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*जबर्रा में कमार के घर रात बिताकर कलेक्टर ने जाना जीवन शैली, स्थानीय व्यंजनों का चखा स्वाद ,पर्यटन सुविधाएं विकसित करने ग्रामीणों के बीच समय बिताया, स्वीकृत निर्माण कार्य जल्द होंगे प्रारम्भ*

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ललित साहू संवाददाता धमतरी । नगरी विकासखण्ड में पर्यटन के दृष्टिकोण से तेजी से विकसित हो रहे ग्राम जबर्रा में कलेक्टर रजत बंसल ने मंगलवार को पूरी रात इस ग्राम में बिताकर ग्रामीण आजीविका और जीवन शैली को निकटता से अनुभव किया। उन्होंने लगभग 24 घण्टे ग्रामीणों के बीच समय बिताए। यहां निवासरत कमार जनजाति के युवक राजकुमार के घर पर उन्होंने न सिर्फ पूरी रात बिताई, बल्कि उनके घर भोजन भी किया तथा आदिवासी संस्कृति सहित ग्रामीण परिवेश को नजदीक से जाना व परखा। साथ ही जबर्रा क्षेत्र में स्वीकृत एवं निर्माणाधीन कार्यों का निरीक्षण कर समीक्षा कर मुआयना किया।
कलेक्टर श्री बंसल अचानक ग्राम जबर्रा में पहुंचे, जहां पर उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना। इसी बीच कलेक्टर ने जबर्रा में ही रात्रि विश्राम की मंशा जाहिर की। यह सुन ग्रामीणों ने आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता जाहिर की। कलेक्टर ने कमार युवक रामकुमार के घर पर रात्रि विश्राम (होम स्टे) किया तथा कड़कड़ाती ठंड में अंगीठी के अलाव का आनंद लिया। इसके बाद उन्होंने उक्त कमार युवक के घर रात्रि का भोजन जमीन पर बैठकर किया, जिसमें चावल, उड़द की दाल, तिवरा की भाजी, जिमी कांदा और रखिया बड़ी का छत्तीसगढ़िया स्वाद पहली बार चखा। इस दौरान देर रात तक कलेक्टर ग्रामीणों के बीच घिरे रहे। उन्होंने ग्रामीणों से उनकी प्रमुख मांगें पूछी, जिस पर ग्रामीणों ने जबर्रा से चारगांव मार्ग और जबर्रा से मारागांव पहुंच मार्ग विकसित करने की बात कही। इस पर कलेक्टर ने बताया कि ग्रामीणों के आवागमन की सुविधा को दृष्टिगत करते हुए उक्त मार्गों के निर्माण की स्वीकृति शासन से मिल चुकी है, जल्द ही उक्त मार्गों पर निर्माण कार्य प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रारम्भ किया जाएगा।
इस दौरान उन्होंने बताया कि जल्द ही जबर्रा पर्यटन का गठन किया जाएगा, जिसमें सैलानियों के ठहरने, भोजन और विभिन्न पर्यटन संबंधी गतिविधियों की दर निर्धारित की जाएगी। इसके अलावा आय-व्यय की जानकारी का पंजी संधारण किया जाएगा। साथ ही आगामी 15 फरवरी को ग्रामसभा आयोजित की जाएगी, जिसमें इससे संबंधित निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने बातों-बातों में ग्रामीण परिवेश, रहन-सहन, जीवन शैली तथा संस्कृति को काफी नजदीक से जाना। इसके पीछे वजह यह रही कि ईको-टुरिज्म के तौर पर तैयार हो रहे सघन वनों के बीच बसे ग्राम जबर्रा और वहां के स्थानीय रहवासियों की जरूरतें, ग्राम स्तर पर ही मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने, आजीविका के अवसर तलाश कर ग्रामीणों को स्वावलम्बी बनाने लगातार देश-विदेश से आ रहे सैलानियों को उनकी इच्छा के अनुकूल सुविधाएं स्थापित करने तथा सहित पर्यटन के अनुकूल प्राकृतिक रूप से माहौल तैयार किया जा सके। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के दुगली प्रवास के दौरान ग्राम जबर्रा में ईको-टुरिज्म स्थापित करने की घोषणा की गई थी, जिसे अमलीजामा पहनाते हुए कलेक्टर ने नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी प्रोजेक्ट के अंतर्गत विभिन्न निर्माण कार्यों को मंजूरी दी है।
ग्रामीणों ने बताया कि जबर्रा में अब तक एक हजार से अधिक देश-विदेश के सैलानी प्रवास कर चुके हैं। कलेक्टर ने कहा कि जबर्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं तथा इसे और अधिक बढ़ावा देने युद्ध स्तर पर कवायद की जा रही है। इसके बाद कलेक्टर ने आज सुबह कमार परिवार के साथ नाश्ते में स्थानीय व्यंजन ’पानभात’ का स्वाद चखा। तदुपरांत आज दोपहर दुगली में शहद प्रसंस्करण इकाई का मुआयना किया तथा इसके उपरांत मगरलोड विकासखण्ड के ग्राम सोनझरी और भण्डारवाडी के बीच स्थित झाबीपथरा नाला में कैम्पा मद से किए जा रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उनके साथ डीएफओ अमिताभ बाजपेयी, जिला पंचायत की सी.ई.ओ. श्रीमती नम्रता गांधी, निगम आयुक्त आशीष टिकरिहा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता आर.के. गर्ग, कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा जे.एल. ध्रुव, जिला पंचायत के ए.पी.ओ. धरम सिंह भी मौजूद थे।
इस दौरान बताया गया कि ग्राम जबर्रा में पर्यटन बोर्ड की ओर से स्ट्रीट लाईट लगाई जाएंगी, जिसके लिए 14 लाख रूपए की स्वीकृति मिल चुकी है। इसी तरह जबर्रा में गौठान निर्माण के लिए जिला पंचायत द्वारा पांच लाख रूपए की स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा नरवा प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न तटबंध, स्टाॅपडेम एवं पहुंचमार्ग के लिए वन विभाग के कैम्पा मद से 50 लाख रूपए की स्वीकृति शासन से प्राप्त हो चुकी है। ग्राम के जंगलों में औषधीय पौधों के प्लांटेशन के लिए 10 लाख रूपए मनरेगा मद से मंजूर किए गए हैं। इसी तरह होम स्टे के उपकरण के लिए पर्यटन बोर्ड द्वारा तीन लाख रूपए की भी स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अलावा विभिन्न विभागों के द्वारा ग्रामीणों की आजीविका हेतु कृषि विभाग द्वारा रागी एवं मक्का बीज वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही उद्यानिकी एवं मछलीपालन विभाग द्वारा विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन ग्राम जबर्रा में किया जा रहा है। इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय मरम्मत एवं निर्माण के लिए चार लाख रूपए की राशि स्वीकृत की गई है।

