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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को वन मंत्री ने वन विकास निगम की लाभांश राशि 2.26 करोड़ रूपए का चेक सौंपा

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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को आज छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर स्थित उनके कार्यालय कक्ष में वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के लाभांश की राशि 2 करोड़ 26 लाख रुपए का चेक सौंपा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने वन विकास निगम के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि वन विकास निगम राज्य में हरित क्षेत्र के प्रसार और पर्यावरणीय विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। निगम ने किसी भी वित्तीय संस्थान से कोई ऋण भी नहीं लिया है। यह लाभ कमाने वाली सरकारी संस्था है। वन विकास निगम की यह उपलब्धि सराहनीय है और अन्य संस्थाओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए वन मंत्री, तथा वन विभाग और छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के अधिकारियों को अपनी शुभकामनाएं दी।

वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री साय को छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के कार्यों और उपलब्धियां की विस्तार से जानकारी दी। छत्तीसगढ़ वन विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री तपेश कुमार झा ने बताया कि वन विकास निगम भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कार्ययोजना अंतर्गत रोपित सागौन वृक्षारोपण के विरलन से प्राप्त वनोपज के विक्रय एवं अन्य आय से वित्तीय वर्ष 2022-23 में 69 करोड़ 44 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई है। इस अवधि में निगम को कर पश्चात 52 करोड़ 65 लाख का रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है। वर्ष 2022-23 में निगम द्वारा 1319 हेक्टेयर क्षेत्र में 20 लाख 98 हजार सागौन तथा प्रदेश में पर्यावरण सुधार हेतु डिपोजिट रोपण योजना अंतर्गत विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त राशि से 8 लाख 82 हजार मिश्रित प्रजाति के पौधों का रोपण किया गया है।

वन विकास निगम में वृक्षारोपण के विरलन से वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15,653 घनमीटर ईमारती काष्ठ, 10 लाख नग बल्ली, 10,804 नग जलाऊ चट्टा तथा 426 नोशनल टन औद्योगिक बांस एवं 2,01,588 नग व्यापारिक बांस का उत्पादन हुआ है। वन विकास निगम द्वारा संपादित किये जा रहे कार्यों से राज्य के वनांचलों में वनवासियों एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के ग्रामीणों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और उन्हें सतत् रोजगार का अवसर मिल रहा है। निगम द्वारा बैंक अथवा किसी वित्तीय संस्थान से कोई ऋण भी नहीं लिया गया है, न ही निगम को राज्य शासन से कोई अनुदान प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि वन विकास निगम राज्य में हरियाली के प्रसार एवं पर्यावरणीय विकास के लिए कृतसंकल्पित होकर काम कर रहा है।

वन विकास निगम द्वारा बिगड़े वनों को हाई वैल्यू वन में विकसित किया जाता है। वन विकास निगम द्वारा बिगड़े वनों में औद्यौगिक एवं व्यापारिक दृष्टि से उपयोगी और तेजी से बढ़ने वाली मूल्यवान वृक्षों की प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जाता है और इन्हें हाई वैल्यू वनों के रूप में विकसित किया जाता है । इन वनों में मुख्य रूप से सागौन का रोपण किया जाता है, रोपण के 11, 16, 21 वर्ष बाद केंद्र सरकार की योजना और अनुमति के आधार पर इन प्लांटेशन वाले क्षेत्र से जिन वृक्षों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती उनकी कटाई कर उसकी लकड़ी को बेचा जाता है। मुख्य रूप से वन विकास निगम की आय इसी से होती है। हर साल औसतन लगभग 70 करोड रुपए का रेवेन्यू वन विकास निगम को प्राप्त होता है। सागौन की लकड़ी गुणवत्ता के हिसाब से 30 से 40 हजार रुपए प्रति घन मीटर से लेकर एक लाख रुपए प्रति घन मीटर की कीमत पर ओपन ऑक्शन से बिक्री होती है।

इसके अलावा खदान क्षेत्र में संबंधित संस्था जैसे एसईसीएल, बीएसपी आदि के संसाधनों से वनों का विकास वन विकास निगम द्वारा किया जाता है। वन विकास निगम द्वारा काफी कम कीमत पर औद्योगिक क्षेत्र और शहरी क्षेत्र जैसे नवा रायपुर में भी वृक्षारोपण किया गया है। यह कार्य वन विकास निगम द्वारा नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर किया जाता है।

वन विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री तपेश झा ने बताया कि वन विकास निगम की आय बढ़ाने के लिए ई ऑक्शन करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तरह वन विकास निगम द्वारा विभिन्न संस्थाओं को सघन वृक्षारोपण के लिए कंसल्टेंसी सर्विस और टेक्निकल गाइडेंस भी दिया जाता है।

प्राकृतिक वन संसाधनों का संरक्षण, विकास एवं सतत प्रबंधन के अलावा वन विकास निगम द्वारा पर्यावरण सुधार की दृष्टि से खदानी एवं औद्यौगिक क्षेत्रों में मिश्रित प्रजातियों का व्यापक रोपण किया जाता है। साथ ही वानिकी गतिविधियों में रोजगार सृजन द्वारा वनों के सीमावर्ती आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में ग्रामीणों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार एवं उनके लिए सतत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का कार्य भी वन विकास निगम द्वारा किया जाता है।

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