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क्या करेगा भारत का पड़ोसी देश, हमने तो घुसकर मारा था, पर चीन तो परमानेंट फोर्स घुसाने का बना लिया प्लान

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पड़ोसी देश पाकिस्‍तान में भारतीय सेना की कार्रवाई तो याद ही होगी. सेना ने पराक्रम दिखाते हुए आतंक का जवाब पाकिस्‍तान में घुसकर सर्जिकल स्‍ट्राइक के जरिए एक नहीं बल्कि दो बार दिया था . अब चीन भारत से एक कदम और आगे बढ़ने की तैयारी में नजर आ रहा है. पाकिस्‍तान की धरती पर मौजूद चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले हो रहे हैं. पाकिस्‍तान की सरकार और सेना चीन के नागरिकों को सुरक्षा उपलब्‍ध कराने में अबतक पूरी तरह से फेल नजर आई हैं. ऐसे में चीन अपने जिगरी दोस्त पाकिस्‍तान में खुद अपनी सुरक्षाकर्मी तैनात करने की तैयारी कर रहा है.

पाकिस्‍तान में शी जिनपिंग सरकार का बड़ा निवेश है. चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC से लेकर अन्‍य विकास कार्य शाहबाज शरीफ के देश में कर रहा है. पाकिस्‍तान के आतंकियों को चीन की बढ़ती मौजूदगी पसंद नहीं आ रही है. ऐसे में लगातार चीनियों को पाकिस्‍तान में निशाना बनाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक कराची में कार बम विस्फोट के बाद बीजिंग पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है कि वह हजारों चीनी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अपने खुद के सुरक्षा कर्मचारियों को तैनात करने की अनुमति दे.

पाकिस्‍तान नहीं है तैयार!
पिछले महीने कराची हवाई अड्डे पर बम विस्फोट हुआ था, जिसमें दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी. चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों और उन्हें रोकने में इस्लामाबाद की नाकामी से शी जिनपिंग नाराज हैं. हाल ही में पाकिस्‍तानी अधिकारियों के साथ बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि वे अपनी सुरक्षा खुद लाना चाहते हैं. हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक इस तरह के प्रस्‍ताव पर सहमति नहीं जताई है. बीजिंग द्वारा इस्लामाबाद को इस संबंध में एक लिखित प्रस्ताव दिया गया है. एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियां ​​इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं. न तो बीजिंग और न ही इस्लामाबाद ने आधिकारिक तौर पर इस बातचीत की पुष्टि की.

शाहबाज को माननी ही होगी ड्रैगन की बात!
सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि एक ज्‍वाइंट सिक्‍योरिटी मैनेजमेंट सिस्‍टम बनाने करने पर आम सहमति थी. हालांकि ग्राउंड लेवल पर सुरक्षा के संबंध में कोई समझौता नहीं हुआ है. पाकिस्‍तान पर चीन का काफी कर्ज है. ऊपर से देश में हो रहे विकासकार्यों को देखते हुए शाहबाज शरीफ सरकार ज्‍यादा वक्‍त तक चीन के प्रस्‍ताव को होल्‍ड करने की स्थिति में नहीं है. उसे आज नहीं तो कल चीन की बात माननी ही होगी.