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धूमधाम से मनाया गया लोक तिहार छेरछेरा

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रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,लखनपुर सरगुजा : सरगुजा लोक त्योहारो के श्रृंखला में छेरछेरा तिहार का विशेष महत्व है। अन्नदान का महापर्व नगर सहित आसपास ग्रामीण इलाकों में 13 जनवरी दिन सोमवार को पूरे उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। सबेरे से बूढ़े बच्चों की टोली घर घर जाकर (छेरता) छेरछेरा मांगते नजर आये ।देर रात तक युवाओं की टोली मुहल्ले टोले के घरों में जाकर लोकडी नृत्य करते हुए चावल धान पैसे मांगे। दरअसल प्रत्येक वर्ष पौष मास पुर्णिमा तिथि को छेरछेरा तिहार मनायें जाने की चलन सदियों पुरानी रही है। इसे अन्न दान का त्योहार कहा जाता है।

इस दिन बच्चे बुजुर्ग घर-घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं। इस दिन दान करने से धन धान्य की वृद्धि होती है। इसे बच्चों का त्योहार कहा जाता है। बच्चे बुजुर्ग महिला सभी एक दूसरे के घरों में जाकर”” छेरछेरा कोठी के धान हेरहेरा “” कहते हुए छेरछेरा मांगते हैं। इस परंपरा को कायम रखते हुए छेरछेरा मांगा।घरवाले मांगने वालों को धान चावल पैसा दान किये।

इस त्योहार से जुड़ी एक और पहलू है कि इस दिन नये चावल से बने चुडा तथा ईख से बनी गुड खाना शुभ माना जाता है। एक दूसरे को गुड़ चुड़ा खिला कर इस रिवाज को भी लोगो ने बखूबी निभाया‌। ‌ छेरछेरा मांगने के बाद बच्चे पिकनिक मनाने किसी झील अथवा जलसरोवरो के पास जाते थे । वह रिवाज कालांतर में लुप्त होती जा रही है। पिकनिक के बाद बच्चों की टोली देर शाम को मोहल्ले के घरो में जाकर ढोल मृदंग बजाते लोक नृत्य करते लोकडी मांगते थे घरवाले लोकडी मांगने वाले बच्चों को चावल पैसा गुड़ छुड़ा देते थे।वह चलन खत्म होता जा रहा है।पहले जमाने में छेरछेरा त्योहार के मौके पर बंधुआ मजदूर ,लोहार नाई, धोबी गाय बैल चराने वाले गौसेवकों का समय पुरा होना मानकर हिसाब कर सेवा मुक्त करते थे। अब आधुनिक काल में वह सब क्रियाएं लगभग समाप्त हो चुकी है।

छेरछेरा में जहां खाने खिलाने की रस्मों रिवाज रही है।वहीं महुआ चावल से बने कच्ची शराब पीने पिलाने का दौर भी चलता है। लोग झूमते गाते छेरछेरा त्योहार की खुशी मनाते हैं। इन्हीं नियमों के साथ धूमधाम के साथ छेरता तिहार मनाया गया।
आदीवासी बाहुल्य इलाकों में छेरछेरा त्योहार सप्ताह भर तक मनाया जाएगा ।

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