व्यापार
ज्वेलरी खरीदने वालों के लिए खुशखबरी, दिल्ली में सोने की कीमत में बड़ी गिरावट..
अगर आप गोल्ड खरीदने का मूड बना रहे हैं तो यही सही समय है. सप्ताह के पहले कारोबारी दिन दिल्ली के बाजारों में गोल्ड की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. जिसके बाद कीमतें 74 हजार रुपए प्रति दस ग्राम से नीचे आ गई हैं. वहीं दूसरी ओर चांदी की कीमत में भी बड़ी गिरावट देखी गई और दिल्ली में कीमतें 2000 रुपए प्रति किलोग्राम धड़ाम हो गईं. विदेशी बाजारों में गोल्ड की कीमतें पूरी तरह से फ्लैट देखने को मिल रही है. जानकारों की मानें तो निवेशकों के मन में भ्रम पैदा हो गया है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक जॉब डाटा आने के बाद ब्याज दरों में कटौती संभव नहीं है. अगर होती भी है तो अनुमान से कम होंगी. जिसकी वजह से गोल्ड की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है.
दिल्ली में गोल्ड और सिल्वर में गिरावट
ऑल इंडिया सराफा एसोसिएशन के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में सोमवार को सोने की कीमत 700 रुपए गिरकर 73,500 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई. पीली धातु शुक्रवार को पिछले बंद में 74,200 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी. इस बीच, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 500 रुपए गिरकर 73,350 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया, जो पिछले बंद में 73,850 रुपए था. वहीं दूसरी ओर औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ओर से कमजोर उठान के कारण सोने की तरह, चांदी की कीमतें भी सोमवार को 2,000 रुपए गिरकर 83,800 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गईं. पिछले सत्र में चांदी धातु 85,800 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी. घरेलू स्तर पर, व्यापारियों ने पीली धातु की कीमतों में गिरावट का कारण विदेशों में कमजोर रुख के बीच स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की ओर से कमजोर मांग को बताया.
चिदेशी बाजारों में क्या है स्थिति
वहीं दूसरी ओर ग्लोबल मार्केट में गोल्ड और सिल्वर की कीमतें फ्लैट देखने को मिल रही हैं. कॉमेक्स के आंकड़ों के अनुसार गोल्ड फ्यूचर मात्र 2 डॉलर की तेजी के साथ 2,526.70 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी ओर गोल्ड स्पॉट के दाम 1.89 डॉलर प्रति ओंस की तेजी के साथ 2,499.30 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी ओर चांदी की कीमतों में भी एक फीसदी से भी कम की गिरावट देखने को मिल रही है. सिल्वर फ्यूचर 0.95 फीसदी की तेजी के साथ 28.45 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रही है. वहीं सिल्वर स्पॉट के दाम 0.74 फीसदी की तेजी के साथ 28.14 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रही है.
निवेशकों का बढ़ा संदेह
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा कि सोमवार को सोने में गिरावट आई क्योंकि मिश्रित अमेरिकी नौकरियों के आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व की आगामी ब्याज दर में कटौती के साइज को लेकर संदेह बढ़ा दिया. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट मानव मोदी के अनुसार, मिश्रित नौकरियों के आंकड़ों और कुछ फेड अधिकारियों की ब्याज दर में कटौती पर संदेह व्यक्त करने वाली टिप्पणियों के बाद पिछले सप्ताह के अंत में सोने की कीमत रिकॉर्ड स्तर से नीचे आ गई. मोदी ने कहा कि व्यापारी ब्याज दरों पर फेडरल रिजर्व के अगले कदम का अनुमान लगाने के लिए महंगाई और प्रोडक्शन प्राइस इंडेक्स (पीपीआई) सहित इस सप्ताह के अमेरिकी ब्रोडर इकोनॉमिक डाटा रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.
महंगाई के आंकड़ों का हो रहा है इंतजार
कोटक सिक्योरिटीज के एवीपी-कमोडिटी रिसर्च कायनात चेनवाला ने कहा कि ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन इकोनॉमिक क्राइसिस के डर को कम करने का प्रयास जरूर किया है, लेकिन मंदी की चिंताओं के बीच इस सप्ताह व्यापारी अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे सोना स्थिर बना हुआ है. येलेन ने कहा कि फाइनेंशियल सिस्टम के लिए कोई “लाल बत्ती चमकने वाली” नहीं है, और उन्होंने कहा कि नौकरी की वृद्धि कमजोर होने के बावजूद अमेरिकी इकोनॉमी नरम स्थिति में पहुंच गई है.
