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ज‍िस MQ9B ड्रोन से अमेर‍िका ने क‍िया था अलकायदा का सफाया, भारत ने वही खरीदा, चीन-पाक‍िस्‍तान के ल‍िए बनेगा काल

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अफगानिस्तान में अलकायदा के सफाये में ज‍िस प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी भूमिका थी. हजारों किलोमीटर दूर बैठकर किसी भी टारगेट पर नजर रखी गई और सटीक न‍िशाना बनाया गया. अब ऐसा ही भारतीय सेना भी करती नजर आएगी. चीन बॉर्डर हो या फ‍िर पाक‍िस्‍तान, हर जगह नजर रखी जा सकेगी. क्‍योंक‍ि भारत को अब वही MQ9B ड्रोन मिलने जा रहा है. अमेर‍िका के साथ इस सौदे पर आख‍िरी मुहर लग गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 3.99 बिलियन डॉलर के इस सौदे में भारत को 31 एमक्यू-9बी रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए) और संबंधित उपकरण मिलेंगे. यह MQ9B ड्रोन का एडवांस्‍ड वर्जन है. अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक के साथ डील पर दस्तखत हो गए हैं. इस प्रीडेटर ड्रोन के कई अलग-अलग वर्जन हैं और अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. जैसे क‍ि MQ-9 रीपर , सी गार्डियन और स्काई गार्डियन … लेकिन भारत अमेरिका से 31 एमक्यू-9 रीपर ड्रोन यानी प्रीडेटर ड्रोन खरीद रहा है.

इसमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को, 8 थल सेना और 8 वायुसेना को मिलेंगे. सबसे ज्‍यादा नौसेना को इसलिए द‍िए जा रहे हैं क्योंकि उनकी निगरानी का इलाका तीनों सेनाओं में सबसे ज्‍यादा है. जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेर‍िका दौरे से पहले रक्षा खरीद परिषद ने 31 ड्रोन खरीदने की मंजूरी दी थी और उसके बाद अमेरिका में इस डील का ऐलान हुआ.

पीएम मोदी और अमेरीकी राष्ट्रपति बाइडन की मुलाकात के बाद जो बयान जारी हुआ था, उसमें कहा गया था कि MQ-9B हाई ऑल्‍ट‍िट्यूड लांग एंडोरेंस ड्रोन को भारत में ही असेंबल किया जाएगा.  इस फैसले से दोनों देश के राष्ट्राध्यक्षों ने स्वागत किया था . पिछले हफ्ते ही CCS की बैठक में 3.99 बिलियन की लागत से 31 ड्रोन की ख़रीद को आंतिम मंजू दी थी और रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को इस पर दस्तखत भी किए जा चुके हैं.

भारत अमेरीकी ड्रोन डील
भारत ने 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्जियन विमान के साथ 161 एंबेडेड ग्लोबल पोजिशनिंग स‍िस्‍टम और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (EGI) भी ल‍िया है. साथ ही, 35 L3 रियो ग्रांडे कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस सेंसर सूट, 170 AGM-114R हेलफायर मिसाइलें, 16 M369 हेलफायर कैप्टिव एयर ट्रेनिंग मिसाइलें , 310 GBU-39B/B लेजर छोटे डायमीटर वाले बम और 8 GBU-39 B/B LSDB गाइडेड टेस्ट वाहन के साथ लाइव फ्यूज भी खरीदे हैं. साथ ही ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन भी शामिल हैं, TPE-331-10-GD इंजन, M299 हेलफ़ायर मिसाइल लॉन्चर, KIV-77 क्रिप्टोग्राफ़िक एप्लाइक्स और अन्य फ्रेंड एंड फो (IFF) उपकरण खरीद रहा है.

चीन और पाकिस्तान के लिए मुसीबत
31 में से नौसेना के सबसे ज्यादा 15 सी गार्डियन मिलने हैं क्योंकि हिंद महासागर रीजन पर निगरानी रखना एक सबसे बड़ी चुनौती है. हमेशा हिंद महासागर क्षेत्र में दूसरे देशों के जंगी जहाजों की संख्या 50 से 60 से ज्‍यादा होती है तो मर्चेंट वेसेल 20 हजार से भी ज्यादा गुजरती हैं. ऐसे में दुश्मन या भारत की तरफ गलत नजर रखने वाले देशों की साज‍िशों पर नजर रखने के लिए ये सबसे मुफीद हथियार है. चीन नीले समुद्र में फ्रीडम ऑफ नेविगेशन का बेजा इस्तेमाल कर रहा है. भारतीय समुद्री इलाके में साल 2008 के बाद से ही अपने वॉरशिप और सबमरीन के साथ मौजूद रहता है. उसके रिसर्च वेसेल आए दिन इंडियन ओश‍िन रीजन में आते रहते हैं, जिन पर अब इन ड्रोन के ज़रिए आसानी से नजर रखी जा सकती है. अगर हम भारतीय समुद्री इलाके की बात करें तो ये ईस्ट कोस्ट से करीब 5000 किलोमीटर आगे तक तो वेस्ट कोस्ट से करीब 8000 किलोमीटर आगे तक फैला हुआ है और इस पर निगरानी रखना सबसे जटिल काम है.

एलओसी-एलएसी पर रहेगी कड़ी नजर
थलसेना और वायुसेना को मिलने वाले 16 ड्रोन चीन से लगते पूरे एलएसी और पाकिस्तान से लगती LOC और इंटरनेशनल बॉर्डर पर नजर रखी जाएगी. पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना के फाइटरों ने बालाकोट में घुसकर आतंकी शिविरों को नष्ट किया था, अब इस ड्रोन के आने के बाद बस एक कंट्रोल रूम में बैठे-बैठे ही किसी भी आपरेशन को आसानी से अंजाम दिया जा सकेगा. चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में विवाद के दौरान भी इन सी गार्डियन का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जा सकेगा. चीन की सबसे बड़ी समस्या ये है कि उसका 80 फ़ीसदी एनर्जी ट्रेड इंडियन ओश‍िन  रीजन से होकर गुजरता है और अगर भारत के पास ये अचूक रामबाण होगा तो उसका परेशान होना लाज़मी है.

क्यों है ये दुनिया का सबसे ख़तरनाक ड्रोन
ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक की मानें तो ये ड्रोन सिर्फ 2 ग्राउंड क्रू के ज़रिए आसानी से 50 हज़ार फ़िट की उंचाई पर 300 मील प्रति घंटे की अपनी अपनी अधिकतम रफ़्तार से 27 घंटे तक एक बार में 1900 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भर सकता है. अपने साथ 1700 किलो से ज़्यादा पेलोड ले जा सकता है. एयर टू ग्राउंड हेलफायर मिसाइल , लेजर गाइडेड बॉम , एयर टू एयर स्ट्रिंगर मिसाइल पेलोड लेकर उड़ान भर सकता है. खास बात ये है कि इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह C-130 सुपर हरक्यूलिस और अन्य बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट से मूव क‍िया जा सकता है. इस ड्रोन की ख़ासियत को पहले ही सेना बारीकी से अध्ययन कर रही थी… तीन साल से नौसेना इसका इस्तेमाल कर रही है. हालांक‍ि, अब तक सिर्फ निगरानी के ल‍िए इस्‍तेमाल क‍िया जाता था. अब इसे बॉर्डर पर भी इस्‍तेमाल क‍िया जाएगा.