नई दिल्ली : चालू वित्त वर्ष में विकास दर की धीमी गति के अनुमान को देखते हुए सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती खपत को बढ़ाना है। इस खपत को बढ़ाने के लिए रोजगार को बढ़ाना होगा और इसे ध्यान में रखते हुए ही सरकार छह सेक्टर के निर्यात को बढ़ाकर रोजगार वृद्धि का प्रयास कर सकती है। आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में इन छह सेक्टर के प्रोत्साहन के लिए सरकार घोषणाएं भी कर सकती हैं। ये सभी सेक्टर रोजगारपरक है जिनमें कृषि व उससे संबंधित उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स व प्लास्टिक, लेदर व अपैरल शामिल हैं।
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जबकि चार वित्त वर्षों में सबसे कम है। अमेरिका की तरफ से आगामी एक फरवरी से चीन की वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने के बाद इन सभी छह सेक्टर का निर्यात अमेरिका के बाजार में भी बढ़ सकता है और सरकार इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। वित्त वर्ष 2013-14 में भारतीय वस्तुओं का निर्यात 312 अरब डॉलर का था जो वित्त वर्ष 2022-23 में 450 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। हालांकि वैश्विक सुस्ती की वजह से वित्त वर्ष 2023-24 में वस्तु निर्यात 437 अरब डॉलर का रहा।
बजट 2025 में क्या होगा सरकार का प्लान
सूत्रों के मुताबिक कृषि व संबंधित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक खाद्य वस्तुओं की खेती और उनके निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में कुछ आर्थिक सहायता की घोषणा हो सकती है। लेदर सेक्टर में बड़ी संख्या में रोजगार मिलते हैं, लेकिन इस सेक्टर को अब तक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में शामिल नहीं किया गया है। इस सेक्टर को पीएलआई या इस प्रकार की किसी अन्य स्कीम का लाभ बजट में दिया जा सकता है।
भारतीय वस्तुओं के निर्यात में इंजीनियरिंग उत्पाद की हिस्सेदारी सबसे अधिक है और यह सेक्टर रोजगारपरक होने के साथ मुख्य रूप से एमएसएमई से संचालित होता है। इसलिए इंजीनियरिंग सेक्टर पर भी फोकस किया जा रहा है। पीएलआई स्कीम से जुड़ने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स व फार्मा का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और इसमें नए निवेश भी आ रहे हैं जिससे इन सेक्टर में लगातार नए रोजगार निकल रहे हैं। लेकिन इस सेक्टर के निर्यात को बढ़ाने की अभी काफी गुंजाइश बाकी है। इसलिए बजट में इन सेक्टर के कच्चे माल को भारत में ही बनाने के लिए इनसे जुड़े आइटम के आयात शुल्क में बदलाव किया जा सकता है।
अमेरिका में बढ़ रही डिमांड
अमेरिका में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं की मांग लगातार बढ़ रही है। जेनेरिक दवा का निर्यात भी सबसे अधिक अमेरिका में किया जाता है। ट्रंप सरकार की तरफ से शुल्क की घोषणा के बाद अमेरिका के बाजार में अब चीन का प्रभाव कम होना तय है, इसलिए फार्मा व इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्यात प्रोत्साहन के लिए कुछ इंसेंटिव की घोषणा हो सकती है।
वैसे इन छह सेक्टर के निर्यात प्रोत्साहन के लिए वाणिज्य विभाग ने 20 देशों का चयन किया है और उन बाजार की विशेषताओं को देखते हुए इन सेक्टर के लिए घोषणाएं हो सकती है। इन 20 देशों में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, नीदरलैंड, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूएई, ब्रिटेन व वियतनाम शामिल हैं।