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पॉम ऑयल हुआ 37 फीसदी महंगा, सरसों और सोयाबीन तेल

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खाद्य तेल की कीमतों में जोरदार उछाल आया है. पाम ऑयल की कीमतों में बीते एक महीने में ही 37% तक की बढ़ोतरी हुई है. सरसों और सोयाबीन तेल के दाम भी 25 फीसदी से ज्‍यादा बढ़ गए हैं. इससे न सिर्फ आम जनता के घरेलू बजट पर असर पड़ा है, बल्कि रेस्टोरेंट्स, होटलों और मिठाई की दुकानों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है, जो स्नैक्स और अन्य व्यंजन तैयार करने के लिए इन तेलों का इस्तेमाल करते हैं. खाद्य तेलों की कीमतों में यह उछाल सरकार द्वारा सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी के कच्चे तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के कारण हुआ है. पाम ऑयल की कीमत सितंबर में 100 रुपये प्रति लीटर थी जो अक्‍टूबर में बढ कर 137 रुपये प्रति लीटर हो गई. सरसों का तेल भी 140 रुपये से बढकर 181 रुपये हो गया है. इसी तरह सोयाबीन तेल और सूरजमुखी का तेल भी 120 रुपये प्रति लीटर से बढकर 148 रुपये प्रति लीटर हो गया है.

सितंबर में सरकार ने इन तेलों पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़ाकर 27.5% कर दिया और रिफाइंड तेलों पर यह शुल्क 13.7% से बढ़ाकर 35.7% कर दिया, जो 14 सितंबर से प्रभावी है. ये खाद्य तेल भारत के आयातित तेलों के मुख्य घटक हैं और इनके दाम बढ़ने से आम उपभोक्ताओं पर असर पड़ना स्वाभाविक है. सरसों के तेल की कीमत में भी पिछले महीने 29% की वृद्धि हुई है. इस उछाल के चलते सितंबर में खुदरा महंगाई दर 5.5% पर पहुंच गई, जो नौ महीनों का उच्चतम स्तर है. सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने इस महंगाई को और बढ़ावा दिया है.
अंतरराष्‍ट्रीय मार्केट में भी बढ़ गया दाम
पिछले एक महीने में वैश्विक स्तर पर कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतों में क्रमशः 10.6%, 16.8% और 12.3% की वृद्धि हुई है. भारत अपनी खाद्य तेल की लगभग 58% जरूरतों को आयात के जरिए पूरा करता है और यह तेल का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और सबसे बड़ा आयातक देश है.

अभी राहत की नहीं उम्‍मीद
सूत्रों का कहना है कि उपभोक्ताओं को अगले कुछ महीनों तक इन बढ़ी हुई कीमतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि सरकार द्वारा आयात शुल्क में कमी की संभावना फिलहाल कम है. एसईए के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने बताया कि अगर भारत को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनना है, तो किसानों को अधिक तेल बीज की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा. उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा जब किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे और हम लंबे समय तक तेल का अत्यधिक आयात नहीं करेंगे.