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आस्था

जानिए कैसा रहेगा आपके लिए 01 सितंबर 2024 का दिन और किन उपायों से आप ये दिन बेहतर बना सकते हैं

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आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि और रविवार का दिन है। चतुर्दशी तिथि आज पूरा दिन पूरी रात पार कर के कल सुबह 5 बजकर 22 मिनट तकरहेगी। आज शाम 5 बजकर 50 मिनट तक परिघ योग रहेगा। साथ ही आज रात 9 बजकर 49 मिनट तक आश्लेषा नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा आज मास शिवरात्रि व्रत है। जानिए कैसा रहेगा आपके लिए 01 सितंबर 2024 का दिन और किन उपायों से आप ये दिन बेहतर बना सकते हैं। साथ ही जानते हैं कि आपके लिए लकी नंबर और लकी रंग कौन सा होगा।

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मेष राशि-

पूरे दिन भाग्य आपके साथ रहेगा,,, आज जल्दबाजी में कोई फैसला ना लें। परिस्थितियां गुस्से में हल ना करें, धैर्य रखें अंजान व्यक्ति का सहयोग मिलेगा। छात्रों को सफलता मिलने के योग हैं।

  • शुभ रंग- पिच
  • शुभ अंक- 1

वृष राशि- 

आज का दिन अच्छे रिजल्ट देगा। परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। किसी समस्या को हल करने में आपका सहयोग सकारात्मक रहेगा। प्रॉपर्टी संबंधी काम बनेंगे, आज बेवजह की आवाजाही अवॉयड करें। लवमेट के साथ रिश्ते सुधरेंगे।

  • शुभ रंग- गोल्डन
  • शुभ अंक- 2

मिथुन राशि- 

आपका दिन अच्छा रहेगा। छात्रों को अधिक मेहनत की जरूरत है। रोजगार के नए मौके मिलेंगे। आपकाी कोई ऑफिशियल यात्रा संभव है। कोई दोस्त आपको सरप्राइज देगा। तरक्की खूब होगी।

  • शुभ रंग- ग्रे
  • शुभ अंक- 5

कर्क राशि- 

आपका दिन बढ़िया रहेगा। सही समय पर उचित फैसला लाभ देगा। नया काम ना शुरू करें। ऑफिस में आपका प्रभाव बना रहेगा।

  • शुभ रंग- हरा
  • शुभ अंक- 8

सिंह- 

आपका दिन शानदार रहेगा। विरोधी ऑफिस के काम में आपसे राय मांगेंगे। सरकारी नौकरी में सुखद बदलाव आएगा। सेहत के लिए दिन अच्छा है। घर परिवार की बातें गहराई से समझेंगे। लवमेट्स आज घूमने जाएंगे।

  • शुभ रंग- पिच
  • शुभ अंक- 7

कन्या राशि- 

आपका दिन मिला-जुली प्रतिक्रिया देगा। घर पर ही परिवार संग धार्मिक काम करेंगे। ऑफिस के काम को संभलकर करें। किसी से उलझने से बचें।

  • शुभ रंग- मैजेंटा
  • शुभ अंक- 2

तुला- 

आपका दिन खुशियों से भरा रहेगा। किसी काम को जल्द पूरा करें। बाहर की चीजों को खाने से बचें। आज वाहन चलाते समय सावधानी बरतें।

  • शुभ रंग- ग्रे
  • शुभ अंक- 8

वृश्चिक- 

आज आपका दिन शुभ रहेगा। किसी काम के लिए आप कई बड़े फैसले लेंगे। सेहत के अनुरूप उचित परिणाम मिलेंगे। अधिकारियों से व्यवहार अच्छा रहेगा। जायदाद संबंधी काम में सावधानी बरतें।

  • शुभ रंग- पीला
  • शुभ अंक- 5

धनु- 

किसी अपने से अच्छी खबर मिलेगी। व्यक्तिगत काम में घबराएं नहीं। किसी परिजन बड़ी उपलब्धि मिलेगी। नए प्रजोक्ट में अधिकारियों का सहयोग मिलेगा।

