सेहत
वॉक करते समय वजन उठाकर चलने से मिलते हैं ढेर सारे फायदे….
4 जुलाई 2024:- वॉक करना सबसे ज्यादा सुरक्षित एक्सरसाइज है। वॉक से ना केवल फिजिकल सेहत पर असर पड़ता है बल्कि ये मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है। अगर आप अपने वॉकिंग रुटीन को एक लेवल ऊपर करना चाहते हैं। जिससे कि ना केवल तेजी से वजन घटे बल्कि हार्ट हेल्थ भी अच्छी हो तो वजन साथ में लेकर चलना बेस्ट है। कमर पर या हाथों में वजन लेकर चलने से फिजिकल फिटनेस को बढ़ा देगा। जानें कब वजन लेकर चलना फायदेमंद है और कितने सारे फायदे होते हैं।
वजन लेकर वॉक करने के फायदे
हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद
वजन को उठाकर जब भी आप वॉक करते हैं तो ये कॉर्डियोवस्कुलर हेल्थ के लिए बहुत फायदा पहुंचाता है। वजन लेकर वॉक करने से कॉर्डियोवस्कुलर सिस्टम को ज्यादा और जल्दी मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई होती है। जिससे ना केवल हार्ट हेल्थ अच्छी होती है।
वेट लॉस में मदद
बल्कि सिंपल वॉक से ज्यादा कैलोरी बर्न होती है, जिससे तेजी से वेट लॉस होता है।स्टडी के मुताबिक 4 मीटर प्रति घंटे हाथों में वजन लेकर चलने से उतना ही फायदा होता है जितना कि 5 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने से होता है। इससे पता चलता है कि वजन लेकर चलने से शरीर को तेजी से फायदा पहुंचता है।
3 तरीकों से वजन लेकर किया जा सकता है वॉक
एंकल पर वजन
अगर आप पैरों की स्ट्रेंथ बढ़ाना चाहते हैं और लोअर बॉडी मसल्स को घटाना चाहते हैं तो एंकल पर आधा किलो से लेकर डेढ़ किलो से कम का वजन बांधकर चल सकते हैं। आप ट्रेडमिल पर भी इस तरह के वजन को बांधकर चल सकते हैं। हालांकि हावर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक थोड़ी देर की वॉक ठीक है लेकिन ज्यादा चलने से एंकल ज्वॉइंट या लिगामेंट में चोट लगने का डर रहता है।
हाथों में वजन
ऊपर के बॉडी पार्ट्स को टोन करना है और वजन घटाना है तो हाथों में वजन लेकर चलने से फायदेमंद होता है। करीब आधा किलो से लेकर तीन-साझढे तीन किलो तक वजन उठाने से फर्क पड़ता है।
कमर पर वजन बांधकर चलना
कमर पर वजन बांधकर चलना सबसे ज्यादा सुरक्षित है। इससे ना केवल आपकी बॉडी की ग्रैविटी बनी रहती है बल्कि ज्यादा अच्छे तरीके से बॉडी पर इसका असर दिखता है। अगर आप चोट से बचना चाहते हैं तो कमर पर वजन बांधकर चलना अच्छा है।
सेहत
शुगर-हाई बीपी की समस्या ने बढ़ाई मुश्किल, बिना दवाई करें इन गंभीर बीमारियों की छुट्टी
संगीत जीवन है, संगीत जादू है, संगीत थेरेपी है। सबसे बड़ी बात ये है कि संगीत की जुबान हर कोई समझता है, यहां तक कि बेजुबान जानवर भी। तभी तो बांसुरी की धुन सुनकर, वृंदावन में सभी गाय भगवान श्रीकृष्ण के पास दौड़ी चली आती थीं। मुरली की तान का जादू सिर्फ द्वापर युग में ही नहीं चलता था, आज भी उसमें उतनी ही ताकत है। संगीत से बीमार गाय ठीक हो रही हैं, ज्यादा दूध दे रही हैं और अड़ियल रवैया छोड़कर गौपालकों की बात मान रही हैं। तभी तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लेकर गुजरात तक की गौशालाओं में गाय को म्यूजिक थेरेपी दी जा रही है। गुजरात के नाडियाड में तो बांसुरी की धुन से एक लाख से ज्यादा बीमार गाय को ठीक करने का दावा किया गया है। इतना ही नहीं, बंसी की धुन का ऑडियो तैयार हो रहा है ताकि देशभर की गौशालाओं में मुफ्त बांटा जा सके।
