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खबरे छत्तीसगढ़

बूंद बूंद पानी की कीमत क्या होती है इसे सिर्फ जान सकते है, पहाडी के उपर बसे ग्रामो के आदिवासी कमार जनजाति के ग्रामीण पी एच ई विभाग आज तक एक हेडपम्प भी नहीं लगा पाई

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सूख चुके नदी नाले में झरिया खोदकर प्यास बुझाते है ग्रामीण, जंगली जानवरों का हमेशा बना रहता है डर


राधेश्याम सोनवानी,गरियाबंद : गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लाक के दुरस्थ वनांचल पहडी ग्रामों में इस भीषण गर्मी के दिनों में लगातार पेयजल संकट गहराता जा रहा है ग्रामीण बूंद बूंद पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं गांव में एक हेण्डपंप नहीं होने के कारण विशेष पिछड़ी कमार आदिवासी जनजाति के लोग पत्थरों के सीना चीरकर बूंद बूंद पानी एकत्र कर रहे हैं तब कही जाकर एक हंडी पीने के लिए पानी बामुश्किल नसीब हो पा रही है झरिया गांव से लगभग 02 किमी दूर 40 डिग्री तेज धूप में पैदल चलने के बाद पानी नसीब हो पाती है,झरिया के आसपास वन्यप्राणीयों का डर बना रहता है क्योंकि वन्यप्राणी भी इसी झरिया में प्यास बुझाने पहुंचते हैं इसलिए ग्रामीण महिलाऐ समूह में झरिया पानी लेने जाते हैं और साथ में सुरक्षा की दृष्टि से पुरुष भी उनके साथ रहते हैं क्योंकि वन्यप्राणीयों का डर बना रहता है,मैनपुर क्षेत्र के पहाडी के उपर बसे ग्राम ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालूडिग्गी, डडईपानी जैसे दर्जनभर ग्रामों के लोगों को पीने के लिए साफ सुथरा पेयजल उपलब्ध नही हो पा रहा है, यहा विकास के दावे फेल नजर आते है एक एक बूंद पानी की कीमत यहा के ग्रामीण ही समझ पाते है ,इन ग्रामों की अबादी लगभग 560 के आसपास है, यहां के निवासरत कमार जनजाति के लोगो को पेयजल के लिए महज एक मात्र हैंडपंप भी नसीब नही है पहाड़ी पर बसा इन ग्राम विकास की दृष्टिकोण से बस्तर के अबुझमाड़ के दुर्गम इलाको से भी बत्तर स्थिति में है। एक तरफ राज्य और केंद्र सरकार हर गांव घर तक पानी पहुंचाने की दावे कर रही है दूसरी तरफ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जिसका जिम्मेदारी है हर नागरिक को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का वहा पहाड़ी गांव का हवाला देकर आजादी के 75 वर्षों बाद भी इन पहाड़ियों पर बसे गांव में पानी पहुंचाने हाथ खड़े कर देते हैं,जब भी ग्रामीणों द्वारा हैंडपंप की मांग किया जाता है तो पहाड़ी गांव का हवाला देकर मांग को टाल देते हैं जबकि पहाड़ी पर बसे इन ग्रामों तक पानी पहुंचाने ठोस कार्ययोजना योजना बनाने की जरूरत है क्योंकि अन्य विभाग और वन विभाग द्वारा इन ग्रामों अनेकों निर्माण कार्य आसानी से करवाया जाता है तो हैंडपंप भी खनन किया जा सकता है इस पर गंभीरता से विचार करने के साथ दृण इच्छा शक्ति के साथ काम करने की जरूरत है।

ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट के सरपंच धनमोतिन बाई सोरी ने बताया कि कुल्हाडीघाट के आश्रित ग्राम ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालूडिग्गी, डडईपानी जो पहाडी के उपर बसा हुआ है यहा इस गर्मी मे पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है लोगो को झरिया खोदकर बूंद बूंद पानी के लिए मशक्कत करना पड रहा है।

कसेरसील के आदिवासी महिला पुरूष पानी मांगने जनपद पंहुचे

मैनपुर विकासखण्ड के दुरस्थ वनांचल में बसे ग्राम पंचायत कुहीमाल के आश्रित पारा कसेरसील जंहा की जनसंख्या 150 के आसपास है, यहा आज भी हेडपम्प नही होने के कारण ग्रामीण नदी नाले का पानी पीने मजबूर हो रहे है 50 से ज्यादा ग्रामीण महिला पुरूष मैनपुर पहुचकर जनपद पंचायत में नारेबाजी करते हुए गांव में हेडपम्प खनन करने की मांग किया यहा के ग्रामीण रमुला बाई, धनमती, अंजनी, विष्णुराम, सुपारा बाई, जगदीश, सुजानमनी, रेखा ने बताया कि गांव में एक भी हेडपम्प नही है और इस भीषण गर्मी में नदी सुख जाने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, पानी लाने के लिए दो से तीन किलोमीटर दुर जाना पड रहा है।

