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बढ़ेगी या घटेगी आपकी EMI? 5 अप्रैल को आने वाला है RBI का फैसला

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा एक बार फिर नीतिगत दर को यथावत रख सकता हैं. इसका कारण आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता दूर होने और इसके करीब 8 फीसदी रहने के साथ केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर महंगाई को 4 फीसदी के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है. विशेषज्ञों ने यह बात कही.

साथ ही नीतिगत दर पर निर्णय लेने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों के रुख पर गौर कर सकती है. ये केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती को लेकर स्पष्ट रूप से ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपना रहे हैं. विकसित देशों में स्विट्जरलैंड पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने नीतिगत दर में कटौती की है. वहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान 8 साल बाद नकारात्मक ब्याज दर की स्थिति को समाप्त किया है.

3 अप्रैल से RBI की एमपीसी बैठक
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक 3 अप्रैल को शुरू होगी. मौद्रिक नीति समीक्षा की की घोषणा 5 अप्रैल को की जाएगी. यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी.

वित्त वर्ष 2024-25 में MPC की 6 बैठकें होगी
1 अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की 6 बैठकें होगी. आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया था. उसके बाद लगातार 6 द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में इसे यथावत रखा गया है.

नीतिगत दर को RBI रख सकता है यथावत
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘महंगाई अभी भी 5 फीसदी के दायरे में है और खाद्य महंगाी के मोर्चे पर भविष्य में झटका लगने की आशंका है, इसको देखते हुए एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रख सकता है.’’

FY24 में आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कहीं बेहतर रही
उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुमान में संशोधन हो सकता है. इस पर सबकी बेसब्री से नजर होगी. सबनवीस ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कहीं बेहतर रही है और इसीलिए केंद्रीय बैंक को इस मामले में चिंताएं कम होंगी और वह महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ज्यादा ध्यान देना जारी रखेगा.’’

दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी रही इकोनॉमिक ग्रोथ रेट
देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी रही. नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) ने पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को संशोधित कर क्रमश: 8.2 फीसदी और 8.1 फीसदी किया है जो पहले 7.8 फीसदी और 7.6 फीसदी था.

नीतिगत दर में बदलाव की संभावना नहीं
इक्रा (ICRA) की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि एनएस के 2023-24 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान बढ़ाए जाने के साथ लगातार 3 तिमाहियों में ग्रोथ रेट 8 फीसदी से अधिक रहने और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) फरवरी में 5.1 फीसदी रहने से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर और रुख में बदलाव की संभावना नहीं है.’’

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