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हमारा संविधान विषय पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन, छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने दिए व्याख्यान

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राधेश्याम सोनवानी, गरियाबंद : शैक्षिक संवाद मंच छत्तीसगढ़ द्वारा हमारा संविधान विषय पर आयोजित संगोष्ठी में राज्य के विभिन्न विशेषज्ञों ने भारतीय संविधान की विशेषताओं और महत्व पर विचार साझा किए।वक्ताओं द्वारा संविधान की प्रस्तावना, नागरिक अधिकारों, कर्तव्यों और सामाजिक न्याय जैसे विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। परिचर्चा की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षिका के. शारदा (दुर्ग) ने भारतीय संविधान के परिचय, संविधान की मूल अवधारणा और इसकी व्यापकता पर प्रकाश डाला और बताया कि भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत और विविधता को समेटने वाला दस्तावेज़ है, जो हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है और हमें आज़ादी के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है। गरियाबंद जिले से व्याख्याता समीक्षा गायकवाड़ ने संविधान में वर्णित पंथनिरपेक्षता और सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण पर चर्चा की। धर्मनिरपेक्षता पर आधारित विभिन्न अनुच्छेदों और विशेषताओं का सारगर्भित वर्णन कर कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की आत्मा है, जो सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार का संदेश देती है। सक्ती के महेन्द्र कुमार चन्द्रा ने संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन कर बताया कि संविधान की रचना एक लंबी और विचारशील प्रक्रिया थी, जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व ने अहम भूमिका निभाई थी साथ ही संविधान रूपी दस्तावेज़ भारत की एकता और अखंडता का आधार है।

शिक्षक रिंकल बग्गा (महासमुंद) ने नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि मूल अधिकार हमें स्वतंत्रता, समानता और न्याय प्रदान करते हैं, जबकि मूल कर्तव्य एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं। रायगढ़ के शिक्षक संतोष कुमार पटेल ने जाति, लिंग और आर्थिक समानता पर संविधान के प्रावधानों की चर्चा की और अपने वक्तव्य में कहा कि संविधान सामाजिक भेदभाव को मिटाने और समाज में समानता स्थापित करने का आधार है। यह हमारे देश में भेदभाव को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चंचला चन्द्रा (सक्ती) ने संघीय ढांचे और राज्य-केंद्र संबंधों पर बात की और बताया कि संविधान ने राज्य और केंद्र के बीच संतुलन स्थापित कर संघीय ढांचे को मजबूत किया है। सूरजपुर से वसुंधरा गोजे ने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधानों को रेखांकित करते हुए भारतीय संविधान महिलाओं को समान अधिकार पर अपनी बात रखी और भारतीय संविधान महिलाओं को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है, जो उनके सशक्तिकरण की नींव है। धमतरी की शिक्षिका प्रीति शांडिल्य ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सामाजिक समरसता पर चर्चा की। अपने वक्तव्य में कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया है।

शिवकुमार बंजारे और लक्ष्मण बांधेकर (कबीरधाम) ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) और उसकी संवैधानिक जड़ों पर विचार व्यक्त किया और शिक्षा का अधिकार की वकालत की उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है, जो समाज के उत्थान का मार्ग है। ज्योति बनाफर (बेमेतरा) ने संविधान में संशोधन प्रक्रिया और उसके प्रभावों पर बात की। उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन ने इसे समय के साथ प्रासंगिक बनाए रखा है। पुष्पेंद्र कुमार कश्यप (सक्ती) ने ग्राम पंचायतों और स्थानीय शासन की भूमिका पर प्रकाश डाला और बताया कि संविधान ने पंचायती राज के माध्यम से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत किया है। बिलासपुर से अमरदीप भोगल ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान को एक ऐसा आधार प्रदान किया, जो हर वर्ग, जाति और समुदाय के लिए न्यायसंगत है। कार्यक्रम के अंत में संविधान की उद्देशिका का पाठ किया गया और इसे हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत बताया गया। कार्यक्रम समाप्ति पर वरिष्ठ शिक्षक धर्मानंद गोजे द्वारा सेमीनार में उपस्थित सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए संविधान के विभिन्न मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला साथ ही मंच पर उपस्थित सभी वक्ताओं की सराहना की और अपने अपने कार्यो को निरंतर प्रसारित करते रहने की आशा के साथ सभी वक्ताओं का आभार प्रकट किया।

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