देश-विदेश
भारत फिर से बनेगा सोने की चिड़िया, जेफरीज की रिपोर्ट में भारतीय इकोनॉमी को लेकर आई अच्छी खबर
दुनिया में एक बार फिर भारतीय इकोनॉमी को बोलबाला होगा। एक बार फिर भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाएगा। भारत की डेमोग्राफी आने वाले वर्षों में देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाएगी। 2045 तक देश में कामकाजी लोगों की संख्या में 17.9 करोड़ का इजाफा होगा। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। मौजूदा समय में भारत की कामकाजी लोगों की संख्या 96.1 करोड़ है और बेरोजगारी दर पांच वर्ष के निचले स्तर पर है। वैश्विक निवेश फर्म जेफरीज की ओर से कहा गया कि भारत में कामकाजी लोगों की संख्या (25 से 64 वर्ष की आयु) में इजाफा हो रहा है और कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा सेविंग्स और निवेश को लेकर सकारात्मक है। ये बदलाव भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे।
2030 तक कमाकाजी लोगों की संख्या में होगी वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कामकाजी लोगों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, जो कि लेबर फोर्स बढ़ने की अहम वजह है। जेफरीज की ओर से ताजा नोट में कहा गया है कि कामकाजी लोगों की संख्या में बढ़ोतरी में धीमापन 2030 से आना शुरू हो जाएगा। सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से अगस्त में जारी किए गए डेटा के मुताबिक, भारत में श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में अप्रैल-जून में बढ़कर 50.1 प्रतिशत हो गई है, जोकि अप्रैल-जून 2023 में 48.8 प्रतिशत थी, जो दिखाता है कि देश में रोजगार में इजाफा हो रहा है।
कामकाजी महिलाओं की बढ़ रही हिस्सेदारी
इस साल अप्रैल से जून की अवधि में 15 वर्ष या उससे अधिक की उम्र की महिलाओं में एलएफपीआर दर बढ़कर 25.2 प्रतिशत हो गई है, जोकि 2023 की समान अवधि में 23.2 प्रतिशत थी। आरबीआई के डेटा के मुताबिक, पिछले दस वर्षों में देश में करीब 17 करोड़ लोगों को नौकरियां मिली हैं। देश में 2023-24 में 64.33 करोड़ लोगों को पास रोजगार था। 2014-15 में यह आंकड़ा 47.15 करोड़ था।
क्यों चमकता सितारा बनेगा भारत?
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत दुनिया में अभी सबसे तेज गति से विकास कर रहा है। भारत एक युवा देश है, जहां वर्कफोर्स की कोई कमी नहीं है। कामकाजी महिलाओं की भी हिस्सेदारी बढ़ रही है। देश की बड़ी आबादी इसे बड़ा बाजार बनाता है। इसलिए दुनियाभर की कंपनियांं भारत में निवेश बढ़ा रही है। भारत दुनिया के लिए उम्मीद की नई किरण है। ये कारण भारत की विकास की रफ्तार को तेज करने और विकसित राष्ट्र बनाने में मदद करेंगे। भारत की डेमोग्राफी भी इसे ममद कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले समय में एक बार फिर भारत दुनिया में चमकता सितारा बनेगा।
व्यापार
कच्चे तेल में गिरावट का भारत को फायदा, पेंट, टायर से लेकर एविएशन कंपनियों को ऐसे मिल रहा लाभ
सितंबर के महीने में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी और खाड़ी देशों के तेल में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई है. वैसे कच्चे तेल की कीमत में गिरावट भारत जैसे देश के लिए इसलिए काफी अहम है, क्योंकि देश अपनी जरुरत का 85 फीसदी आयात करता है. तेल की कीमतों में कमी आएगी तो देश का इंपोर्ट बिल कम होगा और देश के विदेशी पूंजी का फ्लो भी कम होगा. जिसका असर देश की इकोनॉमी पर काफी पॉजिटिव देखने को मिलता है.कुछ आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो अमेरिका और चीन में मंदी की चिंताओं के कारण पिछले 5 दिनों में ब्रेंट क्रूड की कीमत में करीब 4 फीसदी और बीते एक महीने में करीब 14 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल चुकी है. खास बात तो ये है कि इस दौरान कच्चे तेल के दाम 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे तक आ गया है. मौजूदा समय यानी शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 72 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा देखने को मिल रही है. वैसे कच्चे तेल की कीमतों की गिरावट का असर देश के शेयर बाजार में कुछ कंपनियों के शेयरों में भी देखने को मिला है. घरेलू उद्योग जैसे पेंट, टायर, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों और एयरलाइंस कंपनियों के शेयरों में कच्चे तेल की गिरावट की वजह से तेजी देखने को मिली हैं. वहीं दूसरी ओर तेल निकालने वाली कंपनियों के शेयरों पर काफी बुरा असर देखा गया है.