ललित साहू संवाददाता धमतरी

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पीएम जनमन योजना के तहत कमार जनजाति के लोग हुए शासन की योजनाओं से लाभान्वित

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 बलौदाबाजार , 10 नवम्बर 2024 : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में राज्य में प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इसी कड़ी में बलौदाबाजार जिले के ग्राम बल्दाकछार एवं अवरई में रहने वाले विशेष पिछडी जनजाति कमार के शतप्रतिशत लोगों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत शासन की योजनाओं से लाभान्वित किया गया है। योजना के तहत अब तक 11 योजनाओं में शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। बल्दाकच्छार में 39 और अवरई में 11 विशेष पिछडी जनजाति कमार परिवार रहते हैं जिनकी  कुल जनसंख्या लगभग 193 है।अब दोनों ही गांव के कमार जनजाति के सभी लोगों का आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड व जाति प्रणाम पत्र बन गया है । महिलाओं के जनधन बैंक खाते खुल गए हैं। पात्रतानुसार किसान क्रेडिट कार्ड, राशन कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि एवं पीएम मातृत्व वंदन योजना का लाभ मिला है। सभी की सिकल सेल जांच एवं सभी घरों में विद्युतीकरण  हो गया है। इसके साथ ही 2 मोबाइल मेडिकल यूनिट की भी सुविधा विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को प्रदान की गयी है।

