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उभरती हुई संभावनाओं का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर स्वरोजगार की तरफ बढ़ें युवा : वित्त मंत्री ओपी चौधरी

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रायपुर, 01 मार्च 2024 : छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में नाबार्ड द्वारा आयोजित तीन दिवसीय एफपीओ मेला का फीता काटकर शुभारंभ किया। इस दौरान धरसींवा विधायक श्री अनुज शर्मा, लुंड्रा विधायक श्री प्रबोध मिंज, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल तथा नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ज्ञानेन्द्र मणि भी उपस्थित थे। इस मेले के जरिए प्रदेश भर के किसान अपने उत्पादों के विक्रय तथा विपणन से संबंधित जानकारी हासिल कर सकेंगे और नई तकनीक की जानकारी हासिल कर अपने उत्पादों में वैल्यू एडिशन कर तथा नए एफपीओ बनाकर अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

एफपीओ अर्थात किसान उत्पादक संगठन छोटी जोत आधारित कृषि को एक व्यवहारिक कृषि-व्यवसाय में बदलने और विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों की शुद्ध आय बढ़ाने के लिए एक प्रभावी तंत्र के रूप में उभर रहा है। छत्तीसगढ़ में खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में  57 एफपीओ खाद्यान्न, फलों, सब्जियों और मसालों के उत्पादन जैसे विभिन्न गतिविधियों में लगे हुए हैं। इन एफपीओ की संख्या और बढ़ायी जा सके तथा इनके जरिए राज्य भर के किसान कृषि को फायदेमंद व्यवसाय बना सकें, इसलिए नाबार्ड द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय एफपीओ मेला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें राज्य भर के 46 एफपीओ अपने उत्पादों के साथ हिस्सा ले रहे हैं।

एफपीओ मेला को संबोधित करते हुए श्री ओपी चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राज्य बनाने की बात कही है। यह तभी संभव है जब छत्तीसगढ़ भी विकासशील से विकसित बने। इसके लिए मुख्ययमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सरकार ने बजट में अमृतकालः छत्तीसगढ़ विजन /2047 की बात कही है जिसे 1 नवंबर 2024 को लांच किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बस्तर एवं सरगुजा जैसे क्षेत्रों मे विकास की काफी संभावनाएं हैं और इसके लिए बजट में डीडीपी अर्थात डीसेंट्रलाइज्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें तकनीक को बढ़ावा देना होगा और इसीलिए इस बजट में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 266 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

श्री ओपी चौधरी ने कहा कि नाबार्ड के सहयोग से एफपीओ का काम बहुत अच्छा चल रहा है और इसके भीतर की असीम संभावनाओं को देखते हुए इसमें मछली पालन को भी शामिल करने की आवश्यकता है। श्री ओपी चौधरी ने कहा कि कृषि आज की आवश्यकता और आजीविका वर्धन का बहुत सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि वह खुद भी एक किसान के रूप में केला, नारियल, कटहल,चीकू और सफेद चंदन की खेती कर रहे है और इसे व्यवसाय के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा कृषि की पढ़ाई कर रहे हैं। इन युवाओं को आने वाले समय मे उभरती हुई संभावनाओं का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए ताकि कृषि को तकनीक से जोड़कर राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के साथ ही रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किया जा सके। युवाओं को अपने आत्मविश्वास, ज्ञान और समय के निवेश से स्वरोजगार की ओर बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
श्री ओपी चौधरी ने कहा कि वैज्ञानिक खेती की नई किस्मों की लगातार खोज कर रहे हैं इसके साथ ही शिक्षाविद् भी वर्षों से युवाओं को खेती किसानी के बारे में पढ़ा रहे हैं,ऐसे में इन शिक्षाविदों को भी अपने ज्ञान को खेतों और किसानों तक पहुंचाना चाहिए ताकि कृषि को व्यवसायिक रूप देने में आसानी हो सके और किसानों को भी ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में 10 हजार एफपीओ के गठन और संवर्धन पर केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएस) की घोषणा की है। नाबार्ड इसके कार्यान्वयन एजेंसियों में से एक है। एफपीओ के उत्पाद कम समय में दूर तक पहुंच सके, शहरी खरीददारों को कृषक समुदाय के करीब लाया जा  सके इसके लिए इन्हें आनलाइन विक्रय एजेंसियों से भी जोड़ा गया है।

