कोरिया, 10 दिसम्बर 2024 : सलबा ग्राम पंचायत की निवासी श्रीमती श्यामबाई, एक वृद्ध विधवा, जीवन के संघर्षों से जूझते हुए अकेलेपन में अपना समय व्यतीत कर रही थीं। उनका पुराना मकान जर्जर स्थिति में था, जहां बारिश के मौसम में दीवारें गिरने का डर और सांप-बिच्छुओं का खतरा हर पल मंडराता रहता था। सीमित आय और कोई स्थायी सहारा न होने के कारण उनका जीवन अंधकारमय था।
लेकिन उनकी जिंदगी में उम्मीद की एक नई किरण तब जगी जब प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत उनका नाम स्वीकृत हुआ। सरकारी योजना के तहत उन्हें एक लाख 30 हजार रुपये की सहायता राशि चार किस्तों में प्रदान की गई। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी गई, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
जिले, जनपद और ग्राम पंचायत के अधिकारियों के सहयोग और मार्गदर्शन से श्रीमती श्यामबाई ने पक्का मकान बनाने का कार्य समय-सीमा के भीतर पूरा कर लिया। नए घर के साथ, उन्हें मनरेगा योजना के तहत 95 दिनों की मजदूरी भी प्राप्त हुई, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में थोड़ी स्थिरता आई। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत उन्हें शौचालय मिला और उज्ज्वला योजना से गैस कनेक्शन भी प्रदान किया गया।
आज श्रीमती श्यामबाई अपने नए घर में सुरक्षित और सुकून भरा जीवन व्यतीत कर रही हैं। वह कहती हैं, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा अपना पक्का घर होगा। अब बारिश का डर नहीं, न सांप-बिच्छुओं का खतरा। मैं इसके लिए सरकार की आभारी हूं।‘
यह सरकारी योजनाओं की सफलता की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सही नीयत और सामूहिक प्रयास से समाज के सबसे कमजोर वर्गों को जीवन में नई शुरुआत का अवसर दिया जा सकता है।
श्रीमती श्यामबाई की यह कहानी बताती है कि जब उम्मीद का दीप जलता है, तो अंधेरे जीवन में रोशनी फैलाने के लिए एक छोटा सा आशियाना भी काफी होता है।