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वट सावित्री के अवसर पर महिलाओ ने वट वृक्ष का परिक्रमा कर विधि विधान से पूजा अर्चना कि
नारायणपुर –जिले में भी वटसावित्री कि पूजा अर्चना कि रही धूम हो इस दिन पति के दीर्घायु की कामना करते हुए महिलाये उपवास रहती है।,प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पति के दीर्घायु के लिए महिलाओं द्वारा की जाने वाली वट सावित्री पूजा आज शुक्रवार को भारी आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह से ही नगर के पुराना बसस्टैंड स्थित हनुमान मंदिर के सामने, राममंदिर के बाजू, एडका मोड़ बखरुपारा स्थित शिव मंदिर के सामने सहित अन्य कई जगहों पर बरगद वृक्ष पर सुहागियों की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की। एवं पति की लंबी उम्र के साथ ही पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना की। विदित हो कि सुहागिनों द्वारा यह उपवास रखकर भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा-अर्चना की जाती है।और उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगा जाता है। जिससे इस व्रत पालन कड़ाई से किया जाता है।इस पूजन में सामग्री के रूप में महिलाओं द्वारा सिंदूर,चुनरी,वस्त्र, रोली,फल,चना,लाल कलावा,सुहाग का समान एवं अन्य समानों को लेकर चढ़ाया जाता है।
सावित्री पूजा इसलिए मनाई जाती है––•
भद्र देश के राजा अश्वपति ने संतान प्राप्ति के लिए 18 वर्ष तक कठोर तपस्या की थी। जिसके पश्चात सावित्री देवी ने उन्हें कन्या प्राप्ति का वरदान दिया था और कन्या के जन्म के बाद राजा ने उसका नाम सावित्री रखा। कन्या के विवाह के लिए राजा अश्वपति चिंतित रहते थे राजा ने पुत्री सावित्री को स्वयं वर खोजने के लिए कहीं भेज दिया था।जहां जंगल में सावित्री की मुलाकात धुमत्सेन के पुत्र सत्यवान से होती है और वह उसे पति के रूप में स्वीकार कर लेती है।पति के अल्पायु होने की बात भी सावित्री को नारद मुनि द्वारा बताई जाती है। मगर अपने धर्म के प्रति वह अडिग होती है। जिद्द के पश्चात राजा अश्वपति को भी झुकना पड़ता है और दोनों का विवाह संपन्न होता है। जिसके बाद सावित्री महल छोड़कर जंगल जाकर कुटिया में रहने लगी और अंधे सास ससुर की सेवा में लगी रहती है।नारद मुनि द्वारा बताया गया था कि पति की अल्पायु है और जैसे जैसे पति के मृत्यु का समय निकट आता है तो 3 दिन पूर्व से ही सावित्री ने उपवास शुरू कर दिया था और वह पितरों का पूजन करने लगती है। प्रत्येक दिन की भांति एक दिन सत्यवान जंगल की ओर लकड़ी काटने जाते हैं। और पेड़ पर लकड़ी काटने चढ़ते है तो सिर चकराने के कारण नीचे उतर आते है।और मूर्छित रहते है जहां सावित्री के गोद में पति का सिर रखा होता है।तभी वहीं यमराज आते दिखे जो सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगते है। सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे जाने लगती है।उन्होंने बहुत मना किया परंतु सावित्री ने कहा, जहां मेरे पति जाते हैं वहां मुझे जाना ही चाहिये।
बार-बार मना करने के पश्चात भी सावित्री पीछे-पीछे चलती रहीं। सावित्री की निष्ठा और पति परायणता को देखकर यमराज ने वरदान के रूप में सावित्री के अंधे सास-ससुर को आंखें दी। उसका खोया हुआ राज्य दिया और सावित्री को देखने के लिए कहा। मगर सावित्री लौट कैसे सकती थी जहां पति के प्राण तो यमराज लिये जा रहे थे।यमराज ने फिर कहा कि सत्यवान को छोडकर जो मांगना चाहो मांग सकती हो।इस पर सावित्री ने 100 संतानों और सौभाग्यवती का वरदान मांगा। यम ने बिना विचारे प्रसन्न होकर तथास्तु बोल दिया। वचनबद्ध यमराज आगे बढ़ने लगे। सावित्री ने कहा कि प्रभु मैं एक पतिव्रता पत्नी हूं और आपने मुझे 100 पुत्रों का आशीर्वाद दिया है। यह सुनकर यमराज को सत्यवान के प्राण छोड़ने पड़े। इस हेतु वट सावित्री पूजा की शुरुआत हुई।
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IG ने गूगल को भेजा नोटिस, जानिए क्या है पूरा मामला
दुर्ग : पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज दुर्ग राम गोपाल गर्ग के द्वारा गूगल के नोडल अधिकारी को पत्र लिखा गया है। जिसमे गूगल सर्च पेजों पर प्रदर्शित फर्जी कस्टमर केयर नंबरों के कारण हो रही धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने एवम आवश्यक कार्रवाई करने के संबंध मे कहा। श्री गर्ग ने पत्र के माध्यम से कहा कि विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध करने वाले सायबर ठग गूगल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर प्रमुख बैंकों, बीमा कंपनियों, होटलों, वॉलेट्स, यूपीआई, गैस एजेंसियों, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य आवश्यक सेवाओं के कस्टमर केयर नंबरों को अपडेट करने के नाम से लोगों को ठगने का कार्य कर रहे हैं। अक्सर गूगल विज्ञापनों का उपयोग धोखेबाजों द्वारा किया जाता है, ताकि गूगल सर्च परिणामों में फर्जी नंबर सबसे ऊपर दिखें।