ये बात वैज्ञानिक तौर पर भी सही है क्योंकि ‘नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के मुताबिक म्यूजिक ब्रेन में ऑक्सीटोसिन हार्मोन्स को एक्टिव करता है जिससे हीलिंग प्रोसेस फास्ट हो जाता है। यही बात इंसानों पर भी लागू होती है। म्यूजिक माइंड को रिलैक्स करता है और रिसर्च बताती है कि ये सेहत के लिए भी अच्छा है। तभी योग-प्राणायाम के साथ सुरों का संगम भी जरूरी होता है। योगगुरु स्वामी रामदेव अलग-अलग बीमारियों के लिए योग तो बताते ही हैं लेकिन आज रामदेव साथ ही ये भी बताएंगे कि कौन सा राग किस बीमारी में रामबाण साबित होगा। इस तरह के अल्टरनेट मेडिसिन की जरूरत भी है क्योंकि देश में जहां 55% भारतीय 6 घंटे की नींद भी नहीं ले पाते हैं, तो वहीं 20 करोड़ लोग हाई बीपी की गिरफ्त में हैं। 30% लोग तनाव के शिकार हैं जो तमाम बीमारियों की वजह बन रहा है। ऐसे में संगीत के साथ योगविद्या की जुगलबंदी जरूरी है ताकि तनाव घटाने के साथ-साथ बीमारियों का सफाया हो सके। तो आपको भी आज से म्यूजिकल योगिक सेशन की शुरुआत करनी चाहिए।
गौर करने वाली बात
राग भैरव – मोटापा घटाए
पुरिया धनाश्री – अनिद्रा दूर करे
राग मालकौंस – तनाव खत्म करता है
राग मोहिनी – आत्मविश्वास बढ़ाए
राग भैरवी – नर्वस सिस्टम में फायदेमंद
राग पहाड़ी – मांसपेशियां मजबूत
अहीर भैरवी – हाई बीपी कंट्रोल
राग कान्हड़ा – अस्थमा में फायदेमंद
राग तोड़ी – सिरदर्द दूर
मन को रखें खुश
बॉडीपेन कम होता है
मेंटल स्ट्रेस घटता है
बीपी बैलेंस होता है
दिल को बनाए स्ट्रॉन्ग
खुश रहने के फायदे
26% तक घटती हैं हार्ट डिजीज
हार्ट अटैक का खतरा 73% कम
8 साल तक बढ़ती है उम्र
बॉडी की हीलिंग पावर बढ़ती है
वर्क कपैसिटी 72% ज्यादा
इम्यूनिटी 52% बढ़ती है
भारत में खुशी का ग्राफ
देश में 55% लोग हैप्पी
स्ट्रेस में 42% लोग
60 की उम्र वाले सबसे ज्यादा खुश
कैसे खुश रहें?
दूसरों की मदद करें
हर घंटे 10 सेकंड स्ट्रेचिंग करें
अपनों की मुस्कुराती तस्वीरें सामने रखें
मीठा खाने से बढ़ती है खुशी
बढ़ते एग्रेशन को करें कंट्रोल
थोड़ी देर टहलें
रोज योग करें
मेडिटेशन करें
गहरी सांस लें
संगीत सुनें
अच्छी नींद लें
गुस्सा खतरनाक, रहें सावधान
गुस्से का पैटर्न समझें
क्रोध में आपा न खोएं
आत्मनियंत्रण सीखें
गुस्से के लक्षणों को पहचानें
सेहत
हाई कोलेस्ट्रॉल में चीनी या गुड़ किसका सेवन है लाभकारी? जानिए..
जब भी हमें कुछ मीठा खाने का मन करता है तो हम बिना कुछ सोचे क्रेविंग को शांत करने के लिए मीठी चीज़ों का सेवन कर लेते हैं। मीठा खाने से गीद हॉर्मोन रिलीज होते हैं जो हमे तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं। लेकिन क्या चीनी से बनी मीठी चीज़ों का सेवन आप हाई कोलेस्ट्रॉल में भी कर सकते हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि हाई कोलेस्ट्रॉल में मीठी क्रेविंग को खत्म करने के लिए चीनी खानी चाहिए या फिर गुड़? चलिए जानते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए कौन सा विकल्प ज्यादा सही है?
कोलेस्ट्रॉल में चीनी या गुड़ क्या खाएं?
