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क्या बंद होगी ये नवरत्न कंपनी? दिल्ली-मुंबई में चलता था सिक्का..

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जल्द ही देश की एक नवरत्न कंपनी का अस्तित्व खत्म हो सकता है. जी हां, ये कंपनी कोई और नहीं बल्कि महानगर टेलीफोन निगम है. करीब 37 साल पहले 1986 में ये कंपनी अस्तित्व में आई थी. बीएसएलएन होने के बाद भी इस कंपनी का अपनी खुद की इंडिविजुअल आइडेंटिटी थी. जोकि जल्द ही खत्म होने वाली है. खास बात तो ये है कि इस कंपनी के खत्म होते ही देश की नवरत्न कंपनी भी कम हो जाएगी. एमटीएनएल को नवरत्न कंपनी का दर्जा मिला हुआ था. वास्तव में कंपनी पर कई हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. जिसे रिस्ट्रक्चरिंग को सरकार अंतिम रूप देने में लगी हुई है. उसके बाद इस कंपनी का पूरा ऑपरेशन भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

बीएसएनएल संभालेगा पूरा ऑपरेशन

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि हालांकि कंपनी को आधिकारिक तौर पर बंद करने का फैसला अभी नहीं लिया गया है, लेकिन यह अब अपने आप काम नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि एमएनटीएल का पूरा ऑपरेशन बीएसएनएल द्वारा अपने हाथ में ले लिया जाएगा. पहले से ही, बीएसएनएल वायरलेस ऑपरेशन काे मैनेज कर रहा है, लेकिन एक बार लोन रिस्ट्रक्चर पूरा होने पर, पूरी चीजें बीएसएनएल की ओर से देखी जाएंगी. एक दूसरे व्यक्ति ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि एमटीएनएल के लगभग 3,000 कर्मचारियों को वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) ऑफर की जानी चाहिए या बीएसएनएल में ट्रांसफर कर देना चाहिए. सरकार का मानना है कि एक बार जब बीएसएनएल देश में संपूर्ण परिचालन का प्रबंधन शुरू कर देगा तो बेहतर परिणाम मिलेंगे. वर्तमान में, एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में सेवाएं दे रही है जबकि शेष देश में बीएसएनएल द्वारा सेवा प्रदान की जाती है.

सरकार का मर्जर प्लान फेल

इससे पहले सरकार ने दोनों कंपनियों के मर्जर का प्लान बनाया था, लेकिन एमटीएनएल का लोन ज्यादा होने की वजह मर्जर का प्लान पूरा नहीं हो पाया है, क्योंकि इससे वित्तीय समस्या और बढ़ सकती है. इसलिए, 2022 में कैबिनेट ने दोनों टेलीकॉम कंपनियों के कर्ज को ​रीस्ट्रक्चर करने का फैसला किया. यह योजना कंपनियों को लॉन्गटर्म लोन जुटाने और अपने लोन को रिस्ट्रक्चर करने की अनुमति देने के लिए सॉवरेन गारंटी भी दी थी.

बीएसएनएल और एमटीएनएल की हिस्सेदारी

मौजूदा समय में बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों 4जी और 5जी सेवाओं की कमी के कारण प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं. नई टेलीकॉम टेक्नोलॉजी की कमी के कारण कंपनियां हर महीने कस्टमर गंवा रही है. इस साल अप्रैल के अंत में जहां बीएसएनएल की कस्टमर मार्केट हिस्सेदारी 7.46 फीसदी थी, वहीं एमटीएनएल की हिस्सेदारी मामूली 0.16 फीसदी थी. इसकी तुलना में मार्केट लीडर रिलायंस जियो की वायरलेस सब्सक्राइबर हिस्सेदारी 40.48 फीसदी थी, इसके बाद दूसरे नंबर पर भारती एयरटेल 33.12 फीसदी और वोडाफोन आइडिया 18.77 फीसदी थी. बीएसएनएल का घाटा वित्त वर्ष 2023-24 में 5,378.78 करोड़ रुपए देखने को मिला. वहीं इसी दौरान एमटीएनएल को नेट लॉस 3,267.5 करोड़ रुपए का हुआ था.

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दिवाली से पहले आम लोगों की जेब पर शामत आई, खाद्य तेलों ने बढ़ाई महंगाई..

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26 अक्टूबर 2024:-   मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान खाने के तेल की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते एक महीने में पाम ऑयल की कीमतों में 37 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जिसकी वजह से घरेलू बजट पर असर पड़ा है. साथ रेस्तरां, होटल और मिठाई की दुकानों की कॉस्ट बढ़ गई है, जो तेल का उपयोग स्नैक्स तैयार करने के लिए करते हैं. घरों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला सरसों के तेल की कीमत में इसी अवधि में 29 फीसदी की वृद्धि देखी गई है.

