राधेश्याम सोनवानी ,गरियाबंद : शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और समावेशिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय “समावेशी शिक्षा: हर बच्चे का अधिकार” रहा, जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों के शिक्षकों ने भाग लिया और अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। इस सेमिनार का उद्देश्य समावेशी शिक्षा की अवधारणा को प्रोत्साहित करना, दिव्यांग बच्चों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना, और शिक्षा प्रणाली में विविधता को समाहित करते हुए सभी छात्रों को बेहतर और समग्र शिक्षा प्रदान करना है। कार्यक्रम में समावेशी शिक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई जिसमें दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा में समान अवसर, शिक्षकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता, सहायक तकनीक का उपयोग, और दिव्यांग छात्रों के लिए खेलकूद और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियाँ शामिल हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षिका के. शारदा, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा, दुर्ग द्वारा की गई जिसमें उन्होंने बताया कि समावेशी शिक्षा का उद्देश्य सभी प्रकार की बाधाओं को दूर कर एक समान और सुलभ शिक्षा प्रदान करना है। जिला गरियाबंद से समावेशी शिक्षा के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के योगदान पर व्याख्याता समीक्षा गायकवाड़ सेजेस राजिम द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए प्रौद्योगिकी की आवश्यकता, सहायक तकनीकों और विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिया गया। जिले के शासकीय प्राथमिक विद्यालय शुक्लाभाठा, मैनपुर से संतोष कुमार तारक द्वारा समावेशी शिक्षा में परिवार और समुदाय की सहयोगी भूमिका, मार्गदर्शन और महत्व पर वक्तव्य दिया गया।
सेमिनार के मुख्य विषय और वक्ता रहे – दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा में समान अवसर : ममता सिंह, शासकीय प्राथमिक शाला, कुम्हाररास, जिला सुकमा। विभिन्न प्रकार की दिव्यांगताओं के अनुसार शिक्षण रणनीतियाँ : ज्योति बनाफर, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, बेमेतरा। समावेशी कक्षा में सहायक तकनीक का उपयोग – नंदा देशमुख, शासकीय प्राथमिक शाला जिला दुर्ग,शिक्षकों का प्रशिक्षण : समावेशी शिक्षा के लिए आवश्यक कौशल : रश्मि वर्मा, स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालय रायगढ़, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और समावेशी शिक्षा : प्रीति शांडिल्य जिला धमतरी, दिव्यांग बच्चों के लिए परीक्षा में छूट और विशेष प्रावधान : रिंकल बग्गा, महासमुंद, दिव्यांग छात्रों के लिए खेलकूद और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियाँ : अमरदीप भोगल, शासकीय प्राथमिक शाला जिला बिलासपुर, मल्टी-ग्रेड कक्षाओं में समावेशी शिक्षा का कार्यान्वयन : श्वेता तिवारी जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही , समावेशी शिक्षा के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे में सुधार : शिवकुमार बंजारे,कबीरधाम, दिव्यांगता प्रमाण पत्र और लाभ: छात्रों के लिए मार्गदर्शन : पुष्पेंद्र कुमार कश्यप, शक्ति, दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ब्रेल और अन्य उपकरणों का उपयोग : चंचला चंद्रा, जिला शक्ति, श्रवण बाधित छात्रों के लिए सांकेतिक भाषा का महत्व : महेंद्र कुमार चंद्रा,जिला शक्ति, मनोवैज्ञानिक समर्थन: समावेशी कक्षाओं में मानसिक स्वास्थ्य : डोलामणी साहू, महासमुंद, समावेशी शिक्षा में मूल्यांकन और प्रगति का आकलन : ब्रजेश्वरी रावटे, नारायणपुर, ऑटिज्म और ADHD वाले बच्चों के लिए शिक्षण रणनीतियाँ – डॉ. गोपा शर्मा, रायपुर, समावेशी शिक्षा के माध्यम से समाज में समानता और समरसता : डॉ. कृष्णपाल राणा, जिला उत्तर बस्तर कांकेर, स्पेशल एजुकेटर की भूमिका और आवश्यकता : मधु तिवारी, कोंडागांव, दिव्यांग बच्चों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास : यशवंत कुमार पटेल, दुर्ग, समावेशी शिक्षा और लैंगिक समानता : लक्ष्मण बांधेकर, कबीरधाम, ADIP योजना: दिव्यांग उपकरणों की उपलब्धता और उपयोग : शुभम तिवारी, रायपुर, दिव्यांग बच्चों के लिए सामाजिक और भावनात्मक कौशल का निर्माण : पूनम उर्मलिया, भिलाई जिला दुर्ग, दिव्यांग बच्चों के लिए कला और संगीत चिकित्सा का उपयोकग : धर्मानंद गोजे, जिला सूरजपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशी शिक्षा की चुनौतियाँ और समाधान पर विचार भी साझा किए गए। कार्यक्रम के अंत मे अनामिका चक्रवर्ती व्यख्यता शासकीय उछतर माध्यमिक शाला रामपुर के द्वारा सेमिनार के विभिन्न विचारों को सारांश में रेखांकित करते हुए सिकलिंग दिव्यांगता की जानकारी दी गई।