महाकुंभ, विश्व का सबसे बड़ा मेला, जल्द ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू होने जा रहा है. इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं. इस दौरान अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है, जिसमें पहले साधु-संत और फिर आम जन डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है.
अमृत स्नान 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी बताते हैं कि महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन होगा. पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 07:35 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी को शाम 06:05 बजे समाप्त होगी. इसलिए, मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी. इस दिन अमृत स्नान के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं:
अमृत स्नान के नियम: अमृत स्नान के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा मनचाहे फल की प्राप्ति नहीं होती है:
साफ-सफाई: स्नान करते समय साबुन और शैम्पू का प्रयोग नहीं करना चाहिए. पवित्र नदी में केवल प्राकृतिक रूप से स्नान करना चाहिए.
दान: महाकुंभ के दौरान अन्न, धन और वस्त्र जैसी वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
दीप दान: अमृत स्नान के दौरान दीप दान का भी विशेष महत्व है. ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में प्रकाश आता है.
आस्था और भक्ति: स्नान करते समय पूर्ण श्रद्धा और भक्ति का भाव रखना चाहिए. मन को शांत और पवित्र रखना चाहिए.
पवित्रता: स्नान के बाद भी शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखना जरूरी है.