रायपुर : छत्तीसगढ़ में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आज 33 जिला पंचायतों के अध्यक्ष के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई, लेकिन इसमें ओबीसी को अलग से आरक्षण नहीं मिलने पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि आरक्षण सूची को रद्द कर नई संशोधित सूची जारी करें, तो वही पूरी प्रक्रिया को BJP ने न्यायसंगत बताया है।
छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। राज्य सरकार ने पहले महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पार्षद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। साथ ही जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया हुई। इस बीच शनिवार को 33 जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की कार्यवाही पूरी की गई।
इसमें 8 जिला पंचायत अनुसूचित जनजाति के लिए, 8 जिला पंचायत अनुसूचित जनजाति महिला के लिए रिजर्व किया गया है, 2 जिला पंचायत अनुसूचित जाति और 2 जिला पंचायत अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है। इसी तरह 6 जिला पंचायत सामान्य और 7 जिला पंचायत सामान्य महिला के लिए किया गया है। हालांकि ओबीसी वर्ग के लिए अलग से आरक्षण नहीं किया गया है, जिसे लेकर अब कांग्रेस हमलावर है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने X पर पोस्ट किया कि आखिर वही हुआ जिसकी आशंका मैंने व्यक्त की थी। पूरे प्रदेश में एक भी जिले में अब पिछड़े वर्ग के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए पद आरक्षित नहीं होगा। इधर पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने आरोप लगाया कि..एक भी सीट न देना ओबीसी समुदाय के साथ नाइंसाफी है। पूर्व सांसद छाया वर्मा ने कहा जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए आरक्षण गलत ढंग से हुई।
कांग्रेस यहीं नहीं रूकी पीसीसी चीफ दीपक बैज ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव से ओबीसी आरक्षण में हुई कटौती को लेकर सवाल पूछा। जिसपर सत्तापक्ष की तरफ से जवाब आया कि बीजेपी हमेशा से ओबीसी वर्ग के हित को प्राथमिकता में रखा है।
निकाय और पंचायती चुनाव की तारीखों का ऐलान भले नहीं हुआ हो, लेकिन माहौल पूरी तरह से चुनावी हो चला है। निकायों में आरक्षण को लेकर पहले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान मचा है। ऐसे में ओबीसी को जिला पंचायत के अध्यक्ष पद में अलग से आरक्षण नहीं मिलने पर कांग्रेस क्या रणनीति अपनाती है और भाजपा इन आरोपों के बीच ओबीसी वर्ग को अपने साथ लाने में सफल होगी बड़ा सवाल है।