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जवानों की शहादत नहीं जाएगी बेकार : सीएम साय 

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रायपुर :  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय  और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आज चौथी बटालियन माना पहुंचकर गत दिवस नारायणपुर जिले में नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए जवान नितेश एक्का के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने शहीद जवान के पार्थिव शरीर को कंधा देकर ससम्मान गृह ग्राम जशपुर जिले के चिरईडांड के लिए रवाना किया।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मौके पर कहा कि नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में हुए नक्सली मुठभेड़ में हमारे वीर जवान ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। हमारी सरकार बनते ही हमने नक्सलियों के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज कर दी है और हम निर्णायक लड़ाई लड़ रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी और हम क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए संकल्पित है। मुख्यमंत्री साय ने इस दौरान शहीद जवान नितेश एक्का के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया।

गौरतलब है कि एसटीएफ के शहीद आरक्षक नितेश एक्का जशपुर जिले के रहने वाले थे। पिछले 12 जून को नारायणपुर जिले के फरसबेड़ा-धुरबेड़ा क्षेत्र में डीआरजी, एसटीएफ और बीएसएफ का संयुक्त बल नक्सल विरोधी अभियान के लिए रवाना हुआ था। अभियान के दौरान 15 जून को नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी और जवाबी कार्यवाही में 08 माओवादियों को मार गिराया गया। इस दौरान सुरक्षाबल के दो जवान घायल हुए और एक जवान शहीद हो गया।

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छत्तीसगढ़ :नौकरियों में आयु सीमा में छूट का मामला, फैसला आएगा 5 जुलाई को

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बिलासपुर  : हाईकोर्ट ने दो मामलों को तीन जजों की फुल बेंच में सुनने का निर्णय लिया है। इनमें से एक औद्योगिक संस्थानों से निकाले गए कर्मचारियों से संबंधित नियमों का है, दूसरा राज्य सरकार द्वारा नौकरियों की आयु सीमा में 5 साल की छूट देने का है। शनिवार को तीन जजों, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस संजय के अग्रवाल व जस्टिस नरेंद्र व्यास की पीठ ने इन दोनों मामलों में सुनवाई की। औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 के तहत किसी संस्थान से निकाले गए कर्मचारी को पुनः सेवा में लेने तथा क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में दायर अलग-अलग याचिकाओं ने दो भिन्न भिन्न तरह के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं। इसी के संदर्भ में अब हाईकोर्ट की फुल बेंच द्वारा निर्णय लिया जाएगा। मामले की अंतिम सुनवाई 9 जुलाई को रखी गई है। राज्य सरकार द्वारा आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट देने की घोषणा की गई है। फुल कोर्ट ने राज्य शासन को जानकारी देने कहा है कि नए नियम क्या हैं। इस पर भी अंतिम निर्णय लिया जाना है, जिसकी सुनवाई 5 जुलाई को होगी।

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एबीस फैक्ट्री के गोदाम में लगी भीषण आग, करोड़ों का सामान जलकर खाक

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राजनांदगांव : शहर के समीप इंदामरा में एबीस ग्रुप के माल गोदाम में शनिवार को भीषण आग लग गई, दोपहर लगभग 3:00 बजे लगी इस आग पर काफी मशक्कत के बाद देर रात काबू पाया गया। इस आगजनी से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं राजनांदगांव सहित आसपास जिले की दर्जन भर फायर ब्रिगेड की मदद से आग बुझाई गई।

राजनांदगांव शहर के समीप ग्राम इंदामरा क्षेत्र में संचालित एबीस ग्रुप के सोयाबीन तेल पैकेजिंग गोदाम में अज्ञात कारणों से भीषण आगजनी हो गई। इस गोदाम में कार्टून, पैकेजिंग मैटेरियल, पोल्ट्री मेडिसिन और वैक्सीन सहित कई सामान्य जलकर खाक हो गए। इस आगजनी में कोई जनहानी नहीं हुई लेकिन करोड़ों रूपये के नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

इस भीषण आगजनी में एबीसी कंपनी की तीन फायर ब्रिगेड के अलावा स्थानीय फायर ब्रिगेड की तीन टीम मौके पर पहुंचकर आग बुझाने की कोशिश में जुटी रही, लेकिन आग नहीं बुझने पर डोंगरगढ़, डोंगरगांव, दुर्ग, भिलाई सहित आसपास के क्षेत्र से दमकल वाहनों को बुलाया गया, जिसके बाद दर्जनों दमकल वाहनों की मदद से आग बुझाई गई।

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