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बिना डिग्री वकील बनकर पहुंचा NEET का छात्र, हाईकोर्ट में लड़ा ऐसा केस, तारीफ करते नहीं थके जज

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जबलपुर के 19 वर्षीय अथर्व चतुर्वेदी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अपनी याचिका के जरिए एक ऐतिहासिक निर्णय हासिल किया, जिससे अब प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित सीटें सुनिश्चित होंगी. अथर्व ने न केवल यह याचिका दायर की बल्कि खुद इस केस की पैरवी भी की. उनकी दलीलें सुनकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक कुमार जैन की खंडपीठ ने उनकी तारीफ की. कहा कि तुम गलत फील्ड में जा रहे हो तुम्हें वकील बनना चाहिए.

अथर्व, जो कि एक वकील के बेटे हैं, उन्होंने 12वीं की पढ़ाई के बाद नीट में 530 अंक प्राप्त किए थे. उन्हें विश्वास था कि इतने अंकों के साथ वे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में ईडब्ल्यूएस कोटे से प्रवेश पा लेंगे. हालांकि, काउंसलिंग के आखिरी दौर तक भी उन्हें कोई सीट नहीं मिली. जब उन्होंने जांच की तो पाया कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू ही नहीं था. जबकि, अन्य आरक्षित वर्गों (SC, ST, विकलांग) के लिए सीटें आरक्षित थीं. अथर्व ने इसे अपने पिता मनोज चतुर्वेदी से साझा किया और अदालत में याचिका दायर करने का निर्णय लिया. पहली सुनवाई में उनके पिता ने पैरवी की, लेकिन कुछ तकनीकी गलतियों के कारण अथर्व ने खुद अदालत में अपने पक्ष को रखने का निर्णय लिया.

कैसे की केस की तैयारी

अथर्व ने संविधान और कानून की धाराओं का गहराई से अध्ययन किया. उन्होंने इस केस के संदर्भ में संबंधित न्यायिक फैसले और गजट नोटिफिकेशन पढ़े. कोविड के दौरान अपने पिता को ऑनलाइन सुनवाई करते हुए देखना भी उनके लिए प्रेरणादायक रहा. अथर्व बताते हैं कि यह अनुभव कोर्ट रूम में जजों के सामने अपनी दलीलें रखने से बिल्कुल अलग था. उन्होंने अपनी दलीलों में बताया कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू न होने के कारण आरक्षण का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया. कोर्ट में जजों ने उनकी दलीलों को ध्यानपूर्वक सुना और तमाम सवाल पूछे. अथर्व ने इन सवालों का स्पष्टता और आत्मविश्वास से जवाब दिया.

हाईकोर्ट का फैसला

17 दिसंबर 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अगले शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के लिए सीटों की संख्या बढ़ाई जाए. अदालत ने अथर्व की कानूनी तर्कशक्ति की सराहना की.

सफलता के बावजूद अधूरा संतोष

अथर्व इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. उनका तर्क था कि काउंसलिंग में सीटों का वितरण गलत हुआ, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने माना कि अथर्व को 2 जुलाई 2024 को प्रकाशित गजट नोटिफिकेशन की जानकारी होनी चाहिए थी. अथर्व का कहना है कि उन्होंने नीट की तैयारी 2023 में शुरू की थी और गजट नोटिफिकेशन 2024 में जारी हुआ था. उन्होंने बताया कि एक नीट अभ्यर्थी राज्य के गजट नोटिफिकेशन पर ध्यान नहीं देता.

आगे की तैयारी

हालांकि, अथर्व को इस मामले में व्यक्तिगत लाभ नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने एक बड़ा सामाजिक बदलाव लाने में सफलता हासिल की. अब वह सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की योजना बना रहे हैं. अथर्व का यह साहसिक कदम युवाओं के लिए प्रेरणा है. उन्होंने दिखा दिया कि दृढ़ता और आत्मविश्वास से कोई भी बड़ी लड़ाई लड़ी जा सकती है. अपने साहस और प्रतिबद्धता के बल पर अथर्व ने यह साबित किया कि सही रास्ते पर चलने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है.

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