पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फंड में निवेश तेजी से बढ़ा है। छोट से बड़े निवेशक सिप के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। इसका बुरा असर फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD पर पड़ा है। एफडी कराने वाले लोगों की संख्या तेजी से घटी है। इससे बैंकों के सामने लिक्विडिटी की समस्या बढ़ी है। इस समस्या से निकलने के लिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को नया प्रोडक्ट लाकर जमा बढ़ाने का सुझाव दिया था। अब खबर आ रही है कि बजट में FD को आकर्षित करने के लिए कई ऐलान हो सकते हैं। इसमें एफडी में 5 साल के बजाय 3 साल के निवेश पर इनकम टैक्स छूट, एफडी से होने वाली इनकम पर टैक्स छूट आदि शामिल हैं। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों ने भी वित्त मंत्री को एफडी को लेकर कई सुझाव दिए हैं। वित्त वर्ष 2025-26 का बजट एक फरवरी को संसद में पेश किया जाना है।
बैंकों को बचत बढ़ाने में मिलेगी मदद
वित्तीय संस्थानों, खासकर बैंकों ने बचत को बढ़ावा देने के लिए आगामी बजट में सावधि जमा के लिए कर प्रोत्साहन का सुझाव दिया है। हाल के दिनों में बचत में कमी के बीच बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में यह सुझाव दिया गया। एडलवाइस म्यूचुअल फंड की प्रबंध निदेशक और सीईओ राधिका गुप्ता ने कहा कि वित्त मंत्री के साथ बजट-पूर्व बैठक के दौरान पूंजी बाजार की दक्षता में सुधार और पूंजी बाजार समावेश को बढ़ाने के संबंध में भी सुझाव भी दिए गए। उन्होंने कहा कि दीर्घकालीन बचत यानी बॉन्ड और इक्विटी शेयर दोनों को प्रोत्साहन देने की भी सिफारिशें की गईं। वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट की तैयारियों के सिलसिले में वित्तीय और पूंजी बाजार से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। यह इस कड़ी में सातवीं बैठक थी। बैठक में वित्त सचिव और दीपम (निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग) सचिव, आर्थिक मामलों और वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार शामिल हुए।
बजट में ये ऐलान भी संभव
एमएसएमई, छोटे उधारकर्ताओं और इलेक्ट्रिक वाहन जैसी पर्यावरण-अनुकूल पहल के लिए एक विशिष्ट कोष सिडबी और नाबार्ड जैसे संगठनों को प्रदान किया जा सकता है। ये ठीक उसी तरह से काम करे जैसे कि आवास वित्त कंपनियों के मामले में राष्ट्रीय आवास बैंक कर रहा है। सरफेसी अधिनियम के तहत सीमा 20 लाख रुपये है। इसे कम किया जा सकता है ताकि छोटे एनबीएफसी इसके दायरे में आ सके। सूत्रों के मुताबिक, बैंक प्रतिनिधियों ने दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को सावधि जमा के साथ जोड़ने का सुझाव दिया ताकि जमा को प्रोत्साहित किया जा सके। सावधि जमा से प्राप्त रिटर्न पर आयकर लगाया जाता है। इससे लोग अपनी बचत को सावधि जमा में लगाने को लेकर हतोत्साहित होते हैं।