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जशपुर को पर्यटन नक्शे में शामिल करने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की बड़ी पहल

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  • प्रसिद्व पर्यटन स्थल मयाली नेचर कैम्प स्वदेश दर्शन योजना में शामिल
  • विकास के लिए दस करोड़ रूपये की मिली स्वीकृति

जशपुरनगर, 27 जुलाई 2024 : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल से जिले के प्रसिद्व प्राकृतिक व धार्मिक पर्यटन स्थल मयाली को पर्यटन विभाग ने स्वदेश दर्शन योजना के दूसरे चरण में शामिल कर लिया है। इस योजना में शामिल हो जाने से पर्यटन स्थल में बुनियादी सुविधाओं का विकास तेजी से हो सकेगा। साथ ही इसके प्रचार प्रसार होने से यहां पर्यटकों की हलचल बढ़ने की संभावना भी है।

उल्लेखनीय है कि मयाली नेचर केैम्प,जिले के कुनकुरी ब्लाक में चराईडांड़ बगीचा स्टेट हाईवे में स्थित है। बेलसोंगा डेम और एशिया की सबसे उंचा शिवलिंग माना जाने वाला मधेश्वर पहाड़ का विहंगम मनमोहक दृश्य पर्यटकों को घंटों समय व्यतीत करने का अवसर देता है। वनविभाग ने इस स्थल पर पर्यटकों की सुविधा के लिए टेंट की व्यवस्था भी की है। इन टेंट हाउस में डेम के किनारे,हरियाली से भरे हुए प्राकृतिक स्थल पर रात्रि विश्राम का परिवार के साथ आनंद उठाने के लिए भारी संख्या में पर्यटक जुटते हैं। विशेष कर विकेंड के दिनों में यहां पर्यटकों की हलचल अधिक रहती है। पर्यटकों को मयाली नेचर कैंप में बोटिंग का आनंद उठाने की सुविधा भी दी गई है। इसके लिए गाइड के साथ सुरक्षा के सभी इंतजाम किये गए हैं। राज्य सरकार के सहयोग से मयाली नेचर कैम्प में कैकट्स गार्डन का विकास भी किया जा रहा है। इस विशेष गार्डन में देश भर में पाएं जाने वाले कैक्ट्स की प्रजातियों को समेटा गया है ताकि युवा पीढ़ी कैम्टस से भली भांति परिचित हो सके। इसका एक उद्देश्य लोगों को बायोडायर्वसिटी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है।

विकास के लिए दस करोड़ की स्वीकृति –
स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने के साथ ही पर्यटन विभाग ने मयाली के विकास के लिए 10 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की है। इसके लिए जिला स्तरीय संचालन समिति का गठन करते हुए,विकास के लिए एक्शन प्लान और डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

 

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छत्तीसगढ़ : गैस रिसाव, कुएं में उतरे युवक की हुई मौत

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सूरजपुर :  जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ है. हर्रा टिकरा गांव में कुएं से पंप निकालने उतरे युवक की गैस रिसाव होने से मौत हो गई. घटना से गांव में सनसनी फैल गई और इसकी जानकारी पुलिस को दी गई. वहीं मौके पर पहुंची पुलिस ने डीडीआरएफ की टीम को सूचना दी. जिसके बाद टीम ने रेस्क्यू अभियान चलाया और 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद शव को कुएं से बाहर निकला गया.

यह मामला जयनगर थाना क्षेत्र का है. डीडीआरएफ टीम (DDRF) से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की शाम करीब 4 बजे जयनगर थाना से सूचना प्राप्त हुआ कि ग्राम हर्रा टिकरा चीटकी पारा में एक व्यक्ति कुएं में डूब गया है. जिसकी सूचना पर डीडीआरएफ टीम सूरजपुर घटना स्थल पर पहुंची और गैस डिटेक्टर से कुएं की जांच की. जिसमें पता चला कि कुएं में गैस का रिसाव था. इस दौरान जिला सेनानी संजय गुप्ता के मार्गदर्शन पर 4 घंटे कड़ी मुस्क्कत के बाद मृतक रामलाल उर्फ बाने (उम्र 30 वर्ष) का शव कुएं से निकाला गया.

