज्य मार्ग पर स्थित घघरा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए चर्चित गांव की पहचान बन चुका है। मुख्य सड़क के किनारे मूर्तियों से निर्मित एक भारतीय मंदिर सभी मूर्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जो वर्तमान में प्राकृतिक संरक्षण का शिकार हो रहा है, लेकिन उसका वैभव एवं शिल्प कला इस मंदिर को देखने के लिए बाध्य करता है। जंगल के बीच बसे इस गाँव में इस मंदिर की उपस्थिति के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि किसी विकसित सभ्यता के संरक्षक एवं शासको द्वारा ही ऐसे मंदिर बनवाए जा सकते हैं जो समय और काल के ढेरों में नष्ट हो गए होंगे, लेकिन मजबूत पक्ष की जानकारी नहीं है। होने से अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह मंदिर कब और किसने बनाया। कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण मौर्य कालीन राजाओं द्वारा किया गया था, वहीं कुछ पत्रों में इसे आठवीं शताब्दी का मंदिर बताया गया है, लेकिन पुरातात्विक वेत्ता डा. वर्मा के अनुसार यह मंदिर 13वीं शताब्दी का बना हुआ मंदिर है। इसकी शिल्प कला एवं मंदिर निर्माण की विधि से भी इसके निर्माण एवं समय काल की अनुमानित गणना की जा सकती है। मंदिर के प्रत्येक पत्थर पर देवी देवताओं एवं मानव आकृतियों को चित्रित करने वाली इस मंदिर की शिल्प कलाओं के अद्भुत डिजाइनर ही बने हैं। वास्तव में इस मंदिर के मंदिर की पत्थर की कार्बन डेटिंग से इसकी समय अवधि एवं प्राचीनता की स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सकती है। अब तक ज्ञात और प्रामाणिक जानकारी के अभाव में इसके निर्माण कला एवं मंदिर निर्माण के शिल्प पर ध्यान देते हुए इसे मौर्यकालीन मंदिर के श्रेणी में रखा जाता है, क्योंकि समकालीन मंदिरों के शिल्प एवं गुंबद का निर्माण एवं प्रत्येक मीनार पर इसे मौर्यकालीन मंदिर के श्रेणी में बनाया गया है। खड़ा किया जाता है. मौर्य काल 200 से 400 ईसा पूर्व से माना जाता है और इस अनुसार यह मंदिर 2400 वर्ष पुराना कहा जा सकता है। अपुष्ट जानकारी के अनुसार मौर्य काल के सिक्कों का इस क्षेत्र में पाया जाना भी इस सिद्धांत को प्रबल बनाने वाला है।

आर्दश वेत्ता डॉ. वर्मा के अनुसार यह 13वीं शताब्दी का मंदिर है और इस 700 साल पुराने मंदिर की भव्यता आज भी देखने लायक है, लेकिन इसकी देखरेख नहीं होने के कारण यह मंदिर अब जीर्ण शीर्ण स्थिति में पहुंच चुका है। और कुछ संरचना अपने स्थान से हट गई है.. मंदिर में संभवतः शिव मंदिर मूर्ति की स्थापना की जानकारी मिलती है। हजारों वर्ष पुराने इन प्राचीन मंदिरों के एक-एक टूटे हुए पत्थर आज हमसे यह प्रश्न करते हैं कि हमारा गुनाह क्या है? हमें संरक्षित करने की दिशा में कोई हाथ क्यों नहीं उठ रहे हैं प्रश्न यह भी उठता है कि क्या हजारों साल पुराने मंदिरों को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए किसी बड़े शहर की पहचान होना जरूरी है यदि नहीं तो इस वनांचल क्षेत्र जनकपुर के इस हजारों साल पुराने मंदिर की अब तक अनदेखी क्यों की जा रही है। सत्ता और शासन बदल रहे हैं लेकिन इन प्राचीन मंदिरों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके संरक्षण हेतु छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के विस्तृत अध्ययन की आज आवश्यकता है। पुरानी विरासत की अनदेखी के कारण मंदिर का संरक्षण एवं मूर्तियों का टूटना बहुत बड़ी चिंता का विषय है। स्थानीय प्रशासन एवं पुरातत्व से इसके संरक्षण एवं विकास के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास की उम्मीद है, पुरातत्वविदों की टीम द्वारा इसके समय काल की गणना सहित जानकारी का एक बोर्ड यहां पर स्थापित किया जाना उचित होगा।जिले के पर्यटन सर्किट में इसे जोड़ने के प्रयास में इस मंदिर के आसपास की भूमि को आकर्षक सीमा बनाने तथा इसके नीव के आसपास चबूतरे का निर्माण तथा पर्यटन के लिए आवश्यक बैठक एवं जलपान व्यवस्था जैसे आकर्षण के केंद्र को इस क्षेत्र में बनाए रखा जा सकता है। वर्तमान समय के अनुसार फूलों के चित्र से इसे सजाकर पर्यटन सर्किट में जोड़ा जा सकता है। पर्यटन एवं धरोहर चिंताओं को भी इसके संरक्षण की दिशा में अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए ताकि यह धरोहर नष्ट होने से बचाई जा सके।