चूंकि उपयोगकर्ता गूगल सर्च परिणामों पर भरोसा करते हैं, वे इन फर्जी नंबरों को असली कस्टमर केयर नंबर मान लेते हैं और परिणामस्वरूप अपनी संवेदनशील और गोपनीय जानकारी प्रदाय कर ठगी करने वालो के जाल में फसते चले जाते है, उन्होंने गूगल को आई टी एक्ट की विभिन्न धाराओं के माध्यम से कहा कि इस प्रकार की धोखाधड़ी गतिविधियों से समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए, गूगल के लिए आवश्यक सभी कदम उठाना महत्वपूर्ण है ताकि नागरिकों को इस तरह की धोखाधड़ी से बचाया जा सके तथा गूगल से भी इस विषय पर गंभीरता पूर्वक कार्यवाही करने हेतु एवं किए गए कार्यवाही के संबंध में जानकार प्रदाय करने को लिखा गया है। पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज रामगोपाल गर्ग के द्वारा आम जनता से भी अपील की है कि बढ़ते सायबर अपराधो के प्रति जागरूक होने हेतु ‘साइबर प्रहरी’ अभियान से अधिक से अधिक लोग जुड़े , जिसमे नित्य नए होने वाले साइबर अपराधों के बारे में बता कर एवं सायबर ठगी के नए पैटर्न को समझाकर इनसे बचने एवं सुरक्षित रहने के महत्पूर्ण प्वाइंट्स प्रतिदिन जारी किए जाते है। सायबर अपराधों पर सतर्कता एवं जागरूकता से ही लगाम लगाई जा सकती है। अतः सायबर प्रहरी अभियान से आप भी जुड़े।
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रजोली सॉ मिल पर की गई कारवाई,अर्जुन लट्ठा का अवैध चिरान करने पर हुई कारवाई
अमन पथ न्यूज़ बालोद से उत्तम साहू : गुंडरदेही क्षेत्र में लगातार अर्जुन पेड़ो की कटाई जोरों पर हैं।लकड़ी माफियाओं के द्वारा इन पेड़ों की बेतहासा बलि दी जा रही हैं और इन पेड़ों को आसपास के सॉमिलों पर बड़ी मात्रा में खपाया जाता है।अर्जुन लट्ठा के मिलों में खपाने की सूचना पर आज बुधवार को उपवनमण्डलाधिकारी बालोद द्वारा गुंडरदेही क्षेत्र के धनकर सॉ मिल रजोली का आकस्मिक निरीक्षण किया गया जहाँ पर प्रतिबंधित अर्जुन लट्ठा का अवैध चिरान करते पाया गया।
सॉ मिल परिसर मे रखे अर्जुन प्रजाति के लट्ठा व चिरान का नापजोख कर 1 नग बैंड सॉ, 1 नग ट्रॉली, 1 नग मोटर 10एच पी को जप्त कर सील किया गया। इस कार्यवाही मे वन परिक्षेत्र अधिकारी बालोद, उड़नदस्ता दल बालोद एवं गुरुर और बालोद परिक्षेत्र के कर्मचारी अधिकारी उपस्थित रहे।
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ग्रीष्मकालीन अवकाश में विद्यार्थियों के लिए होगा आयोजित समर कैम्प
एमसीबी : विदित हो कि 15 जून, 2024 तक विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रभावी है। इस दौरान छात्र-छात्राओं को रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न कर उनमें बहुमुखी कौशल का विकास किया जा सकता है। रचनात्मक गतिविधियों में छात्र-छात्राओं के पालक एवं उनके शिक्षकों का मार्गदर्शन उपयोगी हो सकता है। छात्र-छात्राओं में परस्पर रचनात्मक गतिविधियों के आदान-प्रदान के लिए समर कैंप आयोजित किया जाये। समर कैम्प हेतु सुझाव इस प्रकार हैं। छात्र-छात्राओं हेतु समर कैम्प स्कूलों में अथवा गांव अथवा शहर के सामुदायिक स्थानों में आयोजित किया जा सकता है। समर कैम्प में कला क्षेत्र, रचनात्मक क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित करके उनसे छात्र-छात्राओं को मार्गदर्शन या प्रशिक्षण दिलाया जा सकता है। समर कैम्प में स्कूल के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं के पालको एवं शाला विकास समिति का भी सहयोग लिया जाये। समर कैम्प में निम्नानुसार रचनात्मक गतिविधियां आयोजित की जा सकती है. यथा चित्रकारी, गायन, वादन, निबंध, कहानी लेखन, हस्तलिपि लेखन, नृत्य, खेलकूद, अपने गांव या शहर का ऐतिहासिक परिचय आदि गतिविधियां।
इन गतिविधियों के अलावा आप अपने स्तर पर भी रचनात्मक गतिविधियों का भी चयन कर सकते हैं। समर कैम्प के आयोजन से पूर्व शाला विकास समिति एवं पालक शिक्षक समिति से सहमति ली जाये। यह आयोजन पूर्णतः स्वेच्छिक रहेगा तथा समर कैम्प प्रातः 07ः00 बजे से प्रातः 09: 30 बजे के मध्य संचालित किये जाये। समर कैम्प हेतु स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से पृथक से कोई बजट देय नहीं होगा। कृपया जिला स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर कार्यक्रम को सफल बनायें। आशा है कि आप अपने स्तर पर पहल करते हुए ग्रीष्मावकाश में छात्र-छात्राओं के लिए समर कैम्प का आयोजन करेंगे तथा ग्रीष्मावकाश को बच्चों के सीखने के लिए अवसर के रूप में प्रयुक्त करेंगे। आपके द्वारा की गई गतिविधियों से विभाग को अवगत कराने का कष्ट करेंगे।
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