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छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक 2024 सर्वसम्मति से पारित

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  • जीएसटी लागू होने से पंजीकृत व्यवसायियों की संख्या में 50 लाख से अधिक की हुई बढ़ोत्तरी
  • जीएसटी में विभिन्न करों को किया गया है शामिल

रायपुर, 26 जुलाई 2024  : वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री श्री ओपी चौधरी ने आज छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक 2024 विधानसभा में प्रस्तुत किया। सदन में विस्तृत चर्चा के पश्चात् संशोधन विधेयक 2024 सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पंजीकृत व्यवसायियों की संख्या में 50 लाख से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। जीएसटी में विभिन्न करों को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में 19 जुलाई 2024 को आयोजित केबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक 2024 का अनुमोदन किया गया था।

जीएसटी परिषद की अनुशंसा के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक संशोधन किया जा चुका है। जिसके अनुसरण में राज्य शासन द्वारा भी संशोधन किया गया है, जिसके अंतर्गत हेड ऑफिस द्वारा इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का वितरण अपने ब्रांच ऑफिस को किया जाएगा तथा तंबाकू उत्पादन निर्माताओं द्वारा मशीन का पंजीयन नहीं कराने पर 1 लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

श्री चौधरी ने बताया कि समय-समय पर आवश्यकता अनुसार जीएसटी परिषद् द्वारा जीएसटी अधिनियम में संशोधनों का निर्णय लिया जाता है। ताकि व्यापार सुगम हो एवं कर राजस्व में वृद्धि सुनिश्चित की जा सके।

इसी तारतम्य में जीएसटी काउंसिल द्वारा इनपुट सर्विस ड्रिस्टीब्यूटर के संबंध में आगत कर प्रत्यय लिये जाने के प्रावधान को युक्तियुक्त बनाने एवं पान मसाला, गुटखा इत्यादि के विनिर्माण में लगने वाले मशीनों के रजिस्ट्रीकरण के लिए, अधिनियम में कतिपय संशोधन का निर्णय लिया गया था। जीएसटी काउंसिल द्वारा लिए गए निर्णय के परिप्रेक्ष्य में केन्द्रीय माल और सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2024 दिनांक 15 फरवरी, 2024 से अधिसूचित है। अतः छत्तीसगढ़ माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में  भी तद्नुसार संशोधन किया जाना आवश्यक है।

उक्त संशोधन में अन्य बातों के साथ निम्नानुसार संशोधन किया गया है:-

पूरे देश में इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट के वितरण हेतु अपनाई जा रही प्रक्रिया में समरूपता लाने के प्रयोजन से परिभाषा खंड में संशोधन किया जा रहा है। साथ ही रिवर्स चार्ज लेव्ही को भी इसके अंतर्गत शामिल किया जा रहा है। उक्तानुसार प्रकरणों में इनपुट टैक्स वितरण की रीति विहित करने के लिए सुसंगत धारा में आवश्यक संशोधन किया गया है।

श्री चौधरी ने बताया कि जीएसटी परिषद् की सिफारिशों पर तंबाकू उत्पाद निर्माण क्षेत्र में सर्वाधिक राजस्व लिकेज होने के कारण उनके लिए अनुपालन भार में बढ़ोतरी की गई है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक मशीन का पंजीयन अनिवार्य किया गया है। ऐसे निर्माताओं द्वारा मशीन का पंजीयन नहीं कराये जाने पर प्रत्येक मशीन के लिए राशि एक लाख रूपये जुर्माना अधिरोपित किये जाने का प्रावधान है।

वाणिज्यकर मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि जीएसटी स्वतंत्रता के पश्चात् के सर्वाधिक महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व आर्थिक सुधारों में से एक है, जिसमें केंद्र और राज्यों में लागू अप्रत्यक्ष कर समाहित है। इन करों में केन्द्रीय उत्पाद कर, सर्विस टैक्स, केन्द्रीय अधिभार एवं उपकर, वैट, प्रवेशकर, केन्द्रीय विक्रय कर, विलासिता कर, मनोरंजन कर आदि 17 प्रकार के करों को शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व एवं कर्तृत्व का ही परिणाम है कि उनकी दूरदर्शिता के कारण ही जीएसटी लागू किया जाकर एक राष्ट्र, एक कर एवं एक बाजार की संकल्पना को साकार किया जा सका है।