  • शुभ रंग- नारंगी
  • शुभ अंक- 7

मकर- 

आज का दिन बढ़िया रहेगा। आज बातचीत में मधुरता रखें। उच्च अधिकारी से मुलाकात होगी। नया काम शुरू हो सकता है। लेखकों को खुशखबरी मिलेगी।

  • शुभ रंग- हरा
  • शुभ अंक- 9

कुंभ राशि- 

आज का दिन खास रहेगा। पारिवारिक माहौल अच्छा रहेगा। जीवनसाथी संग रिश्ते मधुर रहेंगे। सकारात्मक सोच हितकर होगी। अचानक धनलाभ होगा।

  • शुभ रंग- आसमानी
  • शुभ अंक- 5

मीन-

आपका दिन मिला-जुला रहेगा। छात्रों को सफलता मिलेगी। आपकी सेहत में उतार चढ़ाव होगा। दांपत्य जीवन शानदार रहेगा। बच्चे खेलकूद में बिजी रहेंगे।

  • शुभ रंग- पिच
  • शुभ अंक- 1

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अनंत चतुर्दशी पर करें ये छोटा सा उपाय, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न..

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भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है. हिंदु धर्म मे अनंत चतुर्दशी का खास महत्व है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं. चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का भी विसर्जन किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन अगर जातक कुछ उपाय कर लेते है तो जीवन मे सभी प्रकार की समस्या समाप्त हो जाती है. आईये देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं. अनंत चतुर्दशी और पूजा शुभ मुहूर्त कब है?. इस दिन क्या उपाय करना चाहिए?. पंडित नंदकिशोर मुदगल ने कहा कि हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है. इस साल कल यानी 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जायेगा. इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन ऐसा संयोग बनने जा रहा है की विश्वकर्मा पूजा के साथ भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि भी है. इसी दिन गणेश प्रतिमा का भी विसर्जन किया जाएगा.

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अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितम्बर दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से हो रहा है. समापन अगले दिन 17सितम्बर दोपहर 12बजकर 56 मिनट मे हो रहा है. इसलिए उदयातिथि के अनुसार 17सितम्बर को अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाएगा.इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 11बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है.

इस दिन क्या करे उपाय
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं कि इस दिन सत्यनारायण की कथा अवश्य सुननी चाहिए. उसे दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाना चाहिए .पंचामृत में तुलसी का पत्ता अवश्य डालें. इसके साथ ही इस दिन अनंत डोरा जिसे अनंत सूत्र भी कहते है. इसे भगवान श्री विष्णु के चरणों में अर्पण कर पूजा समाप्ति के बाद अपने बाह मे अवश्य बांधे. ध्यान रहे यह बाए बाँह मे बांधना चाहिए. इससे सारी बधाएं आपसे दूर रहेगी. कभी भी पारिवारिक कलह नहीं होगी. इसके साथ ही संध्या के समय घी और 14कपूर का दीपक जलाकर उसमे 14लोंग डालकर घर के किचन मे रख दे कभी भी दरिद्रता नहीं आएगी.

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पितृ पक्ष में भूलकर भी ना खरीदें ये 4 चीजें, नाराज हो जाएंगे पूर्वज…

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पितरों को समर्पित पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा से हो रही है. पितृपक्ष में पितरों की पूजा कर श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म किए जाते हैं. मान्यता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. माना जाता है कि पितृपक्ष के दिनों में पितर धरती पर आते हैं, इसलिए उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए. लेकिन, कुछ ऐसे भी कार्य हैं जो पितृपक्ष के दिनों में बिल्कुल नहीं करना चाहिए. फिर भी अगर आप करते हैं तो इससे पितर नाराज हो सकते हैं. खासकर खरीदारी के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है.