पेंट्स कंपनियों पर असर
पहले बात पेंट्स की करें तो इसके इनपुट कॉस्ट में क्रूड ऑयल की हिस्सेदारी 35 फीसदी देखने को मिलती है. कोटक सिक्योरिटीज के वीपी और ऑयल एनालिस्ट सुमित पोखरना ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से पेंट कंपनियों को फायदा होने की संभावना है क्योंकि इसका कच्चा माल कच्चे तेल का डेरिवेटिव है. हालांकि, ये स्टॉक काफी बढ़ गए हैं और इस सेक्टर में वैल्यूएशन महंगा है. बुधवार को एशियन पेंट्स के शेयरों में 2.23 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी. जबकि बर्जर पेंट्स इंडिया और कंसाई नेरलोक में लगभग 2.5 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था. नुवामा एसेट मैनेजमेंट के सीआईओ इक्विटी अल्टरनेटिव्स, निखिल रांका ने कहा कि हालांकि पेंट शेयरों में कुछ दिनों में तेजी आई है, लेकिन उन्हें अंतराल के साथ लाभ देखने की संभावना है क्योंकि वे आम तौर पर 1-2 महीने के कच्चे माल की लिस्ट रखते हैं.
ऑयल कंपनियों काे मिलेगा फायदा?
वहीं दूसरी ओर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की बात करें तो कच्चे तेल की कम कीमतों का असर ओएमसी शेयरों में पॉजिटिव देखने को मिल रहे हैं. लेकिन सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की बाजार की उम्मीद के कारण मंगलवार को अधिकतर ऑयल कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी. इंडियन ऑयल कॉर्प में 3.11 फीसदी, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम में क्रमशः 1.49 फीसदी और 2.69 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. जानकारों का कहना है कि इन कंपनियों पर कच्चे तेल की कम कीमतों का सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है. प्रभुदास लीलाधर के रिसर्च के को-हेड स्वर्णेंदु भूषण ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि ओएमसी कंपनियों के मार्केटिंग मार्जिन में विस्तार हुआ है और मार्केटिंग मार्जिन पर लाभ इन्वेंट्री घाटे के प्रभाव से अधिक हो सकता है. हालांकि, हाई वैल्यूएशन के कारण बढ़त सीमित है.
टायर शेयरों की स्थिति
वहीं दूसरी ओरटायर कंपनियां कच्चे माल के रूप में प्राकृतिक और सिंथेटिक रबर का उपयोग करती हैं, और सिंथेटिक रबर की कॉस्ट कच्चे तेल पर निर्भर होती है, इसलिए कीमत में गिरावट से उन्हें फायदा होगा. बुधवार को सिएट टायर्स में 0.64 फीसदी और अपोलो टायर्स और एमआरएफ टायर्स में मामूली बढ़त हुई. तेल निकालने वाली कंपनियां कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से ऑयल ड्रिलिंग कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. ऑयल इंडिया 4.31 फीसदी गिर गया जबकि हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन और ओएनजीसी के शेयरों में इस दौरान गिरावट देखने को मिल चुकी है.