क्यों हुआ इजाफा

तेल की कीमतों में यह वृद्धि तब हुई है जब सब्जियों और खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण सितंबर में खुदरा महंगाई 9 महीने के हाई 5.5 फीसदी पर पहुंच गई थी. जिसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फिलहाल ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है. सरकार ने पिछले महीने क्रूड सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई. 14 सितंबर से क्रूड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 27.5 फीसदी और रिफाइंड फूड ऑयल पर 13.7 फभ्सदी से बढ़ाकर 35.7 फीसदी कर दिया गया.

ग्लोबली कीमतों में तेजी

अधिकारियों ने बताया है कि क्रूड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी ऑयल के ग्लोबल प्राइस पिछले महीने में क्रमशः लगभग 10.6 फीसदी, 16.8 फीसदी और 12.3 फीसदी बढ़ी हैं. भारत अपनी खाद्य तेल मांग का लगभग 58 फीसदी इंपोर्ट करता है और वनस्पति तेलों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और सबसे बड़ा इंपोर्ट है. उपभोक्ताओं को अगले कुछ महीनों तक ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि आयात शुल्क कम करने की संभावना कम लगती है. सरकार ने पहले कहा था ये समायोजन घरेलू तिलहन किसानों को बढ़ावा देने के सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं, खासकर नई सोयाबीन और मूंगफली की फसल अक्टूबर 2024 से बाजारों में आने की उम्मीद है.

उद्योग के सूत्र इस बात से सहमत हैं कि किसानों को तिलहन की अच्छी कीमत मिले यह सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा आयात शुल्क व्यवस्था को बनाए रखना आवश्यक है. टीओआई ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता के हवाले से कहा कि अगर हम खुद को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो हमें किसानों को तिलहन का ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा. यह तभी होगा जब किसानों को वर्षों तक अच्छी कीमतें मिलेंगी और हम तेल का अतिरिक्त इंपोर्ट (नहीं करेंगे. प्रमुख खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि का असर सभी खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है. सरकार ने शुल्क बढ़ाते समय ग्लोबल प्रोडक्शन में वृद्धि आदि पर विचार किया था.

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देश-विदेश

सोने-चांदी में आज हो गया भारी उलटफेर, कीमतें फ्रेश ऑलटाइम हाई पर

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सोने-चांदी की कीमत थमने का नाम नहीं ले रही। सोना लगातार छह दिनों से और महंगा होता जा रहा है। दोनों बहुमूल्य धातुओं ने बुधवार को फिर नए फ्रेश ऑलटाइम हाई पर पहुंच गए। फेस्टिवल और शादी-विवाद के मौसम को देखते हुए सोने की डिमांड भी तेज हो गई है। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में लगातार छठे सत्र में तेजी के साथ सोने और चांदी की कीमतों ने नए रिकॉर्ड स्तर को पार कर लिया। सोने की कीमत 500 रुपये बढ़कर 81,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई, जबकि चांदी 1,000 रुपये बढ़कर 1.02 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। पीटीआई की खबर के मुताबिक, पिछले छह कारोबारी सत्रों में चांदी की कीमतों में 10,000 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी आई है। 16 अक्टूबर से सोने में 2,850 रुपये प्रति 10 ग्राम की तेजी आई है।

99.9% और 99.5% शुद्धता वाले सोने की कीमत

बुधवार को 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमतें 500-500 रुपये बढ़कर क्रमश: 81,500 रुपये प्रति 10 ग्राम और 81,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गईं। चांदी की कीमत 1,000 रुपये बढ़कर 1.02 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जबकि मंगलवार को इसकी कीमत 1.01 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों को लेकर अनिश्चितता सोने की कीमतों को ऊंचा रखने में भूमिका निभा रही है।

मूल सीमा शुल्क में कटौती के बाद घटी थी कीमतें

एसकेआई कैपिटल के एमडी नरिंदर वाधवा के मुताबिक, भौतिक बाजार और एमसीएक्स पर चांदी की कीमतों का 1 लाख रुपये तक पहुंचना भारत में मौसमी मांग और पश्चिम एशिया संघर्ष से भू-राजनीतिक जोखिम जैसे कई कारकों का स्पष्ट प्रतिबिंब है। जुलाई में, सरकार द्वारा सोने और अन्य धातुओं पर मूल सीमा शुल्क में कटौती के बाद स्थानीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमतों में 7 प्रतिशत की तेज गिरावट आई। हालांकि, चल रहे त्योहारों, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं की मांग बढ़ने से सर्राफा की कीमतों में तेजी आई।

वायदा बाजार में सोने का भाव

एमसीएक्स पर वायदा कारोबार में दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के अनुबंध 112 रुपये या 0. 14 प्रतिशत बढ़कर 78,768 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गए। दिन के दौरान कीमती धातु 263 रुपये या 0. 33 प्रतिशत उछलकर 78,919 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। कॉमेक्स में बढ़त के कारण सोने की कीमतों में एक और सकारात्मक बदलाव देखने को मिला, जहां सोना 2,750 अमेरिकी डॉलर के करीब पहुंच गया। इससे एमसीएक्स पर सोने का भाव 78,750 रुपये से ऊपर बना रहा, जो अंतर्निहित तेजी की भावना को दर्शाता है।

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10 महीने में सोने ने बनाया 15,000 की कमाई का रिकॉर्ड, दिवाली मे कहां तक जाएगा गोल्ड..

