मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा की जाती है. इसके अलावा मौनी अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. इस बार महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पड़ने की वजह से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. कहते है मौनी अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने से व्यक्ति को जीवन के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा कुछ विशेष उपाय करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अशुभ मुहूर्त यानी राहु काल में अमृत स्नान करता है, तो से जीवन में कई परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि मौनी अमावस्या के दिन राहु काल कब से कब तक रहेगा.
मौनी अमावस्या तिथि और शुभ योग:- हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह में की अमावस्या तिथि की शुरुआत मंगलवार, 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 37 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन बुधवार 29 जनवरी को होगा. उदयातिथि के आधार पर मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा. वहीं इस बार त्रिग्रही, शिववास, सिद्धि, वृषभ गुरु और वज्र योग बन रहा है. ज्योतिष में यह योग बहुत ही शुभ माने जाते हैं. इस योग में किए गए कार्यों का दुगना फल प्राप्त होता है.
मौनी अमावस्या के दिन राहु काल का समय:- वैदिक पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. यानी इस दिन राहु काल कुल 1 घंटा 21 मिनट तक रहेगा. उस दौरान महाकुंभ में स्नान नहीं करना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने पुण्य फलों की प्राप्ति नहीं होती है.
मौनी अमावस्या पूजा विधि:- मौनी अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदियों में स्नान करें. यदि संभव न हो तो नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलकर स्नान कर सकते हैं. उसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर एक लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और फूल और धूप चढ़ाएं. साथ ही माता लक्ष्मी को सोलह श्रंगार भी आर्पित करे. इसके बाद फल, दूध, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं. मंत्र जाप और आरती कर पूजा संपन्न करें. अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटे.