15 जनवरी 2025:- भारत में सांस की बीमारियों का मुख्य कारण पॉल्यूशन और फॉग है. गाड़ियों से निकले वाले धुएं और निर्माण कार्यों से हमारे आसपास प्रदूषण के स्तर तेजी से बढ़ रहे हैं. बढ़ते पॉल्यूशन इंसानी फेफड़ों और श्वसन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं. दूषित हवा में मौजूद हानिकारक कण और गैसें मौजूद हैं,जिससे लोग खासे सांस की बीमारी से परेशान हो रहे हैं. दूषित हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5, PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) समेत कैसे जहरीले ऐसे कण मौजूद हैं, जो सांस से संबंधित परेशानियों को बढ़ा रहे हैं.
फेफड़ों का कैंसर:- वायु में मौजूद कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) तत्व, जैसे बेंजीन और धूल के महीन कण, फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं. प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़े कठोर हो जाते हैं, जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन का आना जाना कम होने लगता है.
ध्रूमपान से सांस की बढ़ रही बीमारी:- ध्रूमपान और दूषित हवा से सांस की बीमारियां भारत में तेजी से फैल रही है. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों में तैयार होती है, जिसमें मरीजों को सांस लेने में कठिनाई होती हैं. श्वसन संक्रमण प्रदूषित हवा बच्चों और बुजुर्गों में ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे संक्रमणों का कारण बनता जा रहा है.
एलर्जी राइनाइटिस:- प्रदूषण के कारण नाक में जलन, बार-बार छींक आना, और नाक बहना जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं.
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड:- यह गले और फेफड़ों की परत में जलन पैदा करता है और अस्थमा और ब्रोंकाइटिस को बढ़ावा देता है. प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चों के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते, जिससे वे जीवन भर श्वसन समस्याओं से बच्चे पीड़ित हो सकते हैं. ये सूक्ष्म कण फेफड़ों की गहराई तक पहुंचकर फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचाव के कुछ उपाय हैं, जिससे हम बीमार पड़ने से बच सकते हैं. आइए जानते हैं प्रदूषण और फॉग से बचाव के क्या-क्या तरीके हैं.
मास्क का उपयोग करें: प्रदूषण वाले क्षेत्रों में जाने से पहले उच्च गुणवत्ता वाले मास्क पहनना जरूरी है.
घर के अंदर रहें: जब वायु गुणवत्ता खराब हो, तो घर से बाहर जाने से बचें.
एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें: घर और ऑफिस में स्वच्छ हवा के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे आप प्रदूषण से बच सकते हैं.
हरियाली बढ़ाएं: प्रदूषण से बचने के लिए घरों में ही हरियाली बढ़ाना चाहिए. इससे आप प्रदूषण से बच सकते हैं.
स्वस्थ आहार लें: एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ जैसे पत्तेदार सब्जियां, फल, और नट्स का सेवन करें.