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मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला…..कोयला से गैस बनाने पर केंद्र सरकार देगी 8500 करोड़ रुपए

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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को कहा कि कोयला से गैस बनाने पर सरकार 8500 करोड़ रुपए देगी और इसके लिए कोल इंंडिया लिमिटेड और गेल दोनों साथ मिलकर काम करेंगे. वे केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हुए फैसलों पर जानकारी दे रहे थे. उन्होंने कहा, “कोयला का खदान 361 मिलियन टन है और यह करीब 125 साल तक की जरूरत पूरी कर सकता है.” जोशी ने यह भी बताया कि कोयला खनन को खत्म नहीं कर सकते हैं.

प्रल्हाद जोशी ने कहा, “आज कोयला विभाग और कोयला के इतिहास में एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय कैबिनेट ने पीएम मोदी के नेतृत्व में लिया है. कोयला खनन में भारत दुनिया में सबसे बड़ा देश है. कोयल का 80% इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए होता है.” उन्होंने यह भी कहा कि 2025-26 में कोयला का निर्यात बंद कर देंगे, सिर्फ कुछ प्लांट के लिए यह जारी रहेगा.

इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, लेकिन कैबिनेट बैठक की शुरुआत में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैबिनेट के सदस्यों की ओर से पीएम मोदी का प्राण प्रतिष्ठा के सफल आयोजन पर आभार व्यक्त किया. ठाकुर ने राजनाथ सिंह के हवाले से कहा, “प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम सभी मंत्रीमंडल के सदस्य प्राण प्रतिष्ठा पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हैं. भारतीय सभ्यता कई शताब्दी से जो सपने देख रही थी, आपने वह सदियों पुराना सपना पूरा किया. आज की कैबिनेट ऐतिहासिक है. ऐतिहासिक कार्य कई बार हुए होंगे, परंतु क्या जब से कैबिनेट व्यवस्था बनी है, ब्रिटिश के जमाने से भी जोड़ लें, तो ऐसा अवसर कभी नहीं आया होगा क्योंकि 22 जनवरी 2024 को आपके माध्यम से जो कार्य हुआ है वह इतिहास में सबसे अलग है.”

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “यह अवसर शताब्दियों के बाद आया है. बरसों के इंतजार के बाद आया है. यह तो वह बात है कि हम कह सकते हैं कि 1947 में देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और 22 जनवरी 2024 को आत्मा की प्राण प्रतिष्ठा हुई है. इससे सभी को आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई है. 22 जनवरी को पीएम मोदी ने आपने बोला था नीति भी है नियति भी है और आज हम राजनीतिक दृष्टि से नहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से कह सकते हैं कि भारत के सनातनी प्रवाह मर्यादा पुरुषोत्तम राम के प्राण प्रतिष्ठा के लिए नियति ने आपको चुना है. वास्तव में राम भारत के नियति हैं और नियति के साथ वास्तविक मिलन तो 22 जनवरी को हुआ.”

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