वित्त मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि माल और सेवा कर (जीएसटी) भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाए जाने वाला एक समग्र अप्रत्यक्ष कर है। इसे 1 जुलाई 2017 को कई करों को बदलकर और एकल एकीकृत कर प्रणाली बनाने के लिए पेश किया गया था। जीएसटी ने देश में सहकारी संघवाद की नई परिपाटी बनाई है, जिसका सर्वोत्तम उदाहरण जीएसटी परिषद है। जीएसटी परिषद में केन्द्रीय वित्त मंत्री अध्यक्ष और सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होते हैं। जीएसटी परिषद में केन्द्र व राज्य आपसी सहमति से सामूहिक निर्णय लेते हैं। जीएसटी लागू होने से कर प्रणाली सरल और प्रबंधनीय हो गई है। जीएसटी लागू होने के पूर्व उत्पादों पर केन्द्रीय उत्पाद कर लगता था एवं इस कर पर राज्य में वेट लगता था। इस प्रकार कर के ऊपर कर लगता था एवं केन्द्रीय करों का क्रेडिट भी राज्य के व्यापारियों को नहीं मिलता था। इस प्रकार अंततः माल की लागत में बढ़ोतरी होती थी। जीएसटी लागू होने के उपरांत ऐसा Cascading प्रभाव समाप्त हो गया है एवं सप्लाई चेन में इनपुट टैक्स क्रेडिट का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित हुआ है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं पर समग्र कर भार कम हुआ है। सामग्री एवं सेवा की लागत में कमी आई है और खपत को प्रोत्साहन मिला है और आर्थिक वृद्धि में सुधार हुआ है एवं उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।

श्री चौधरी ने जीएसटी पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने और भुगतान के लिए ऑनलाइन प्रणाली होने से अनुपालन सरल हुआ है और पारदर्शिता आई है। अब छोटे व्यापारी स्वयं ही रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न राज्यों  के अंतर्राज्यीय चेकपोस्ट को समाप्त किया गया है, जिससे लॉजिस्टिक्स और वितरण क्षेत्र सुव्यवस्थित हो गया है, परिणामस्वरूप वस्तुओं की आवाजाही की लागत और समय कम हो गया है। जीएसटी ने कई अनौपचारिक व्यवसायों को कर दायरे में लाकर कर आधार को बढ़ाया है और सरकार के लिए अधिक राजस्व सुनिश्चित हुआ है। साथ ही अब राज्यों को भी सेवाओं पर करारोपण का अधिकार प्राप्त है।

वाणिज्यिक कर मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कंपोजिशन की सुविधा प्रदान की गई है, जिसके अंतर्गत 1.5 करोड़ रू. तक के टर्नओव्हर वाले व्यवसाईयों को अपने टर्नओव्हर का बहुत ही अल्प भाग जैसे- 2 प्रतिशत कर के रूप में जमा करना होता है एवं उनके लिए अनुपालन भार जैसे रिटर्न प्रस्तुत करने एवं कर भुगतान की प्रणाली को सरल व सुगम बनाया गया है। साथ ही उन्हें विभिन्न प्रकार के लेखाओं के संधारण की अनिवार्यता नहीं है।

जीएसटी लागू होने से पंजीकृत व्यवसाईयों की संख्या लगभग 1.28 लाख थी जो वर्तमान में बढ़कर लगभग 1.80 लाख हो गयी है। पड़ोसी राज्य जैसेे झारखंड एवं उड़ीसा में पंजीकृत व्यवसाईयों की संख्या क्रमशः 2.05 लाख एवं 3.38 लाख है। आज विभाग में रजिस्ट्रेशन को लेकर होने वाली अधिकांश समस्याओं को दूर कर लिया गया है। जहां वर्ष 2024 की शुरूआत में रजिस्ट्रेशन के आवेदन की प्रक्रिया में औसतन 15 दिन का समय लगता था वह आज केवल 07 दिनों में पूर्ण किया जा रहा है।

