
भारत में वैसे तो भगवान गणेश के कई मंदिर हैं, लेकिन एक ऐसा अनोखा और रहस्यमयी मंदिर भी है जो एक ऊंची पहाड़ी पर, घने जंगलों के बीच बसा हुआ है. इस मंदिर का नाम है ढोलकल गणेश मंदिर. यह मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित ढोलकल पहाड़ी पर बना है, जो रायपुर से करीब 350 किलोमीटर दूर है. यह मंदिर समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.
ढोलकल का रहस्य और पौराणिक कथा
यहां के स्थानीय लोगों की मान्यता है कि बहुत समय पहले इसी पहाड़ी पर भगवान गणेश और परशुराम जी के बीच एक जबरदस्त युद्ध हुआ था. इस युद्ध में परशुराम जी ने अपने फरसे से भगवान गणेश पर हमला किया था. इसी कारण इस पहाड़ी के नीचे बसे गांव का नाम “फरसापाल” पड़ गया. कौन इस युद्ध में जीता, यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है.
1000 साल पुरानी गणेश प्रतिमा
इस पौराणिक युद्ध की याद में 11वीं शताब्दी में चिंदक नागवंशी राजाओं ने पहाड़ी की चोटी पर भगवान गणेश की एक पत्थर की मूर्ति स्थापित करवाई. यह मूर्ति ढोलक के आकार में बनी है. शायद इसी कारण से इस पहाड़ी का नाम “ढोलकल” पड़ गया. यह मूर्ति 2.5 से 3 फीट ऊंची है और भगवान गणेश को उनके सामान्य, आरामदायक बैठने के आसन में दर्शाया गया है. स्थानीय लोग इस मूर्ति की पूरे साल पूजा करते हैं, और माघ महीने में यहां एक विशेष मेले का आयोजन होता है.
कैसे पहुंचें ढोलकल गणेश मंदिर?
अगर आप इस मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो जगदलपुर से करीब 2 घंटे में आप फरसापाल गांव पहुंच सकते हैं. रास्ता घने जंगलों और पहाड़ियों से होकर गुजरता है, इसलिए बेहतर होगा कि स्थानीय गाइड की मदद लें. अपने साथ कुछ खाने-पीने की चीज़ें जरूर रखें क्योंकि चोटी पर पहुंचने के बाद आपको थोड़ी भूख लग सकती है.