ईन उजागर पहेलियों के इस आकर्षक मंदिर को देखने के लिए आपको छत्तीसगढ़ के नए एमसीबी जिले के मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ पहुंचना होगा। यहां से आगे उत्तर दिशा की ओर स्टेट हाईवे नंबर 6 से टेढ़े मेढ़े वनांचल क्षेत्र की सड़कों से गुजरते हुए जनकपुर तक की यात्रा पूरी करनी होगी। आकर्षक वर्ष एवं सागौन के ऊंचे पहाड़ों के बीच से गुजरते हुए इस पर्यटन स्थल तक पहुंच की आनंददायी यात्रा के पल आपकी मानसिक चेतना को स्वस्थ करते हैं, वहीं मधुर स्मृतियों से परिपूर्ण यात्रा को यादगार बनाते हैं। यदि आप छत्तीसगढ़ से बाहर के राज्य से आ रहे हैं और हवाई मार्ग का उपयोग करते हैं तो आपको रायपुर के विवेकानंद हवाई अड्डे पर ट्रेन की सुविधा या मनेन्द्रगढ़ से यात्रा करनी होगी। इसके बाद यहां से 110 किलोमीटर की दूरी पर आपकी यात्रा जनकपुर में समाप्त होगी। जनकपुर हम आगे की यात्रा के लिए जनकपुर -कोटाडोल राम वन गमन पथ राज्य राजमार्ग संख्या 03 पर लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर घघरा गांव की योजना बना रहे हैं, जिसका मुख्य सड़क से 200 मीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है, जो अपनी प्राचीनता के अंजान पद पर दर्ज है। अद्भुत शिल्पकला का यह मंदिर अब धीरे-धीरे टूट रहा है। इसकी प्राचीन रचना एवं शिल्प इसकी खूबसूरती को दर्शाते हैं। मंदिर के टूटे हुए कई पत्थरों को पेड़ के पास सजाकर रखा गया है, जो उस पत्थर पर बनाए गए हैं और इसके प्रमाण भी देते हैं।

पर्यटन के लिए जनकपुर के आसपास के प्राचीन मंदिरों में आप भगवान राम के वनवास काल की स्मृतियों के अंश में रापा सीतामढ़ी मंदिर और सीतामढ़ी हरचौका की गुफाएं देखेंगे, जहां भगवान राम के चौमासा की यादें संग्रहित हैं। आप अपने परिवार सहित यहां चांद्रभखर राजा के समय से बनी चांग देवी के मंदिर में अपनी मनोकामना के लिए आशीर्वाद मांग सकते हैं। यहां लोगों के लिए शासकीय विश्रामगृह, वन विश्रामगृह तथा सामान्य लाज भी मिल जाते हैं। स्वामी आत्मानंद विद्यालय के मुख्य द्वार के आसपास कुछ छोटे होटल यहां आपके चाय नाश्ते एवं भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं। आप भोजन प्रसाद की व्यवस्था हेतु चांग देवी मंदिर में भी पुजारी जी को अग्रिम सूचना देकर दोपहर में भुगतान करके भोजन प्रसाद प्राप्त कर सकते हैं।

