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असम का उल्फा साथ शांति समझौता करने जा रही मोदी सरकार, जानें कैसे होगा उग्रवात का अंत

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केंद्र सरकार शु्क्रवार को यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम के वार्ता समर्थक गुट के साथ ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेगी. केंद्र सरकार पिछले 1 साल से इस समझौते पर काम कर रही थी. यह कदम पूर्वोत्तर राज्य में स्थायी शांति लाने के उद्देश्य से उल्फा और केंद्र और असम सरकार के बीच आज यानी की शु्क्रवार को त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होगा.

1979 में उल्फा का हुआ था गठन
ULFA भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में एक्टिव एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन है. इसका गठन 1979 में 7 अप्रैल को परेश बरुआ ने अपने साथी अरबिंद राजखोवा, गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया, समीरन गोगोई उर्फ प्रदीप गोगोई और भद्रेश्वर गोहेन के साथ मिलकर किया था. इस संगठन को बनाने के पीछे सशस्त्र संघर्ष के जरिए असम को एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाने का लक्ष्य था. उल्फा शुरू से ही विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है. साल 1990 में केंद्र सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाया और फिर सैन्य अभियान शुरू किया.

2008 में उल्फा ने एक साथ 13 ब्लास्ट किया था
साल 1991 में 31 दिसंबर को उल्फा कमांडर-इन-चीफ हीरक ज्योति महंल की मौत के बाद उल्फा के करीब 9 हजार सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया था. 2008 में उल्फा के नेता अरबिंद राजखोवा को बांग्लादेश से गिरफ्तर कर लिया गया और फिर भारत को सौंप दिया था. इस दौरान जब राजखोवा ने शांति समझौते की बात की तो उल्फा दो हिस्सों में बंट गया. अब तक उल्फा ने कई बड़े वारदात को अंजाम दिया है. उल्फा के आतंक के चलते चाय व्यापारियों ने एक बार के लिए असम छोड़ दिया था.

लंबे समय से चल रहा था प्रयास
सूत्रों ने बताया कि शांति समझौते का माहौल बनाने और उसके लिए संगठन को राजी करने के लिए लंबे समय से प्रयास हो रहे थे. इधर, बीते एक हफ्ते से इसको लेकर दिल्‍ली में संगठन और सरकार के बीच बातचीत हो रही थी. राजखोवा गुट के दो लीडर अनूप चेतिया और शशधर चौधरी नई दिल्‍ली में सरकारी वार्ताकारों के संपर्क में थे. दोनों पक्षों के बीच कई दौर की चर्चा हुई है. इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और पूर्वोत्तर मामलों पर सरकार के सलाहकार एके मिश्रा ने सरकार की तरफ से संगठन के नेताओं से चर्चा की थी.

उल्फा और भारत सरकार के बीच आज हो रहे समझौते के प्रमुख बिंदु यह हैं
–असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी
–असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद रहेंगे
–इनके काडरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर सरकार मुहैया करवाएगी
–उल्फा के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है उन्हें मुख्य धारा में लाने का भारत सरकार हर संभव प्रयास करेगी

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