जीएसटी लागू होने बाद राजस्व संग्रहण में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्ज की गई है। यद्यपि वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण अपेक्षित वृद्धि प्राप्त नहीं हुआ है।

जीएसटी लागू होने के कारण विभिन्न राज्यों के राजस्व वृद्धि में संभावित कमी की क्षतिपूर्ति हेतु केन्द्र की सरकार ने अपने वादे के अनुरूप सभी राज्यों को कानून बनाकर क्षतिपूर्ति किया जाना सुनिश्चित किया है। छत्तीसगढ़ राज्य को अप्रैल 2018 से जून 2022 तक कुल 21 हजार 679 करोड़ रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की गई है।

श्री चौधरी ने सदन को बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों में कमी से कंपनसेशन फंड में राशि नहीं होने पर वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में राज्यों को क्षतिपूर्ति देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2.59 लाख करोड़ रूपये का ऋण लिया गया, जो कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को क्षतिपूर्ति देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। छत्तीसगढ को बैक टू बैक लोन के रूप में कुल राशि रूपये 8 हजार 074 करोड़ प्राप्त हुआ है।

जीएसटी की राशि राज्य को सीधे ही प्राप्त हो जाती है एवं केन्द्रीय जीएसटी की राशि का 42 प्रतिशत केन्द्रांश राज्यों को Devolution के रूप में प्राप्त होता है। इस प्रकार जीएसटी में वृद्धि से राज्यों को प्रत्यक्षतः लाभ तो मिलता ही है साथ ही केन्द्रांश के रूप में राज्यों को राशि प्राप्त होती है। छत्तीसगढ़ में राज्य को वर्ष 2017-18 से 2023-24 तक प्राप्त राजस्व एवं इसी अवधि में Devolution से प्राप्त राजस्व रू. 1.41 लाख करोड़ है।

व्यवसाईयों की सुविधा के लिए वाणिज्यिक कर विभाग में एक समर्पित EODB (Ease of Doing Business) कक्ष का गठन किया गया है, जिसके द्वारा व्यवसाईयों की समस्याओं का निराकरण, जी.एस.टी. के हितधारकों (करदाता व्यावसायिक संगठन, बार एसोसिएसन, चार्टर्ड एकाउंटेंट एसोसिएसन) के साथ बेहतर समन्वय के लिए आउटरीच प्रोग्राम के माध्यम से कर अनुपालन में वृद्धि हेतु प्रोत्साहन दिया जा सके। उक्त कक्ष का प्रभारी संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी को बनाया गया है। कक्ष द्वारा प्रतिमाह सभी हितधारकों के साथ नियमित बैठक आयोजित कर उनकी समस्याओं व सुझावों के संबंध में निर्णय लिया जाता है। व्यवसाईयों की समस्याओं को दूर करने के लिए टोल फ्री हेल्पलाईन नंबर भी शुरू किया गया है। विभाग अंतर्गत बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट (B.I.U.) का गठन किया गया है। जिसके द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग तकनीकों का प्रयोग कर डाटा आधारित कर अपवंचन के तरीकों को पता लगाकर कार्यवाही की जा रही है।

श्री चौधरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य कर (जीएसटी) विभाग द्वारा सूचना एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नई पहल करते हुए 11 जून 2024 को “ई-संवीक्षा” पोर्टल लाँच किया गया है। इससे न केवल विभागीय अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की मानिटरिंग की जा सकेगी, बल्कि एनालीटिक्स में इससे प्राप्त होने वाले आँकड़ों का राजस्व हित में उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा राज्य के व्यापारियों को होने वाली व्यवहारिक परेशानियों जैसे एक ही अवधि के लिये एक से अधिक अधिकारियों द्वारा नोटिस दिया जाना आदि का निराकरण करने में भी “ई-संवीक्षा” माड्यूल कारगर साबित होगा।  इन सभी प्रयासों से छोटे व्यापारियों को एवं उपभोक्ताओं को लाभ प्राप्त हुआ है।

जीएसटी संशोधन विधेयक 2024 के संबंध में विधायक सर्वश्री उमेश पटेल, राघवेन्द्र सिंह ने चर्चा में हिस्सा लिया। चर्चा पश्चात विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

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