पर्यटन खुबियों से भरपूर प्राकृतिक वन एवं आध्यात्मिक मंदिरों से भरपूर जनकपुर क्षेत्र की मुरैलगढ़ की पहाड़ियों का आकर्षण आपको कहा जाता है। आप रास्ते में जमीन से निकले उपका पानी का भी आनंद ले सकते हैं। रमदहा जलप्रपात सहित कई पर्यटन स्थलों का एक मार्ग आपको रोमांचित करता है। फिर क्या है अपने बच्चों सहित एक पर्यटन स्थल घाघरा के रोमांचक एवं आध्यात्मिक हजारों साल पुराने मौर्य कालीन मंदिर को देखने के लिए बनाएं.बस इतनी ही अगली बार फिर मिलेंगे किसी नए पर्यटन पर

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भाजपा जिला स्तरीय बैठक में लोक सभा चुनाव की समीक्षा के साथ संगठन के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई गई

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मनेन्द्रगढ़ / एमसीबी : भारतीय जनता पार्टी जिला कार्य समिति की बैठक भाजपा जिला कार्यालय राष्ट्रीय राजमार्ग चैनपुर स्थित अटल कुंज में आयोजित हुई। बैठक मे भाजपा क्षैतिज अनिल केशरवानी, जिला उपाध्यक्ष जमुना पाण्डेय, जिला स्तरीय कार्यकर्ता सिंह राणा द्वारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, भारत माता, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर बैठक शुरू की गई, बैठक मे आगामी लोकसभा चुनाव मे प्राप्त मतो तथा विगत विधान सभा चुनाव मे प्राप्त हुए मतो का विश्लेषण मंडलवार जानकारी सहित समीक्षा तद्पश्चात आगामी नगरीय निकाय चुनाव को लेकर चल रहे परिसीमन और तैयारी के संबंध में चर्चा की गई। साथ ही समस्त मंडलो मे संगठन की गतिविधि बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं, वंही प्रदेश संगठन से आगामी प्रमुख कार्यक्रमों के संबंध में विस्तृत जानकारी रूपरेखा एवं कार्यक्रम के संचालन के दृष्टिकोण से जिला संयोजकों एवं सहसंयोजकों की नियुक्ति की गई है, जिनके द्वारा प्रत्येक मंडल में कार्यक्रम विधिवत आयोजित किए जाएंगे। संचालन के लिए मण्डल संयोजक एवं सह संयोजक की टोली बनाकर प्रमुख कार्यक्रमों की जानकारी रूपरेखा सरल पोर्टल में फोटो एवं वीडियो अपलोड करने सहित जिला भाजपा कार्यालय से कार्यक्रम की संपूर्णता की जानकारी प्रकाशित की जानी है, जिसमें समस्त जिला एवं मण्डलधारक एवं कार्यकर्ताओं को निरंतर सहयोग से उल्लेखित किया गया है। प्रोग्राम को मण्डल एवं बूथ स्तर पर बनाना संभव है।

21 जून 2024- विश्व योग दिवस

जिला संयोजक – अरुणोदय पाण्डेय 9617691415
जिला सहसंयोजक – हिमांशु श्रीवास्तव 8770660767
धीरज मौर्य 9179257536, प्रत्येक कार्यकर्ता योग करते हुए सरल पोर्टल में अपना फोटो या वीडियो अपलोड करें।