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गोल्ड की कीमतें रॉकेट की रफ्तार की तरह भाग रही हैं. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने के दाम 78 हजार रुपए के लेवल को पार कर नए रिकॉर्ड लेवल पर पहुंए गए हैं. खास बात तो ये है कि वायदा बाजार में मौजूदा साल में गोल्ड ने निवेशकों को 10 ग्राम पर 15 हजार रुपए से ज्यादा की कमाई करा दी है. इसका मतलब है कि करीब 10 महीनों में निवेशकों को 10 ग्राम गोल्ड पर 24 फीसदी का रिटर्न मिल चुका है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर दिवाली के दिन गोल्ड 80 हजार रुपए के लेवल को पार करेगा. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में गोल्ड की कीमतों में और 2000 रुपए तक की तेजी देखने को मिलेगी.

वास्तव में गोल्ड की डिमांड में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. इसके प्रमुख कारण फेस्टिव सीजन के अलावा यूरोपीय सेंट्रल बैंक की ओर ब्याज दरों में कटौती और आने वाले समय में फेड की ओर से पॉलिसी रेट में कट की संभावना है. इन दो कारणों के अलावा जियो पॉलिटिकल टेंशन भी गोल्ड को काफी सपोर्ट कर रहा है. वहीं अमेरिकी प्रेसीडेंशियल इलेक्शन से पहले निवेशक गोल्ड को सेफ हैवन के तौर देख रहे हैं. जिसका असर गोल्ड की बढ़ती कीमतों के रूप में देखने को मिल रहा है. जानकारों का कहना है कि दिवाली तक देश के वायदा बाजार में गोल्ड के दाम 80 हजार रुपए तक जा सकते हैें. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर मौजूदा साल में गोल्ड की कीमतों ने कितनी कमाई कराई है और कैसे गोल्ड के दाम 80 हजार रुपए के लेवल पर पहुंच सकते हैं?

वायदा बाजार में गोल्ड के मौजूदा दाम

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर देर रात भले ही मुनाफावसूली देखने को मिली हो और 9 रुपए की मामूली गिरावट के साथ गोल्ड का कारोबार बंद हुआ. लेकिन सोमवार को सोने की कीमत 78,460 रुपए के साथ रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गए थे. वैसे सोना 78,077 रुपए पर ओपन हुआ था और कारोबारी सत्र के दौरान 77,868 रुपए के दिन के लोअर लेवल पर भी पहुंच गया. जब बाजार बंद हुआ तो गोल्ड की कीमत 78,030 रुपए देखने को मिल रही थी. जानकारों की मानें तो गोल्ड में निवेशकों ने बाद में मुनाफावसूली शुरू कर दी. जिसकी वजह से कीमतों पर दबाव देखने को मिला. आने वाले दिनों में गोल्ड की की कीमत में तेजी देखने को मिलेगी.

दिवाली तक होगा 2000 रुपए तक इजाफा

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या दिवाली तक गोल्ड की कीमत में 2000 रुपए प्रति दस ग्राम का इजाफा देखने को मिलेगा? जी हां, ये सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अगर ऐसा होता है तो गोल्ड की कीमतें 80 हजार रुपए के पार पहुंच जाएंगी. जिसके आसार काफी ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. आंकड़ों को देखें तो मौजूदा महीने में गोल्ड की कीमतों में 2,849 रुपए का इजाफा देखने को मिला है. वहीं बीते 10 दिन में गोल्ड के दाम में 3,163 रुपए की तेजी देखने को मिली है. अगर रफ्तार ऐसी ही रही हो गोल्ड की कीमतों को 80 हजार रुपए के लेवल पर जाने से कोई नहीं रोक सकता है.

क्यों आ रही है तेजी?

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटी करेंसी के हेड अनुज गुप्ता के अनुसार गोल्ड की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण फेस्टिव डिमांड तो है ही साथ में जियो पॉलिटिकल टेंशन भी बड़ा फैक्टर माना जा रहा है. इसके अलावा हाल ही में यूरोपियन सेंट्रल बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की है. जिसका असर भी गोल्ड की कीमतों में देखने को मिल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि यूएस प्रेसीडेंशियल इलेक्शन के दौरान इंवेस्टर भी गोल्ड को सेफ हैवन के तौर पर देख रहे हैं. ग्लोबली शेयर बाजार में गिरावट का माहौल देखा जा रहा है, जिसकी वजह से निवेशक इक्विटी को छोड़ गोल्ड में निवेश कर रहे हैं.

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