15 नवम्बर 2023 से शुरू हुए प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत विशेष पिछडी जनजाति कमार बाहुल्य ग्राम बल्दाकछार और अवरई में संतृप्तिकरण अभियान शुरू किया गया। इसमें योजना से छूटे हुए लोगों का चिन्हांकन उपरांत उन्हें लाभान्वित करने पर जोर दिया गया और एक वर्ष के अन्दर ही 11 योजनाओं से शतप्रतिशत लोगों को लाभान्वित किया गया।

गौरतलब है कि पीएम जनमन योजना का मूल उद्देश्य कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी), परिवारों और बस्तियों तक बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं को पहुंचाकर उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थितियों में सुधार करना है। पीएम जनमन योजना अंतर्गत कमजोर जनजाति समूहों के बसाहटों में विभिन्न विभागों के समन्वय से पेयजल, आवास, सड़क, आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषण, आजीविका संवर्धन हेतु कौशल विकास जैसे महत्वपूर्ण गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

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छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में वरदान साबित हो रहे हैं आयुष्मान आरोग्य मंदिर

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  • आयुष्मान आरोग्य मंदिर में 12 सेवाओं का आयुष पद्धति के माध्यम से हो रहा है क्रियान्वयन
  • छत्तीसगढ़ में कुल 400 आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित
  • आयुष्मान आरोग्य मंदिर में सालाना लगभग सवा करोड़ मरीजों की ओपीडी

 

रायपुर, 10 अक्टूबर 2024  : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार बेहद संवेदनशील है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए स्वास्थ्य बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ्य सेवाओं को सजग रूप से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। राज्य स्तर पर डीकेएस और मेकाहारा जैसे अस्पताल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हो रहे हैं तो वहीं संभाग स्तर पर सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का कार्य निरंतर जारी है। इसी तरह से जिले और ब्लाक स्तर पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर राज्य के लोगों की सेहत का विशेष ध्यान रख रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में कुल 400 आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। ये आयुष्मान आरोग्य मंदिर आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों की सामान्य जानकारी एवं रोगों के घरेलू उपचार तथा औषधियों की जानकारी प्रदान करने में बेहद मददगार साबित हो रहे हैं । इसके अंतर्गत संपूर्ण 12 सेवाओं का आयुष पद्धति के माध्यम से क्रियान्वयन किया जा रहा है जिससे मरीजो को लगातार लाभ मिल रहा है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर में योग प्रशिक्षकों के माध्यम से जनसामान्य को दैनिक योगाभ्यास हेतु प्रेरणा एवं प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है ताकि मरीज शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ रहें।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) द्वारा निरंतर मरीजों का इलाज किया जा रहा है एवं उनकी देखभाल की जा रही है। राज्य सरकार की इस पहल से लोगों को लगातार लाभ भी मिल रहा है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर में सालाना 1 करोड़ 38 लाख ओपीडी और मासिक 3 लाख एनसीडी मरीजों का इलाज हो रहा है जो अपनी सफलता की कहानी स्वयं बयां करता है।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर में प्रदान की जाने वाली मुख्य 12 स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान देखभाल, नवजात एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, परिवार नियोजन गर्भनिरोधक सेवाएं और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम सहित संचारी रोगों का प्रबंधन, सामान्य संचारी रोगों का प्रबंधन तथा तीव्र साधारण बीमारियों और छोटी बीमारियों के लिए बाह्य रोगी देखभाल शामिल हैं। इसी तरह से गैर संचारी रोगों की जांच, रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन, सामान्य नेत्र और ईएनटी समस्याओं की देखभाल, बुनियादी मौखिक स्वास्थ्य देखभाल, वृद्धजन एवं उपशामक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं तथा  मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों की जांच और बुनियादी प्रबंधन जैसी सेवाएं भी शामिल हैं।

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बागबाहरा जंगल से रेस्क्यू कर सफेद पूंछ वाले बीमार गिद्ध की बचाई जान

