
बीते हफ़्ते भारतीय शेयर बाज़ार में भारी गिरावट देखने को मिली. इससे पिछले 2 हफ़्तों मिली बढ़त का सिलसिला खत्म हो गया. बाजारों में आई गिरावट वजह अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ़ बढ़ोतरी के कारण ग्लोबल ट्रेड टेंशन है, जिसने घरेलू और इंटरनेशनल लेवल पर निवेशकों को बेचैन कर दिया.
इसके चलते कारोबारी हफ्ते भारी करेक्शन दर्ज किया गया है. यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है या नहीं यह काफी कुछ आने हफ्ते के ट्रिगर्स पर निर्भर करेगा.
घरेलू मार्केट में तेज बिकवाली
घरेलू इक्विटी बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी 50 मुख्य रूप से कमजोर वैश्विक संकेतों और नए ट्रेड वॉर की चिंताओं से प्रभावित हुए. निफ्टी 50 ने सप्ताह का अंत 22,904.40 पर किया, जबकि सेंसेक्स अपने वीकली निचले स्तर 75,364.69 के करीब बंद हुआ. हफ्ते के दौरान BSE सेंसेक्स में 2,050.23 अंक या 2.64% की गिरावट आई, और NSE निफ्टी में 614.8 अंक या 2.61% की गिरावट आई.
ग्लोबल ट्रेड टेंशन का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से अपने प्रमुख ट्रेड पार्टनर्स पर भारी पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariff) लगाने के फैसले के कारण यह बिकवाली शुरू हुई, जिसमें चुनिंदा भारतीय वस्तुओं पर 27% टैरिफ लगाना भी शामिल है.
मार्केट एनलिस्ट्स के मुताबिक ने इंडिया VIX इंडेक्स में ग्रोथ के रूप में हाई अस्थिरता के स्तर को देखा. यह बढ़ी हुई सावधानी तिमाही अर्निंग और चल रहे चुनाव-जुड़े घटनाक्रमों से पहले आई है. नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत उम्मीद से अधिक अमेरिकी टैरिफ के कारण सुस्ती के साथ हुई.
बाजार के लिए अहम ट्रिगर्स
यह हफ्ते घरेलू और तकनीकी दोनों नजरिए से अहम होगा, क्योंकि निवेशक ब्रॉडर इकोनॉमिक डेटा और कॉर्पोरेट अर्निंग पर नज़र रखेंगे. RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक FY26 के लिए अपने पहले नीतिगत फैसले के लिए विचार-विमर्श शुरू करने वाली है, जिसमें 9 अप्रैल को ब्याज दर पर निर्णय होने की उम्मीद है.
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के नतीजे गुरुवार 10 अप्रैल 2025 को अपने रिजल्ट जारी करेगी, जिसके साथ ही Q4 अर्निंग सीज़न की शुरुआत हो रही है. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के विनोद नायर ने कहा कि बाजार का ध्यान धीरे-धीरे आगामी कॉर्पोरेट अर्निंग सीज़न की ओर बढ़ रहा है.
मार्च 2025 के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्ड महंगाई के आंकड़े शुक्रवार 11 अप्रैल को जारी किए जाएंगे. हालांकि, 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के अवकाश के कारण रिटेल महंगाई के आंकड़े बाद में जारी किए जा सकते हैं.
FIIs की बिकवाली लौटी
अप्रैल की शुरुआत में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने आक्रामक तरीके से बिकवाली की और नकदी खंड से करीब 13,730 करोड़ निकाले. घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने करीब 5,632 करोड़ रुपए के नेट निवेश से कुछ सपोर्ट मिला.
ग्लोबल मार्केट पर निगाहें
आने वाला हफ्ता बेहद खास है क्योंकि दुनिया भर के निवेशक अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों और FOMC मिनट्स जैसे अहम ग्लोबल ट्रिगर्स पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं.जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा कि ट्रेड वॉर पूरी तरह से छिड़ जाने से ग्लोबल ट्रेड और इकोनॉमिक ग्रोथ पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि FPIs के दोबारा खरीदार बनने से पहले वेट एंड वॉच की स्ट्रैटेजी अपनाने की जरूरत है.