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पितृपक्ष में भूलकर भी इन चीजों को न खरीदें:- पितृपक्ष के दिनों में भूलकर भी नई प्रॉपर्टी, घर या वाहन नहीं खरीदना चाहिए. इससे आपको हानि हो सकती है.

कोई आभूषण न खरीदें:- साथ ही पितृपक्ष के दिनों में सोना-चांदी, लोहा आदि चीजों की भूलकर भी खरीदारी नहीं करनी चाहिए. इससे पितर नाराज हो सकते हैं.

घर के छत की ढलाई न करें:- अगर आप मकान बनवा रहे हैं तो पितृपक्ष के दिनों में भूलकर भी मकान की छत की ढलाई न कराएं. नहीं तो अशुभ फल की प्राप्ति होगी.

कोई भी मांगलिक कार्य न करें:- खरीदारी के साथ ही पितृपक्ष के दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ, सगाई आदि. इससे पितर नाराज हो सकते हैं और आपके वंश पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

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17 सितंबर से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष, क्यों जरूरी होता पितरों का श्राद्ध या पिंडदान?जानिए

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भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं। पूर्णिमा की उदयातिथि 18 सितंबर को होगी, लेकिन बुधवार को पूर्णिमा सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और श्राद्ध दोपहर में किया जाता है। लेकिन 17 सितंबर को दोपहर के समय पूर्णिमा है, इसलिए पूर्णिमा तिथि वालों का श्राद्ध मंगलवार को किया जाएगा, जबकि बुधवार के दिन प्रतिपदा तिथि वालों का श्राद्ध किया जाएगा। दरअसल, 18 सितंबर को दिन दोपहर के समय प्रतिपदा तिथि रहेगी। ये सोलह दिवसीय श्राद्ध 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर, बुधवार के दिन आश्विन महीने की अमावस्या को समाप्त होंगे।

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बता दें कि श्राद्ध को महालय या पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है।  17 सितंबर, मंगलवार को उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ हो। इसे प्रौष्ठप्रदी श्राद्ध भी कहते हैं। जिनका स्वर्गवास जिस तिथि को हुआ हो, श्राद्ध के इन सोलह दिनों के दौरान उसी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है। आइए अब आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करना क्यों महत्वपूर्ण होता है।

श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव। हमारे भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। आप दूसरे तरीके से भी इस बात को समझ सकते हैं। पिता के जिस शुक्राणु के साथ जीव माता के गर्भ में जाता है, उसमें 84 अंश होते हैं, जिनमें से 28 अंश तो शुक्रधारी पुरुष के खुद के भोजनादि से उपार्जित होते हैं और 56 अंश पूर्व पुरुषों के रहते हैं। उनमें से भी 21 उसके पिता के, 15 अंश पितामह के, 10 अंश प्रपितामाह के, 6 अंश चतुर्थ पुरुष के, 3 पंचम पुरुष के और एक षष्ठ पुरुष के होते हैं। इस तरह सात पीढ़ियों तक वंश के सभी पूर्वज़ों के रक्त की एकता रहती है। लेकिन श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है।

पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है। साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। हमारे धर्म-शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा को उसके कर्मानुसार स्वर्ग-नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीर्ण होने पर वह पुनः मृत्यु लोक में आ जाती है। मृत्यु के पश्चात पितृयान मार्ग से पितृलोक में होती हुई चन्द्रलोक जाती है। चन्द्रलोक में अमृतत्व का सेवन करके निर्वाह करती है और ये अमृतत्व कृष्ण पक्ष में चन्द्रकलाओं के साथ क्षीर्ण पड़ने लगता है। अतः कृष्ण पक्ष में वंशजों को आहार पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। ये आहार श्राद्ध के माध्यम से पूर्वजों को पहुंचाया जाता है।  पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को और उसके परिवार को अच्छी बुद्धि, पुष्टि, धारण करने की शक्ति, पुत्र-पौत्रादि और ऐश्वर्य की प्राप्त होती है।

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