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5000 किलो सोने का दान या निवेश? 60 साल पुराना किस्सा, ज्यादातर लोग सच से अनजान

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एक जमाना था जब राजा-महाराजा, नवाब, बादशाह और सुल्तान दान में सोना या सोने की अशरफी देते थे. इतिहास ऐसे कई राजाओं के किस्सों से भरा पड़ा है जिसमें दिल खोलकर दान करने की कई मिसालें हैं. इसी में हैदराबाद के निजाम का नाम भी आता है. आपने सुना होगा कि हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान ने भारत सरकार को 5000 किलो सोना दान में दिया था. लेकिन, क्या यह बात सच है, क्योंकि 5000 सोना दान में देना, यह बात किसी को हजम नहीं होती है.

हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान बेशक बेशुमार दौलत के मालिक थे. माना जाता था कि निजाम के पास टनों से सोना और किलो के हिसाब से बेशकीमती हीरे थे. इसलिए स्वाभाविक है कि वह 5000 किलो सोना दान दे सकते थे. फिर भी यह सच नहीं. आइये आपको बताते हैं 5000 किलो गोल्ड के डोनेशन से जुड़ा दिलचस्प किस्सा क्या है?
भारत-पाक 1965 युद्ध के समय का किस्सा
साल 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. 1947 में आजादी के बाद यह दोनों मुल्कों के बीच दूसरी जंग थी. चूंकि जंग लड़ने से देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगता है और भारत के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने पूरे देश का दौरा किया और सेना के कोष में दान करने की अपील की. इस दौरान पीएम हैदराबाद के निजाम से भी मिले थे.

दान नहीं निवेश था
इस मुलाकात के बाद चर्चे होने लगे कि निजाम मीर उस्मान अली खान ने देश की इकोनॉमी को मुसीबत से बचाने के लिए 5000 किलो सोना दान दिया था. यह किस्सा 50-60 साल तक चर्चा में रहा. लेकिन, लोग वास्तव में सच से अनजान रहे.

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