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11 महीने का होता है रेंट एग्रीमेंट, उससे पहले किराएदार को निकाल सकता है मकान मालिक

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‘नोएडा सेक्‍टर 34 की एक सोसायटी में स्‍नेहा ने फ्लैट किराए पर लिया. शिफ्ट होने से पहले ही मकान मालिक ने साफ कर दिया कि मकान में इन्‍वर्टर, गीजर, आरओ सहित कई सुविधाएं पूरी तरह सही और नई हैं, आगे कोई खराबी आई तो वह एक पैसा नहीं लगाएगा. हालांकि मकान में आने के 3 दिन के भीतर ही आरओ और इन्‍वर्टर में दिक्‍कत आ गई, मैकेनिक बुलाया तो पता चला सब कुछ पुराना था, किराएदार और मकान-म‍ालिक में इस बात पर काफी बहस हुई.. और बस 6 महीने बाद ही लैंडलॉर्ड ने टेनेंट स्‍नेहा को घर खाली करने का नोटिस दे दिया जबकि उनका रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का था.’

अब सवाल उठता है कि रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का होने के बावजूद क्‍या उससे पहले भी मकान मालिक किराएदार से घर खाली करने के लिए कह सकता है? क्‍या किराएदार नोटिस के बावजूद भी 11 महीने तक उस घर में रह सकता है? आइए जानते हैं एक्‍सपर्ट से..

दिल्‍ली हाईकोर्ट में सिविल मामलों के वकील निशांत राय बताते हैं कि देश के टियर-1 और टियर-2 शहरों में प्रॉपर्टी से रेंट इनकम का एक बेहतर स्‍त्रोत है. रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल दोनों ही चीजें अच्‍छा रेंट देती हैं. घर बनाकर उसे किराए पर उठाना और भी कॉमन है लेकिन सबसे बड़ी बात है कि भारत में किराएदार और मकान मालिकों को लेकर बहुत ज्‍यादा नियम-कानून नहीं हैं. कॉन्‍ट्रेक्‍ट लॉ में भी लेंडलॉर्ड और टेनेंट को लेकर बेसिक चीजें हैं जबकि इन दोनों के बीच में विवाद के सैकड़ों मसले तैयार हो जाते हैं.

चूंकि भारत में मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाला समझौता म्‍यूचुअल अडरस्‍टेंडिंग से चलता है, फिर भी पिछले कुछ समय से दिल्‍ली-एनसीआर सहित टियर टू शहरों में भी रेंट एग्रीमेंट बनने लगा है. यह 11 महीने का होता है, जिसमें कई सारी शर्तें होती हैं और दोनों पार्टियां उसमें राजी होती हैं. इसमें एडवांस किराए से लेकर सिक्‍योरिटी डिपोजिट, मेंटीनेंस चार्जेस, सिक्‍योरिटी रिटर्न, किराया बढ़ोत्‍तरी से लेकर टूट-फूट की मरम्‍मत तक ही बातें लिखी होती हैं.

क्‍या 11 महीने से पहले निकाल सकता है मकान-मालिक
निशांत कहते हैं कि यह रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का होता है, जिसके हिसाब से मकान मालिक और किराएदार की सभी चीजें चलती हैं. इसके अनुसार ही मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है, उससे पहले पहले नहीं. इसमें यह भी होता है कि अगर लैंडलॉर्ड को मकान खाली कराना है या किराएदार को खाली करना है तो वह अपनी इमरजेंसी बताकर और 1 या दो महीने का नोटिस देकर खाली करने को कह सकता है. हालांकि अगर किसी विवाद के बाद जबर्दस्‍ती खाली कराया जा रहा है तो टेनेंट इस एग्रीमेंट के आधार पर मकान-मालिक की शिकायत भी कर सकता है.

रेंट एग्रीमेंट में हैं शर्तें तो..

कुछ मकान-मालिक ज्‍यादा होशियार होते हैं और रेंट एग्रीमेंट में लॉकिंग पीरियड भी डलवा देते हैं, जैसे 6 महीने. इसमें लिखा होता है कि मकान मालिक या किराएदार खाली करने के लिए स्‍वतंत्र हैं. अगर रेंट एग्रीमेंट में ऐसी कोई शर्त है और किराएदार और मकान मालिक ने साइन करके उसे स्‍वीकार किया है तो वह माननी ही चाहिए. सिविल में इसे लेकर कोई खास कदम नहीं उठाए जा सकते लेकिन अगर अन्‍य कोई परेशानी है तो किराएदार पुलिस और कानून की मदद ले सकता है.

क्‍या एसोसिएशंस कर सकती हैं कोई हस्‍तक्षेप

फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन डॉ. एनपी सिंह कहते हैं कि किराएदार और म‍कान-मालिक के बीच में किस तरह का समझौता हुआ है, ये वही दोनों जानते हैं. इस पर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन या अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशंस कोई हस्‍तक्षेप नहीं करतीं. रेंट, सिक्‍योरिटी अमाउंट, एग्रीमेंट संबंधी सभी चीजें दोनों की आपसी रजामंदी से होती हैं. हालांकि अगर कोई विवाद बढ़ता है और कोई पार्टी आरडब्‍ल्‍यूए या एओए के पास जाती है तो पंच की तरह ये दखल देकर मामले को शांत कराने के लिए कदम उठा सकते हैं.

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