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बिल्‍डर नहीं डकार पाएंगे लोगों का पैसा, फ्लैट की पहली पेमेंट देते ही दर्ज हो जाएगा खरीदार का नाम

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नोएडा अथॉरिटी बोर्ड ने शनिवार को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए शहर में रियल एस्टेट लेनदेन के तरीके में बड़ा बदलाव किया है. अब से सभी नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में बिल्डर और होमबायर्स के बीच त्रिपक्षीय ‘बिक्री समझौता’ करना अनिवार्य होगा. इस समझौते के तहत पहली पेमेंट के समय ही नोएडा अथॉरिटी को यह जानकारी मिल जाएगी कि फ्लैट किसके नाम बेचा गया है, जबकि अब तक यह जानकारी प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ही मिलती थी.

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक के बाद सीईओ लोकेश एम ने इस फैसले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह कदम लेनदेन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ नोएडा के रियल एस्टेट क्षेत्र में होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगा. इससे होमबायर्स के हित सुरक्षित रहेंगे, सरकार के स्टांप ड्यूटी राजस्व में इजाफा होगा और प्रोजेक्ट के विकास की बेहतर निगरानी हो सकेगी.

क्या है त्रिपक्षीय ‘बिक्री समझौता’?
त्रिपक्षीय ‘बिक्री समझौता’ मुख्यतः रजिस्ट्री से पहले का एक समझौता है, जो रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (RERA) की धारा 13 के अंतर्गत आता है. इसके अनुसार, कोई भी प्रमोटर बिना लिखित समझौते के संपत्ति की कुल कीमत का 10% से अधिक राशि बतौर एडवांस नहीं ले सकता. इस समझौते के तहत होमबायर्स द्वारा संपत्ति की कुल कीमत का 10% भुगतान करने पर रजिस्ट्री विभाग में बिल्डर, खरीदार और नोएडा अथॉरिटी के बीच त्रिपक्षीय समझौता निष्पादित होगा. इस प्रक्रिया के दौरान 2% स्टांप ड्यूटी तुरंत देय होगी, जबकि शेष स्टांप ड्यूटी कब्जा और अंतिम रजिस्ट्री के समय अदा करनी होगी.

कैसे सुरक्षित होंगे होमबायर्स के हित?
सरकारी प्रमाणित इस त्रिपक्षीय समझौते से खरीदारों को पहले भुगतान के समय ही प्रॉपर्टी के वास्तविक मालिक होने का पुख्ता सबूत मिलेगा, जिससे उनका नाम स्टांप और रजिस्ट्री विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगा. इससे बिल्डरों द्वारा एक ही यूनिट को कई खरीदारों को पुनः बेचने या भुगतान में देरी होने पर मनमाने तरीके से बिक्री रद्द करने जैसी समस्याओं से बचाव होगा.

पहले भी हुई हैं धोखाधड़ी की घटनाएं
रियल एस्टेट क्षेत्र में पहले ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां बिल्डरों ने एक ही फ्लैट को कई खरीदारों को बेच दिया और कब्जे के समय ही धोखाधड़ी का पता चला. वहीं, इस प्रकार का लेनदेन दूसरी ओर से भी हो सकता है, जहां खरीदार बिना स्टांप ड्यूटी का भुगतान किए संपत्ति को पुनः बेच सकते हैं. लेकिन त्रिपक्षीय समझौता होने के बाद ऐसा करना संभव नहीं होगा.