रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा लखनपुर : सरगुजा के मध्यम सिंचाई परियोजना के नाम से जाने जाना वाला कुंवरपुर जलाशय विभागीय उपेक्षा का दंश सालों से झेल रहा है। दरअसल कुंवरपुर बांध से सबध लखनपुर के तरफ जाने वाली छोटी माईनर जगह जगह से कटे- टुटे फूटे बदहाली का नमूना बना हुआ है।
साफ-सफाई देखरेख के अभाव में नहर मेड पर उग आए
झाड़ झखाडो ने अपना कब्जा बना रखा हैं। नहर मेड की ये बदहाली खुद सिंचाई विभाग के लापरवाही अनदेखी का गवाही दे रही हैं।
यही वजह है कि रबी अथवा खरीफ सीजन में किसानों को अपने खेतों तक पानी ले जाने में हमेशा परेशानी होती रहती है। खेत का उंचाई नहर सतह से काफी ऊंचा होने कारण भी किसानों को खेत तक पानी ले जाने में दिक्कत होती है ।
मुख्य नहर में लाइनिंग (पक्की करण) का काम हो चुका है । लेकिन लखनपुर छोटी माईनर का पक्की करण नहीं हो सका है। जबकि क्षेत्र के किसानों ने नहर को पक्की करण , क्रासिंग पुल बनाये जाने की मांग कई मर्तबा विभागीय अधिकारियों के सम्मुख कर चुके हैं।
पूर्व के अधिकारियों ने नहर लाइनिंग, क्रास पुल बनाये जाने का आश्वासन भी दिया था मगर छोटी माईनर का कायाकल्प नहीं हो सका। मरम्मत एवं साफ-सफाई के नाम पर शासकीय राशि निकाल तो लिया जाता है लेकिन नहर मेड में कराये गये सफाई मरम्मत कार्य का निशान दूर तक नजर नहीं आता। महज कागजी खानापूर्ति कर शासन प्रशासन की ओर व्यय की जानकारी भेज दी जाती है। यही वजह है कि कई सालों
से छोटी नहर मेड में साफ-सफाई नहीं हुई है जिससे बेतरतीब उग आए झखाड़ों ने अपना बसेरा बना रखा है। मुख्य माईनर में भी सफाई नहीं होने कारण ग्राम कंचनपुर लटोरी कोरजा बिनकरा तक ही किसी तरह कुंवरपुर बांध का पानी पहुंच पाता है। आगे अंतिम छोर तक मुख्य नहर सड़क में तब्दील हो गया है। फाईलों में नहर की सीमा कदरई विश्रामपुर तक है। लेकिन नहर होकर भी नहर नहीं है कुंवरपुर जलाशय का पानी नहीं पहुंच पाता। हर साल कुलाबा लगाने साफ-सफाई मरम्मत के नाम पर महज शासकीय राशि का बंदरबांट किया जाता है। कुंवरपुर बांध का अधिकांश सिंचित क्षेत्र प्यासे रह जाते हैं।
यदि शासन प्रशासन के जिम्मेदार उच्चाधिकारियों द्वारा सुक्ष्म एवं निष्पक्ष जांच किया जाये तो सच्चाई खुलकर सामने आ जायेगी ।