23 जनवरी 2025:- हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान सूर्य सभी 9 ग्रहों के राजा माने गए हैं. भगवान सूर्य उर्जा, यश, वैभव और सकारात्मकता के कारक कहे जाते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान सूर्य के पूजन और उन्हें जल चढ़ाने का बहुत महत्व माना गया है. मान्यताओं के अनुसार, जो भी भगवान सूर्य का पूजन करता और उन्हें जल चढ़ता है उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. साथ ही जीवन में सफलता के नए रास्ते खुलते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवान सूर्य को जल चढ़ाते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए.
भगवान सूर्य को जल चढ़ाने का समय
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि भगवान सूर्य को सूर्योदय के समय जल चढ़ाना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्योदय का समय जल चढ़ाने के लिए सबसे उत्तम माना गया है. सूर्योदय के एक घंटे के अंदर भगवान सूर्य को जल चढ़ा देना चाहिए. सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 6 बजकर 45 मिनट का समय भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के लिए सबसे शुभ माना गया है. रविवार को भगवान सूर्य को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए, क्योंकि ये दिन धर्म शास्त्रों में भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है. रविवार को अगर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और जल चढ़ाया जाता है, तो भगवान सूर्य प्रसन्न होकर विशेष कृपा करते हैं.
जल चढ़ाने के नियम
- भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के लिए सुबह सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
- इसके बाद तांबे के लोटे में जल लेना चाहिए. जल में लाल फूल, कुमकुम और अक्षत भी डालना चाहिए.
- भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े होना चाहिए.
- इसके बाद लोटे को सिर के थोड़ा उपर करना चाहिए. फिर धीरे-धीरे पानी गिराकर भगवान को जल अर्पित करना चाहिए.
- जल चढ़ाने के दौरान भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में खुशियां का आगमन होता है.
भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के लाभ
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी भगवान सूर्य को नियमित रूप से जल चढ़ाता है उसका घर धन-धान्य और खुशियों से भर जाता है. भगवान को नियमित जल चढ़ाने से निरोगी शरीर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से काम में आ रहीं रुकावटें दूर हो जाती हैं. भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से आत्मबल में वृद्धि होती है. विचार पॉजिटिव होते हैं.