23 जून 2024 डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस

जिला संयोजक – संजय सिंह, मो० 9425581550
जिला सहसयोजक – रविशंकर सिंह मो० -6263101888 आनंद ताम्रकार, 8839735869, उक्त टिक्स में प्रत्येक बूथ पर श्रद्धांजली एवं डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के संबंध में पत्र का वचन, फल ​​वितरण एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम में सभी भाजपा एवं मोर्चा के पदाधिकारियों को अनिवार्य रूप से करना

25 जून 2024 लोकतंत्र बचाव दिवस, कारण विरोधी कार्यक्रम

जिला सहसंयोजक- राहुल सिंह, मो0- 7000421400 जिला सहसंयोजक अभय ब्राइड मो0 7697656417 संतोष केवट, मो0-6261176559, उक्त दिवस पर मीसाबंदियों के आवास स्थल में जाकर पदाधिकारियों का सम्मान एवं आपात स्थितियों के संबंध में जिला एवं मण्डल स्तर पर गोष्ठी एवं सभा का आयोजन किया जाता है।

6 जुलाई 2024 डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती कार्यक्रम
जिला सहसंयोजक आशीष मजूमदार, मो0 6232482222
जिला सहसंयोजक- संजय मिश्रा- मो0 7999460531
संस्कार केशरवानी, मो0- 7974816047, दिनांक-15. 06.2024, प्रत्येक बूथ में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस उपलक्ष्य द्वारा फोटो दीप प्रज्वलित करते हुए कार्यक्रम सुनिश्चित करना है।

23 जून से 6 जुलाई तक पर्यावरण पखवाड़ा के रूप में मनाया जाता है। युवा मोर्चा द्वारा 23 जून बलिदान दिवस के अवसर पर रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उक्त 15 दिनों में सभी मोर्चा द्वारा फल वितरण एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम के फोटो, वीडियो सरल पोर्टल में अपलोड करना है।

भाजपा संगठन के प्रमुख कार्यक्रम

21 जून- विश्व योग दिवस, मण्डल स्तर पर।
23 जून- डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस, कार्यक्रम बूथ स्तर पर।
25 जून- लोकतंत्र बचाव दिवस, मण्डल स्तर पर।
6 जुलाई डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती, कार्यक्रम मण्डल स्तर पर।

* -25 सितम्बर -पं. दीनदयाल उपाध्याय जयंती, बूथ स्तर पर।

1 नवम्बर छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस, कार्यक्रम मण्डल स्तर पर।
16 नवम्बर- भगवान बिरसामुण्डा जयन्ती, जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम मण्डल स्तर पर।

25 दिसंबर – सुशासन दिवस अटल बिहारी बाजपेयी जयंती, बूथ स्तर पर।

. 11 फरवरी- समर्पण दिवस पं दीनदयाल पुण्यतिथि, बूथ स्तर पर ।

6 अप्रैल- भाजपा स्थापना दिवस, कार्यक्रम बूथ स्तर पर ।
समस्त कार्यक्रम आधारित होने वाला है आज की बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेणुका सिंह, जिला उपाध्यक्ष जनार्दन साहू, मुकेश वाइस प्रेसिडेंट, श्रीमती कमला गणदेवा, उजित नारायण सिंह, प्रतिपक्ष नेता संतोष सिंह, राहुल सिंह, राजाराम दास, आलोक वाइस प्रेसिडेंट, रामलाल साहू, विनोद गुप्ता, परमानंद यादव, भैयालाल यादव, मणिप्रसाद, चंद्र प्रकाश बालंद, श्रीमती गौरी सिंग, लाल जीत साहू, शोशल मीडिया के मनोज केशरवानी, चंदन सिंग, आई टी सेल के अजय विश्वकर्मा, प्रदीप वर्मा, प्रतीक श्रीवास, मीडिया प्रभारी संजय गुप्ता आदि लोग उपस्थित थे।

भाजपा जिला स्तरीय बैठक में लोक सभा चुनाव की समीक्षा के साथ संगठन के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई गई

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