
मंडी जिला के कई हिस्सों में जंगली शहद पाया जाता है और खास कर सराज विधानसभा की कामरूघाटी में यह लोगों के द्वारा मधुमक्खी पालन कर प्रोड्यूस किया जाता है और इसके कई फायदे भी होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं. शहद एक महत्वपूर्ण औषधि भी मानी जाती है और शहद शरीर पर अलग अलग तरह से असर डालता है. इसकी तीन प्रकार की किस्म मंडी जिला में पाई जाती है और हर एक शहद के किस्म की गुणवत्ता अलग अलग होती है. कामरूघाटी में पाए जाने वाले इस सफेद किस्म के शहद को मधुमक्खी पालन कर इकट्ठा किया जाता है और इसे बाजारों में भी बेचने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग तैयारियां करते रहते हैं. इस सफेद किस्म के शहद को अगर गुनगुने पानी में मिलाकर पिया जाए तो उसका खून में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या पर लाभदायक असर पड़ता है. लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून में ऑक्सीजन पहुंचाती हैं. शहद और गुनगुने पानी का मिश्रण खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है, जिससे एनीमिया या खून की कमी की स्थिति में लाभ होता है. इसी तरह सफेद शहद भी होता है, जो कि सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है.
बाजारों में भी खूब है इसकी डिमांड
कामरूघाटी के इस सफेद किस्म के शहद की मंडी जिला के बाजारों में भी भारी मात्रा में डिमांड होती है और हर साल इसकी डिमांड बढ़ती ही जा रही है. अभी के समय इस शहद की 1 किलो की पैकिंग का दाम करीब 550 रुपए है और इसके इतने अच्छे दामों के चलते इस प्रोड्यूस करने वाले अच्छा खासा कमा भी लेते हैं.
पुराने समय से लोग इसे करते हैं स्टोर
पुराने समय के लोग अक्सर इस शहद को अपने घरों में स्टोर कर रख दिया करते थे और जब भारी बर्फबारी और ठंड इलाके में होती थी और लोगों की तबियत बिगड़ा करती थी, तो इस शहद को आयुर्वेदिक औषधि के साथ मिला कर इसका सेवन करते थे.