नई दिल्ली : उत्तरपूर्वी रोमानिया में एक बुजुर्ग महिला ने 3.5 किलोग्राम वजनी लाल रंग के पत्थर को अपने दरवाजे का स्टॉपर बना रखा था. ये पत्थर उन्हें किसी नदी के किनारे मिला था. वो उसे घर उठा लाई थीं. बरसों से यह पत्थर उनके किसी दरवाजे का स्टॉपर था. लेकिन कहावत है न किसी का कचरा किसी और के लिए खजाना हो सकता है.
ये पत्थर दशकों से जो दरवाजे को खोल कर रखता था, असल में उसकी वैल्यू 8.49 करोड़ रुपए से ज्यादा है. क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा अंबर है. जिसे रूमानाइट भी कहते हैं. अंबर असल में पेड़ से निकलने वाले रेसिन से बनता है, जिसे बनने में लाखों-करोड़ों साल लग जाते हैं. धीरे-धीरे ये कठोर होता जाता है.
महिला के गांव में ऐसे पत्थरों की खदान
एक समय के बाद यह जीवाश्म में बदल जाता है. जिसे आमतौर पर लोग जेमस्टोन समझने लगते हैं. रोमानिया में ज्यादातर अंबर कोल्टी गांव के बुजाऊ नदी के आसपास मिलते हैं. ऐसे पत्थरों को खोज में यहां 1920 में खदान शुरू की गई थी. ये बुजुर्ग महिला भी कोल्टी गांव में ही रहती हैं. एक बार उनके घर में चोरी भी हुई थी. लेकिन चोर इस पत्थर को नहीं ले गए. क्योंकि ये दरवाजे के किनारे पड़ा था.
वारिस ने बेंच दिया था पत्थर को
1991 में बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी. उसके बाद उनकी संपत्ति के वारिस को लगा कि अब इस पत्थर की जरूरत नहीं है. थोड़ी जांच-पड़ताल करने पर इस पत्थर की कीमत पता चली. तब वारिस ने इस पत्थर को रोमानियन स्टेट को बेंच दी.
7 करोड़ साल पुराना है ये पत्थर
एक्सपर्ट बताते हैं कि ये पत्थर 3.8 करोड़ से 7 करोड़ साल पुराना है. प्रोविंशियल म्यूजियम ऑफ बुजाऊ के डायरेक्टर डैनियल कोस्टाचे कहते हैं कि ये खोज वैज्ञानिक और पुरातात्विक, दोनों ही आधार पर अद्भुत है. अब ये पत्थर रोमानिया के नेशनल ट्रेजर है. इसे 2022 से प्रोविशिंयल म्यूजियम ऑफ बुजाऊ में रखा गया है.