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ब्रेकिंग जशपुर अहीरों का असली देवता है वीर कुंवर कराह पूजा के नाम से है विख्यात पत्रवाह के माध्यम से होता है पूजा भारी संख्या में सम्मिलित होते हैं समाज के लोग देखिए वीडियो और पढ़िए पूरी खबर विस्तार से

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कोमल ग्वाला अमन पथ ब्यूरो चीफ जशपुर  : सोमवार जिले के बगीचा अंतर्गत ग्राम पंचायत छिछली र के उपसरपंच अशोक कुमार यादव, द्वारिका यादव के यहां आज कराह के यहां कराह व वीर कुंवर का विधिवत पूजा किया गया जिसमें बड़ी संख्या में अहीर समाज व अन्य लोग शामिल हुए कब क्यों और कैसे मनाते हैं कराह वीर कुंवर की पूजा अहीर समाज के लोग कराह पूजा कार्तिक माह से प्रारम्भ करते हैं और मार्गशीर्ष माह के अंतिम तक अपने अपने सुविधा अनुसार मनाते हैं यह पूजा पूर्वज से चलते आ रहा है और हर तीसरे साल में एक साल छोड़कर किया जाता है यह पूजा गाय भैंस के बथान में करने का मान्यता है जो दो दिन का होता है जिसमें दो या तीन पत्रवाह होते हैं जो बिल्कुल निराहार रहते हैं .

प्रथम दिन शाम को ढोल बाजे के साथ बाबा वीर कुंवर व वन सप्ती देवी का आह्वान करके रात्रि जागरण किया जाता है दूसरे दिन निर्विघ्न पूजा सम्पन्न हेतु सर्व प्रथम ब्राह्मण द्वारा विधिवत नारियल धूप दीप से वीर कुंवर व वन सप्ती देवी तथा लाठी का पूजा से शुरुवात होता है दो मिट्टी के वर्तन होते हैं जिसे कराह कहते हैं उसी में दूध से भरके भट्ठा में खौलाया जाता है जो पत्रवाह होते हैं उनके ऊपर साक्षात वीर कुंवर सवार होते हैं जो खौलते हुए दूध से नहाते हैं तथा उपस्थित लोगों के ऊपर छिड़कते भी हैं पर गर्म से हाथ नहीं जलता और न ही छींटा पड़े लोगों को गर्म का एहसास होता है उसके बाद हर दो से तीन मिनट में वीर कुंवर स्वरूप पत्रवाह व लाठी को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है यह पूजा सुख शान्ति व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है मान्यता यह भी है कि उपस्थित लोग पत्रवाह से मन्नत पूरा करने हेतु अर्जी भी लगाते हैं और उनके द्वारा समाधान का रास्ता भी बताया जाता है आज की इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आसपास व दूर दराज से अहीर समाज व अन्य समाज के लोग भी बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए.

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