देश-विदेश
iPhone के पूरे हुए 17 साल, Apple ने हर साल मचाया भौकाल
Apple iPhone 16 सीरीज आज यानी 9 सितंबर 2024 को ग्लोबली लॉन्च किया जाएगा। एप्पल ने पिछले 17 साल में अपने कई आईफोन मॉडल दुनियाभर में उतारे हैं। हर साल एप्पल अपने नए iPhone मॉडल को नए अपग्रेड के साथ लॉन्च करता है। 2007 में लॉन्च हुए पहले iPhone से लेकर पिछले साल लॉन्च हुए iPhone 15 सीरीज तक कंपनी ने अपने हर मॉडल में कुछ न कुछ नया फीचर जोड़ा है। आइए, जानते हैं पिछले 17 साल में iPhone के हर मॉडल में क्या-क्या नए अपग्रेड्स देखने को मिले हैं
हर मॉडल में हुए बड़े अपग्रेड
Apple ने अपना पहला iPhone आज से 17 साल पहले 29 जून 2007 को लॉन्च किया था। यह 2G नेटवर्क सपोर्ट के साथ आता था।
पहले जेनरेशन के बाद iPhone 3G लॉन्च हुआ था, जो 3G नेटवर्क सपोर्ट के साथ आने वाला पहला आईफोन था। कंपनी ने अगले दो साल तक आईफोन में कोई मेजर अपग्रेड नहीं किया।
7 जून 2010 को लॉन्च हुए iPhone 4 में कंपनी ने बड़ा अपग्रेड करते हुए इसके बॉडी में स्टेनलेस फ्रेम का इस्तेमाल किया था।
कंपनी ने उसे दुनिया का सबसे पतला iPhone बताया था। इसमें एप्पल का कस्टम डिजाइन्ड चिप यूज हुआ था।
iPhone 4s में कंपनी ने पहली बार Siri का यूज किया था। यह आईफोन 4 अक्टूबर 2011 को लॉन्च हुआ था।
iPhone 5s और iPhone 5c के साथ एप्पल ने पहली बार टच आईडी का इस्तेमाल किया था। ये दोनों फोन 10 सितंबर 2013 को लॉन्च हुए थे।
सबसे ज्यादा बिकने वाले iPhone 6 सीरीज को 9 सितंबर 2015 में लॉन्च किया गया था। इस सीरीज में पहली बार 12MP का कैमरा इस्तेमाल किया गया था।
iPhone 7 सीरीज में कंपनी ने पहली बार IP67 सर्टिफाइड वाटर और डस्ट रेसिस्टेंट का यूज किया था। यह दुनिया का पहला आईफोन था, जो पानी में डूबने से भी खराब नहीं होता था। यह iPhone 7 सितंबर 2016 को लॉन्च हुआ था।
iPhone 8 सीरीज को 12 सितंबर 2017 को लॉन्च किया गया था। एप्पल ने इस आईफोन के सभी मॉडल में पहली बार ग्लास पैनल और वायरलेस चार्जिंग का इस्तेमाल किया था।
iPhone X सीरीज को 12 सितंबर 2018 में लॉन्च किया गया था। यह पहली आईफोन सीरीज थी जिसमें लिक्विड रेटिना डिस्प्ले, बेजललेस डिजाइन और स्मार्ट HDR फोटोग्राफी कैमरा का यूज किया गया था। यही नहीं, OLED पैनल के साथ लॉन्च होने वाला यह पहला मॉडल था।
iPhone 11 को कंपनी ने 10 सितंबर 2019 को लॉन्च किया था। इस सीरीज में कंपनी ने बड़ी बैटरी का इस्तेमाल किया था। साथ ही, यह अल्ट्रा वाइड लेंस के साथ लॉन्च होने वाला पहला मॉडल था।
iPhone 12 कंपनी का पहला आईफोन था, जो 5G नेटवर्क को सपोर्ट करता है। इस आईफोन सीरीज को 13 अक्टूबर 2020 को लॉन्च किया गया था।
14 सितंबर 2021 को लॉन्च हुए iPhone 13 सीरीज में कंपनी ने पहली बार 120Hz रिफ्रेश रेट वाले प्रो-मोशन टेक्नोलॉजी OLED डिस्प्ले पैनल का इस्तेमाल किया था।
iPhone 14 को 7 सितंबर 2022 को लॉन्च किया था। यह पहली iPhone सीरीज थी, जिसमें डायनैमिक आईलैंड वाला डिस्प्ले दिया गया। कंपनी ने इस सीरीज के प्रो मॉडल से बेजल को पूरी तरह से हटा दिया था।
iPhone 15 सीरीज को पिछले साल 12 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। इस सीरीज के प्रो मॉडल में कंपनी ने टाइटेनियम फ्रेम का यूज किया था। इसके अलावा यह USB Type C सीरीज के साथ पेश हुआ है। इसमें 48MP का कैमरा समेत एक्शन बटन जैसे फीचर्स मिलते हैं।
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