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संभल में भाईचारे को गोली मारी गई, अखिलेश यादव ने लोकसभा में उठाया मुद्दा, अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

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नई दिल्लीः सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा कि संभल हिंसा सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी जिसमें चार लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर प्रशासन जिम्मेदार है। लोकसभा को में अखिलेश यादव ने जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग करते हुए इस मुद्दे पर संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की। अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में जो घटना हुई वह एक सोची समझी साजिश है और संभल में भाईचारे को गोली मारी गई है। पूरे देश में खुदाई की बातें बीजेपी और उसके सहयोगी दल कर रहे हैं। यह देश का भाईचारा ख़त्म कर देंगे।

संभल हिंसा साजिश का हिस्सा

संभल मामले पर समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में जो घटना हुई, वह एक सोची-समझी साजिश है। उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को उपचुनाव होने थे, लेकिन इसे 20 नवंबर तक टाल दिया गया। यह सरकार संविधान को नहीं मानती। संभल में शाही जामा मस्जिद के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। दूसरे पक्ष की बात सुनने से पहले ही मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश पारित कर दिया गया। 19 नवंबर को सर्वेक्षण किया गया और रिपोर्ट कोर्ट को दी जानी थी।

अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

उन्होंने कहा कि 24 नवंबर को फिर से सर्वेक्षण किया गया, जिसके दौरान लोग सर्वेक्षण का कारण जानने के लिए एकत्र हुए। सर्किल ऑफिसर ने वहां एकत्र लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया और लाठीचार्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने अपने सरकारी और निजी हथियारों से गोलीबारी की, जिसमें दर्जनों लोग घायल हुए और 5 निर्दोष मारे गए। पुलिस और प्रशासन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए ताकि लोगों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

अखिलेश ने योगी सरकार पर साधा निशाना

अखिलेश यादव ने कहा कि ये लड़ाई दिल्ली और लखनऊ की है। दिल्ली वाले जिस रास्ते से यहां पहुंचे हैं उसी रास्ते से लखनऊ वाले दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। सपा प्रमुख ने संभल हिंसा के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

राज्यसभा में राम गोपाल ने उठाया संभल का मामला

वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने 24 दिसंबर को एक घटना के दौरान उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पुलिस की बर्बरता का आरोप लगाया। राम गोपाल के अनुसार, स्थानीय लोगों को इसके उद्देश्य के बारे में बताए बिना सुबह से ही जिले में व्यापक पुलिस तैनाती की गई थी। राज्यसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), वकील और अन्य लोग ढोल-नगाड़ों के साथ एक मस्जिद में घुस गए, जिससे भीड़ में संदेह पैदा हो गया।

उन्होंने  दावा किया कि अशांति तब शुरू हुई जब सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने मस्जिद के अंदर पानी की टंकी खोली, जिससे संभावित छेड़छाड़ को लेकर स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई। कथित तौर पर अशांति हिंसा में बदल गई, जिसके दौरान पुलिस ने गोलियां चलाईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई मामले दर्ज किए गए, कई व्यक्तियों को जेल में डाल दिया गया और बंदियों को गंभीर रूप से पीटा गया।

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