Mahakumbh 2025: नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि इन दिनों काफी चर्चा में हैं. प्रयागराज महाकुंभ में हजारों नागा संन्यासी हैं लेकिन निरंजनी अखाड़े के दिगंबर कृष्ण गिरि सबसे अलग हैं. वे अखाड़े के बाहर एक छोटे से तंबू में रहते हैं और साधना करते हैं. लेकिन जब वे बोलते हैं खासकर जब वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं तो लोग हैरान रह जाते हैं. एक नागा बाबा को फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते देखने वाले लोग दरअसल ये नहीं जानते कि दिगंबर कृष्ण गिरि एक एम.टेक इंजीनियर हैं और कर्नाटक यूनिवर्सिटी में टॉप कर चुके हैं. उनके पास एक मल्टीनेशनल कंपनी में सालाना 40 लाख रुपये की नौकरी भी थी. लेकिन 15 साल पहले हरिद्वार में नागा साधुओं को देखकर वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और संन्यास ले लिया.
अक्सर नागा संतों को परंपरागत संस्कृत या हिंदी में संवाद करते हुए देखा जाता है, लेकिन यह संत फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. उनकी भाषा शैली इतनी प्रभावशाली है कि विदेशी श्रद्धालु और पत्रकार भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते. उनके प्रवचनों में आधुनिक विज्ञान और आध्यात्मिकता का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है. नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि की आध्यात्मिक यात्रा बेहद प्रेरणादायक है. उन्होंने एक सफल इंजीनियरिंग करियर को त्यागकर सन्यास का मार्ग चुना. वे कहते हैं कि जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं से परे, आध्यात्मिक शांति का महत्व अधिक है. उनका मानना है कि शिक्षा और आधुनिक ज्ञान को अध्यात्म के साथ जोड़कर समाज को बेहतर बनाया जा सकता है.
संत दिगंबर कृष्ण गिरि महाकुंभ 2025 में आने वाले युवा श्रद्धालुओं के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं. वे ध्यान और योग के माध्यम से युवाओं को मानसिक शांति और जीवन के उद्देश्य को समझाने की कोशिश करते हैं. आधुनिक मुद्दों जैसे क्लाइमेट चेंज, तकनीकी प्रगति, और आध्यात्मिकता के बीच सामंजस्य पर उनके विचार गहराई से प्रभावित करते हैं. कहते हैं, “शिक्षा और आध्यात्मिकता का मेल ही मनुष्य को संपूर्ण बनाता है. तकनीक से दुनिया बदल सकती है लेकिन आत्मा की शांति केवल ध्यान और साधना से ही संभव है.”