चीनी और गुड़ दोनों ही मिठास के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन एक्सपर्ट कोलेस्ट्रॉल में शक़्कर की जगह गुड़ खाने की सलाह देते हैं। हालांकि, दोनों एक ही चीज से बनाए जाते हैं, लेकिन बनाने का प्रोसेस अलग होता है। एक तरफ जहां चीनी को रिफाइंड करके बनाया जाता है तो वहीं गुड़ में नेचुरल शुगर होता है। चीनी का ज़्याद सेवन करना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है इससे शुगर, है ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। वहीं अगर आप गुड़ का सीमित सेवन करते हैं तो इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
हाई कोलेस्ट्रॉल में चीनी खाने से क्या होता है?
चीनी खाने से मन को शांति और तुरंत ऊर्जा मिलती है। शुगर के सेवन से शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ जाता है। इसमें मौजूद मिठास डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारियां और मोटापे की समस्या को तेजी से बढाती है। इसलिए अगर आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा है और मीठा खाने का मन कर रहा है तो चीनी की बजाय और गुड़ का सेवन करें है।
हाई कोलेस्ट्रॉल में गुड़ के फायदे
गुड़ के पोषक तत्व कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मददगार हैं। इनके आलावा आप मीठे में सेब, नाशपाती जैसी फलों का सेवन भी करें। गुड़ में मौजूद पोषक तत्व कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने नहीं देते हैं और शरीर में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।साथ ही इसका सेवन करने से पाचन तंत्र बेहतर होता है।
सेहत
सुबह का नाश्ता नहीं करने से इन गंभीर परेशानियों की चपेट में आ सकते हैं आप
सुबह का ब्रेकफास्ट राजा की तरह करना चाहिए’ यह कहावत तो आपने भी सुनी होगी। सुबह का नाश्ता से सिर्फ शरीर को ऊर्जा ही नहीं मिलती बल्कि कई पोषक तत्व भी मिलते हैं। यानी सुबह का नाश्ता हमारी बेहतरीन सेहत के लिए बेहद ज़रूरी है। यह जानने के बाद भी कई लोग मॉर्निंग ब्रेकफास्ट स्किप कर देते हैं। ज़ाहिर सी बात है सुबह के समय अफरा तफरी मची होती है। किसी को ऑफिस जाना होता है तो किसी को कॉलेज। अगर ऐसी स्थिति कभी कभार हो तब कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर यह रोज़ाना हो रहा है तो आपको अपनी सेहत को लेकर सावधान हो जाना चाहिए। ब्रेकफास्ट स्किप करने से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है जो आपकी अच्छी खासी सेहत को खतरे में डाला सकती है। तो, अगर आप भी किसी भी कारणवश सुबह का नाश्ता स्किप कर रहे हैं तो चलिए जानते हैं इससे आपकी सेहत पर क्या असर होगा?
सुबह नाश्ता नहीं करने से हो सकती हैं सेहत से जुड़ी ये परेशानियां:
- शुगर लेवल हो सकता है हाई: सुबह नाश्ता नहीं करने से ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। सुबह नाश्ता करने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रह सकता है। अच्छे और हेल्दी फूड के साथ दिन की शुरुआत करने से डायबिटीज का खतरा कम होता है और इससे जुड़ी जटिलताएं भी कम हो जाती हैं।
- बढ़ने लगता है वजन: सुबह का नाश्ता स्किप करने से वजन बढ़ने का भी खतरा बढ़ता है। सुबह का नाश्ता ना करने के बाद दोपहर में खाने में ज्यादा खाना खाएंगे। लिहाजा आपका वजन बढ़ सकता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता हो जाती है कमजोर: सुबह का नाश्ता स्किप करने का मतलब है अपनी इम्यूनिटी को कमजोर करना। रात के खाने के बाद सुबह के नाश्ते के बीच 7- 8 घंटे की अन्तर होता है। ऐसे में अगर आपने सुबह का ब्रेकफास्ट भी नहीं किया तो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसलिए इम्यून सेल्स को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो ब्रेकफास्ट जरूर करें।
- मेटाबॉलिज्म हो जाता है स्लो: अगर आप सुबह का नाश्ता नहीं करते हैं तो इस कारण मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है। नाश्ता आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है। यानी, अगर आप नाश्ता नहीं करेंगे तो वो स्लो होगा जिससे कैलोरी कम बर्न होगी।
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