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रायपुर, 10 नवम्बर 2024 : राजधानी रायपुर के समीप स्थित नंदनवन जंगल सफारी के वन अधिकारियों एवं चिकित्सकों की टीम ने विलुप्त प्रजाति के सफेद पूंछ वाले बीमार गिद्ध का रेस्क्यू कर उसकी जान बचाने में सफल रही है। यह बीमार गिद्ध लगभग 500 किलोमीटर की उड़ान भरता हुआ बीते दिनों छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद वनक्षेत्र के बागबाहरा पहुंचा था। इस बीमार गिद्ध के रेस्क्यू के बाद नंदनवन जंगल सफारी के वन्य चिकित्सकों एवं वन अधिकारियों ने बड़ी सावधानी के साथ इस गिद्ध का रेस्क्यू कर  इलाज किया। इसके स्वास्थ्य पर सतत निगरानी रखी, जिसके चलते कुछ ही दिनों में यह गिद्ध स्वस्थ एवं सामान्य स्थिति में आ गया। जंगल सफारी की टीम ने इस गिद्ध को फिर से उड़ान भरने के लिए छोड़ दिया है।

नंदनवन जंगल सफारी के अधिकारियों द्वारा बीमार गिद्ध के बचाव कार्य की मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने सराहना की है। उन्होंने गिद्ध के रेस्क्यू ऑपरेशन और इलाज में लगी अधिकारियों की टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विलुप्त होती गिद्ध की इस प्रजाति का छत्तीसगढ़ के अधिकारियों द्वारा बचाव के लिए किए गए प्रयासों की जितनी सराहना की जाए कम है।

गौरतलब है कि सफेद पूंछ वाला गिद्ध (वाईट रुम्पड वल्चर) एक संकट ग्रस्त प्रजाति है। वर्तमान में इस प्रजाति की संख्या देश में 13 हजार से भी कम रह गई है। यह गिद्ध बड़े पेड़ों पर घोंसला बनाते हैं और साल भर में केवल एक ही अंडा देते हैं, जिससे इनकी संख्या बढ़ने की गति धीमी होती है। ये गिद्ध केवल उन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां जैव विविधता समृद्ध होती है और प्रदूषण या औद्योगीकीकरण का प्रभाव कम होता है। गिद्ध के इस प्रजाति के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

इसी कड़ी में भारत में वाईट रुम्पड वल्चर की निगरानी और संरक्षण के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व ने एक विशेष पहल करते हुए 10 सफेद पूंछ वाले एक गिद्धों को एक साथ जियो-ट्रैकिंग उपकरण के साथ जंगल में छोड़ा गया था, जिसमें से एक गिद्ध महाराष्ट्र राज्य में उड़ान भरते हुए छत्तीसगढ़ के इन्द्रावती टाईगर रिजर्व होते हुए कांकेर जिले से महासमुंद वन क्षेत्र बागबाहरा में पहुंच गया था। नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व का गिद्धों को छोड़ने उद्देश्य उनके प्रवास मार्गों का अध्ययन करने के साथ-साथ उनको प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रख उनका संरक्षण और संवर्धन करना था। उन 10 गिद्धों में से एक गिद्ध 20 दिनों में लगभग 500 किलोमीटर की उड़ान भरने के बाद महासमुंद वन क्षेत्र में आ गया था। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) की निगरानी टीम ने जियो-ट्रैकिंग उपकरण की मदद से जाना कि यह गिद्ध बागबाहरा जंगल मे एक ही स्थान पर लंबे समय तक रुका हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने नंदनवन जंगल सफारी रायपुर के अधिकारियों से सम्पर्क किया और पूरी स्थिति की जानकारी दी।

नंदनवन जंगल सफारी के वन्यजीव डॉक्टरों और वन अधिकारियों की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बागबाहरा क्षेत्र से गिद्ध का सुरक्षित रेस्क्यू किया और 26 अगस्त को उसे नंदनवन जंगल सफारी ले आए। यहां चिकित्सकों की देखरेख में गिद्ध को उचित उपचार और पोषण दिया गया, जिससे वह स्वस्थ होने लगा। कुछ दिनों में ही गिद्ध पूरी तरह से स्वस्थ हो गया और उसकी सक्रियता लौट आई।

नंदनवन जंगल सफारी के संचालक श्री धम्मशील गणवीर ने बताया कि नंदनवन जंगल सफारी से वन्य जीव चिकित्सकों के सलाह के आधार पर 26 सितंबर 2024 को गिद्ध को फिर से उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया, जिसके बाद यह गिद्ध यहाँ से 1100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए गुजरात राज्य के सूरत इलाके में पहुंच गया है। इस गिद्ध की  लोकेशन की ट्रेकिंग बीएनएचएस द्वारा की जा रही है।

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